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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 3)

10 अक्टूबर 2021

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                           महाशिवरात्री


गौरी ने घर पहुंचते ही सीमा जी को बताया की उसे सिद्धार्थ का फोन आया था | उसके चेहरे की खुशी देखकर सीमा जी संतुष्ट हो गई |






रात को विवेक जी रुद्र के रूम में आये तब 
रुद्र अपने रूम की खिड़की से बाहर चाँद को देख रहा था |


"क्या हुआ रुद्र....? क्या सोच रहे हो ? "

"कुछ नहीं पापा..... बस ऐसे ही !! "

"मैं जानती हूँ....... की रुद्र को क्या हुआ है !  " शालिनी जी वहा आ गई !


"हमारे बेटे रुद्र को इंडिया मे कदम रखते ही एक लड़की से सच्चा वाला प्यार हो गया है !!  "

"क्या !!! " विवेक जी चौक गए |


रुद्र ने तो अपने ही हाथ से अपना चेहरा ढक लिया |

"क्या ये सच हैं रुद्र ? आपकी माँ क्या कह रही है ? "

"जी हा ये सच हैं ! सुना है की वो लडकी बहुत ज्यादा खुबसुरत है !  बस उसका नाम पता ही नही जानते ये !" शालिनी जी बोली |


"और आपको ये सब कैसे पता ? "विवेक ने शालिनी जी से पूछा 


"मुझे खुद रुद्र ने बताया हैं |" 

"क्या ये सब सच है रुद्र ?  मेरी तरफ देखिए और बताइये | " विवेक जी ने रुद्र का हाथ उसके चेहरे से हटाते हुए  पूछा |


रुद्र ने बस हिचकिचाते हुए हा मे गर्दन हिला दी |




" ओह माय गॉड !! इट्स नॉट फेयर रुद्र ! आपने शालिनी जी को बताया और मुझे पता तक नहीं ! ये बहुत पार्शलिटी की है आपने |

पर कोई बात नहीं | माय सन इज इन लव्ह! " विवेक जी को खुशी से झूम ही उठे |

पर रुद्र के चेहरे पर कुछ खास खुशी नजर नहीं आ रही थी |

"क्या हुआ रुद्र ? आप खुश नहीं है ?सब ठीक तो है ना ? " विवेक जी ने पूछा |


"सब ठीक है पापा | पर..... मुझे असल खुशी तब होगी जब वो मुझे मिल जायेगी | अब तक तो मुझे उसका नाम तक नहीं पता | "


" डोन्ट वरी बेटा | शिवजी ने आपको अगर उससे एक बार मिलाया हैं तो वो ही आपको उसे आपकी जिंदगी में लायेंगें | " शालिनी जी बोली |


"एक बार नही माँ ! आज दूसरी बार दिखाई दी वो मुझे | पर..... मै आज भी उसे रोक नही पाया |" रुद्र रुआँसा हो गया |



"पर मैने अब ठान लिया है की मै कल उससे मिलकर ही रहूँगा | मैने पहली बार उसे शिवजी के मंदिर के सामने ही देखा था और कल महाशिवरात्री है | शिवजी का कोई भी भक्त क्यू ना हो , वो उनके दर्शन करने मंदिर मे कल जरूर आयेगा और वो भी कल जरूर आयेगी | "



"नही !!! कल आप कही नही जायेंगे रुद्र |  "शालिनी जी ने कहा |


"पर क्यों माँ ? आप जानती है ना कल मेरा मंदिर जाना कितना जरूरी है ¡"


"कल मंदिर क्या..... आप अपने कमरे से बाहर तक नही निकलेंगे | "



विवेक जी को पता था की शालिनी उसे क्यो मना कर रही है |


"शालिनी जी ! जाने दिजीए इन्हें ! रुद्र आप चले जाना |

शालिनी जी हम इस बारे मे बाद में बात करेंगे |

आप आराम करीए रुद्र | " विवेक जी ने रुद्र के सर पर हाथ रखकर कहा |




"रुद्र ! ये क्या ? आपको तो बुखार है ! " विवेक जी बोले |

शालिनी जी ने भी उसे चेक किया |


"अरे हा !  आपको तो बुखार है | " शालिनी जी बोली |


"कुछ नहीं माँ बस हलका सा है बुखार | ठीक हो जाऊंगा |"

"आप आराम करीए | मै आपके लिए दवाई लेकर आती हूँ |"इतना कहकर शालिनी जी उसके लिए दवाई लेने गई | 


उन्होंने रुद्र को दवाई खिलाकर सुला दिया | जब तक रुद्र सो नही गया , तब तक वो दोनो उसके पास ही बैठे रहे |


"विवेक जी ! आपको रुद्र को कल बाहर जाने नही देना चाहिए था | अाप जानते हैं ना गुरुजी ने क्या कहा था...... अगर कल कुछ........"

"नही शालिनी जी | कुछ नहीं होगा | बी पॉजिटीव ... और अगर कुछ होना ही है तो रुद्र को घर मे भी हो सकता है 
और गुरुजी ने कहा था ना की हमसे पहले रुद्र उस इंसान से मिलेगा जो उसका सेवियर होगा |
 आपने नोटिस किया ? कल रुद्र हमसे पहले उस लडकी से मिले है | शायद हो सकता है की जिस इंसान की बात गुरुजी ने की थी , वो वही लडकी हो | " विवेक जी ने शालिनी जी की बात काटते हुए कहा |

विवेक जी के समझाने पर शालिनी को जरा चैन पडा |

"अब हम भी सोने चलते हैं | कल मेरी गुलमोहर प्रोजेक्ट की बहुत ही इंम्पॉर्टंट मिटींग है इन्व्हेस्टर्स के साथ | " विवेक जी बोले|
इसलिए दोनो सोने चले गए |


















सुबह होते ही रुद्र नाश्ता करके मंदीर के लिए निकल पडा |उसकी तबियत कुछ ठीक नहीं थी , सिर मे भी बहुत दर्द हो रहा था | पर उसने किसी को समझ में नही आने दिया |वरना शालिनी जी उसे बाहर जाने नहीं देती | पर उसके बाहर जाने से शालिनी जी कुछ खास खुश नहीं थी |













इधर गौरी आज ऑफिस जाने से पहले मंदीर आयी थी |उसने दर्शन किए और आशीर्वाद लेकर बाहर जा ही रही थी की गुरुजी भी मंदिर मे आ गए | आज भी उनके शिष्य उनके साथ ही थे |  वो दोनो एकदम एक दूसरे के सामने आ गए |
उन्हें देखते ही गौरी समझ गई कि वो कोई दिव्य पुरुष है |उसने उन्हें प्रणाम किया |


"मुझे ज्ञात था की हमारी भेट आज अवश्य होगी..... साक्षात माँ गौरी !!! आपको देख बरसो की मुराद पूर्ण हुई |" गुरुजी ने हाथ जोडते हुए कहा |


"ये आप क्या कह रहे हैं स्वामी जी ? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा ? "


"सही समय पर सब ज्ञात हो जायेगा आपको |
मै तो बस आपको यही सुझाव देना चाहता हूँ की कल जिस इंसान ने आपकी सहायता की आपको आज उनकी सहायता करनी होगी | "

"सहायता ? "

"आपको शीघ्र सब ग्यात हो जायेगा | "वो बोले |


अचानक गौरी का ध्यान घडी के उपर पडा |


"ओम नम: शिवाय ! मै तो लेट हो रही हू | मुझे अब जाना होगा स्वामी जी |.आशीर्वाद दिजीए | " गौरी उनके पैर छुए इससे पहले वो पीछे हट गए |


"नही नही...... आपको मै कौन होता हूँ आशीर्वाद देने वाला ? मै तो केवल आपके उद्देश्य मे आपकी मदद करने आया हूँ |  मै तो केवल यही कहूंगा की जिस उद्देश्य के लिए शिवजी ने आपको फिर से यहा भेजा है , उसमें आप सफल हो |  अब आज्ञा दीजिए |. " इतना कहकर वो मंदिर के अंदर चले गए |


गौरी को तो कुछ समझ में ही नहीं आया |  पर वो इग्नोर करके चली गई क्योंकि वो लेट हो रही थी |







रुद्र को लग रहा था की कही उसके पहुंचने से पहले वो लडकी चली ना जाए इसलिए वो जरा फास्ट ड्राइव कर रहा था | मन ही मन वो खुश भी था कि आज वो उसे मिल ही जायेगी | 

पर उसका सिर भी दर्द कर रहा था |

अचानक उसे चक्कर आने लगे, उसकी आँखों के सामने अंधेरा छाने लगा , उसकी गाडी का बैलेंस बिगडने लगा |  उसने बहुत कोशिश की संभालने की पर उसकी गाडी जाकर रोड के साइड के एक पेड से टकरा गई | उसका सिर स्टेअरिंग से टकरा गया | उसके सिर पर बहुत चोट आयी , बहुत खून निकल रहा था | वो बेहोश हो गया |





गौरी स्कुटी से अपने रास्ते जा रही थी | अचानक उसे बहुत अजीब लगने लगा |

"ओम नम: शिवाय !  ये अचानक मुझे इतना अजीब सा क्यो लग रहा है !! "


तभी उसका ध्यान रोड की साइड मे रुद्र की गाड़ी पर पडा |उसकी गाडी की आगे की साइड से धुआ निकल रहा था |
गौरी ने अपनी गाडी रोकी |

"हे भोलेनाथ ! ये क्या ! लगता है किसी का एक्सीडेंट हुआ है ! कही किसी को मदद की जरूरत तो नही !"


गौरी रुद्र की गाड़ी के पास गई |  उसने बाहर से देखा तो उसे कुछ दिखाई नही दिया|  गाडी के सारे काच बंद थे | 

उसने आगे की सीट के पास जो काच था उसके करीब जाकर देखा , तो उसे दिखा की कोई तो गाडी के अंदर हैं| 

वो बहुत डर गई|

"हे भोलेनाथ !! अंदर तो कोई है ! क्या करू ? इनकी मदद कैसे करू ?"

उसने गाडी के दरवाजे खोलने की बहुत कोशिश की पर दरवाजे अंदर से लॉक थे |

उसने बहुत सोचा और एक बडा पत्थर उठाकर फ्रंट सीट का काच उस बडे पत्थर से तोड दिया | उसने अंदर हाथ डालकर दरवाजा खोला | उस वक्त उसका हाथ टूटे हुए काँच से कट गया |उसके हाथ से खून बहने लगा |


उसने दरवाजा खोला और अंदर गई | रुद्र स्टेअरिंग पे गिरा हुआ था |

उसे उठाने से पहले गौरी ने उसकी नब्ज चेक की उसकी नब्ज अभी चल रही थी|

अचानक उसकी नजर रुद्र के हाथ की उस माला पर पडी जो शालिनी जी ने उसके हाथ पर बांधी थी |

उसे याद आया की कल जिस इंसान ने ट्रेन में उसकी मदद की उसके हाथ में यही माला थी जिसमे शिवजी की प्रतिमा थी |

वो देखकर वो चौंक गई |

उसने रुद्र को उठाकर पीछे सीट पर लगाया |
अब गौरी को उसका चेहरा साफ नजर आ रहा था |

उसे देखकर गौरी और भी ज्यादा चौक गई |


"ओम नम: शिवाय !! हे भोलेनाथ !! ये तो वही है.... जो उस दिन मंदिर के बाहर मिले थे ! इसका मतलब..... कल इन्होने ही मेरी मदत की थी! 
हे भोलेनाथ ! 
अब मै इनकी मदद कैसे करू ? इनकी नब्ज भी तो बहुत धीमे चल रही हैं | "

उसने रुद्र के सिने पर अपना सिर रखा और उसकी धड़कन सुनने लगी | 


जैसे ही गौरी ने रुद्र के सीने पर सिर रखा , रुद्र को साँस आ गई | उसे होश आया |  पर वो अब भी आधा बेहोशी में था |



"ओह माय गॉड! सुनिये !! एक्सक्युज मी सर! आप ठीक तो है ? " गौरी उससे पूछ रही थी |

रुद्र को गौरी दिखाई दे रही थी | गौरी की आवाज भी सुनाई दे रही थी पर उसका शरीर उसका साथ नही दे रहा था | उसके सिर पर बहुत चोट आयी थी , बहुत ज्यादा खून निकल रहा था | उसकी आँखे अपने आप बंद हो रही थी |

" सुनिए सर ! सर प्लीज डोन्ट स्लीप ! सर! डोन्ट क्लोज युअर आइज् सर! " गौरी उसके चेहरे पर हाथो से थपथपा कर उसे जगाए रखने की कोशिश कर रही थी |

अनजाने मे गौरी के आँखों में आँसू आ गए | गौरी को खुद के लिए इतना परेशान होता देखकर रुद्र के चेहरे पर हलकी सी स्माइल आ गई |

गौरी को तो खुद ही समझ नहीं आया की उसकी आँखों में क्यो पानी भर आया  पर उसने खुदको संभाला |


"हे भोलेनाथ अब मै क्या करू ? इन्हें जल्द से जल्द मेडिकल हेल्प की जरूरत हैं |


सर आप यही पर रुकीए | मै किसी की मदत लेकर आती हूँ | " 
गौरी ने उसका सिर सीट पर ठीक से रखा और मदत लेने के लिए मेन रोड की तरफ दौडी |

वो आती जाती गाडीयो को रोक कर हेल्प माँग रही थी | पर कोई गाडी रोक नही रहा था |


"हे भोलेनाथ !  मेरी मदत किजीए | कोई भी मदत करने को तैयार नहीं है | अब मै क्या करू ? " 
तभी गौरी को सामने से एक गाडी आती नजर आयी | 


उसने वो गाडी रोकी | गौरी को देख ड्राइवर ने गाडी रोकी |

गौरी गाडी रुकते ही विंडो के पास गई |अंदर बैठे व्यक्ति ने विंडो का काच नीचे किया |

वो गाडी गुरुजी की थी |
गुरुजी का एक शिष्य गाडी चला रहा था और दुसरा पीछे बैठा था |


"स्वामी जी.... आप...? 

स्वामी जी प्लीज मेरी मदत किजीए |  वहा.... वहा किसी का बहुत बुरा एक्सीडेंट हुआ है | उन्हें जल्द से जल्द मेडिकल हेल्प की जरूरत हैं |प्लीज मेरी मदत किजीए उन्हे हॉस्पीटल ले जाने मे  |प्लीज ! मै आपके आगे हाथ जोडती हू ! " गौरी रो रो कर बता रही थी |


"मैने कहा था ना मै आपकी ही सहायता करने यहा आया हू | आप जरा भी चिंता मत करीए | "
वो तीनो गाडी से बाहर उतरे |

"आप दोनो इनके साथ जाइये और इनकी सहायता किजीए | जाइये | " गुरुजी ने अपने शिष्यो को आदेश किया |

गुरुजी के दोनो शिष्य गौरी के साथ उस कार के पास गए|


उन्होंने देखा  तब रुद्र की आँखे बंद हो रही थी पर वो खुद को जगाये रखने की कोशिश कर रहा था |

उन दोनों ने रुद्र को गाडी से बाहर निकाला |गौरी ने भी उनकी मदत की |


जैसे ही उन्होंने रुद्र को गाडी से बाहर निकाला, उसकी गाडी मे पेट्रोल लीक होने की वजह से आग लग गयी | 

अगर कुछ मिनट की और देर हो जाती तो रुद्र बच ना पाता |

ये देखकर उन सब का दिल दहल गया |

वो लोग रुद्र को गाडी के पास लाये | गुरुजी वही बाहर खडे थे | उन्होंने जैसे ही रुद्र को गौरी के साथ देखा | उन्होंने बस एक हल्की सी स्माइल दी | 


"इन्हें गाडी मे रख दिजीए | वशिष्ठ आप इनके साथ जाइये | इन्हें नजदीकी किसी अस्पताल ले जाइये और मै गुरुजी को मठ लेकर जाता हूँ | "
उनका दूसरा शिष्य आनंद बोला |

रुद्र को बैक सीट पर रखा गया | गौरी भी गाडी मे बैठ गई| रुद्र का सिर उसकी गोद में था | वो रुद्र को जगाये रखने की पूरी कोशिश कर रही थी| वशिष्ठ ने गाडी सीधे हॉस्पीटल की ओर भगाई |


"हे महादेव ! सब मंगल हो ! "गुरुजी ने शिवजी से दरखास्त की |


रुद्र की आँखे खुली थी पर वो ना ही कुछ कह पा रहा था और ना ही कुछ कर पा रहा था |

वो बस गौरी को देख रहा था |
उसके खून से गौरी की पिले रंग की ड्रेस पर लाल धब्बे पड चुके थे |

गौरी उसे जगाने के लिए उसके चेहरे पर हाथो से हलके हलके से उसे हिला रही थी | अनजाने मे उसकी आँखों में आसू आ रहे थे ,  जो रुद्र के चेहरे पर गिर रहे थे |  रुद्र ने अपना हाथ गौरी गाल पर लगाया,  जिससे उसके चेहरे पर भी खून लग गया |

रुद्र मन ही मन उसके पास होने से खुश था |पर बदकिस्मती से वो जता नही सकता था |



इधर विवेक जी बार बार गौरी के केबिन की ओर देख रहे थे | उन्होंने स्टाफ मेंबर गीता से भी पूछताछ की | पर किसी को पता नहीं था की गौरी क्यो नही आयी |


आखिर कर उन्होंने अपनी पीए को बुलाया और मिटींग का टाइम पूछा |  मिटींग 3 बजे थी और अभी 12 ही बजे थे | वो उस मिटींग के लिए बहुत एक्साइटेड थे क्योंकि गुलमोहर उनका ड्रीम प्रोजेक्ट था |

उस प्रोजेक्ट की वजह से कई गरीब परीवारो को बहुत ही कम किश्तो पर पक्के मकान मिलने वाले थे |









इधर 
गौरी और वशिष्ठ रुद्र को हॉस्पीटल मे लाये | उसको स्ट्रेचर से ऑपरेशन थिएटर मे ले जाया जा रहा था | अब रुद्र बेहोश हो गया था | 

"आप इनके कौन है ?" डॉक्टर ने पूछा |

"जी मै इनकी कुछ भी नहीं लगती | इनका शिव मंदीर के पास ही एक्सीडेंट हो गया था |बहुत बुरी हालत मे थे ये ! तो हम इन्हें हॉस्पीटल ले आए |" गौरी ने झट् से कह दिया|

गौरी और वशिष्ठ को बाहर ही रुकने के लिए कहा गया | पर रुद्र ने गौरी का दुपट्टा कसकर पकड रखा था |  उस वजह से वो दुपट्टा  रुद्र को हाथ में ही रह गया और उसे ओटी मे ले जाया गया |


गौरी बहुत परेशान थी | वो वशिष्ठ के पास गई |
"आपका बहुत बहुत शुक्रिया ! अगर आप लोग ना होते तो शायद आज..!!"

"इसमे धन्यवाद कैसा ? ये तो हमारा कर्तव्य था |अब मुझे आग्या दिजीए | " इतना कहकर वो चला गया |


गौरी ओटी के बाहर ही बैठी थी |
उसे रुद्र के साथ का एक एक पल याद आ रहा था |


"कौन है ये ? जो बार बार शिवजी इनसे मेरी मुलाकात करवा रहे हैं ? हे भोलेनाथ ! मुझे तो कुछ समझ ही नहीं आ रहा है| " वो खुद से ही बाते कर रही थी |

1घंटे तक रुद्र ओटी मे था | 1 घंटे बाद डॉक्टर ओटी से बाहर आये | गौरी भागते हुए उनके पास पहुंची |


"डॉक्टर  ! कैसे है अब वो ? ठीक तो है ना ? " गौरी ने पूछा|


"अब वो ठीक है | अच्छा हुआ आप इन्हें जल्दी लेकर आ गई | वरना कुछ भी हो सकता था | पर अब वो ठीक है | लेकिन फिर भी प्रिकॉशन के लिए हम इन्हें आयसीयू मे शिफ्ट कर देंगे |"

"थँक यू सो मच डॉक्टर ! थँक यू सो मच !  "
तभी गौरी का फोन बजा |
गीता का फोन था |

"गौरी मैडम !  कहा है आप ? अब तक ऑफिस क्यो नही पहुंची ? आपको पता है ना आपको सर के साथ मिटींग मे जाना है ? सर कबसे आपका इंतज़ार कर रहे है !" गीता बोली |


"हा... हा... मै बस अभी पहुंचती हूँ | " गौरी ने इतना कहकर फोन रख दिया |


"आय एम सो सॉरी डॉक्टर ! पर अब मुझे जाना होगा | "

"डोन्ट वरी ! जिस इंसान को आप जानती तक नही उसकी जान बचाकर आपने अपना काम कर दिया , तो क्या हम आगे की फॉर्मैलिटीज नही कर सकते !  डोन्ट वरी! हम इनके घर वालो को इन्फॉर्म कर देंगे |  इनके पॉकेट से हमे मोबाइल मिला है |" 

"थँक यू डॉक्टर ! मै चलती हूँ | " वो चली गई और रुद्र को आयसीयू मे शिफ्ट करवा दिया गया |

आज भी रुद्र-गौरी की मुलाक़ात अधूरी रह गई |










इधर शालिनी जी को हॉस्पीटल से फोन आया तब उनके पैरो के नीचे से जमीन ही खिसक गई | वो रोने लगी | उन्होंने जैसे तैसे हॉस्पीटल का अड्रेस पूछा और सीधे विवेक जी को फोन लगाया |
जब विवेक जी ने रुद्र के एक्सीडेंट के बारे मे सुना तो उनके पैर ही जम गए |
जैसे तैसे वो दोनो खुद को संभाल कर हॉस्पीटल की ओर निकले |

विवेक जी ने जाते जाते अपनी पीए को मिटींग कँसल करने  को कह दिया|





इधर गौरी चेंज वगैरा कर के ऑफिस पहुंची |

गौरी को देखते ही गीता भागकर उसके पास आयी | 

"अरे गौरी मैडम कहा थी आप? इतनी देर कैसे हो गई ? " 

गौरी ने सब किसी को बताना नही चाहती थी इसलिए उसने टॉपिक चेंज कर दिया |

" वो सब छोडो ! विवेक सर कहा है ? मिटींग है ना 3 बजे !"


"मिटींग कँसल करनी पडेगी !" विवेक जी की पीए ने बताया |


"कँसल ? पर क्यो ? इतनी इंम्पॉर्टंट मिटींग ? " गौरी के मन मे बहुत सारे सवाल थे |


"सर अभी अभी घर चले गए है और मुझे मिटींग कँसल करने को कहा है| शायद रुद्र सर की तबियत बहुत खराब है | " उनकी पीए ने कहा |


"लेकिन तुम्हें कैसे पता ?  सर ने बताया तुम्हें ? " गौरी ने पूछा |


"उन्होंने बताया तो नहीं पर मँडम का फोन आया था उन्हें और उनकी बातो से कुछ ऐसा ही लग रहा था | "

गौरी ने कुछ देर सोचा |


"अच्छा मै चलती हूँ | मुझे इन्व्हेस्टर्स को फोन करके मिटींग कँसल करने के बारे में बताना है |" ये कहकर पीए जाने लगी |

"रुकीए ! उन्हें फोन मत करीए | अगर मिटींग कँसल कर दी तो प्रॉब्लम हो सकती है | हो सकता है इन्व्हेस्टर्स का हमारे उपर से भरोसा उठ जाये क्योंकि पहले कभी ऐसा नही हुआ | 


मिटींग मे कितना वक्त बाकी है ? "


"करीब करीब एक घंटा मँडम ! "

"आप एक काम करीए | आप मिटींग कँसल मत करीए| आज की मिटींग मै हँडल कर लूंगी| बस  इतना करीए की इस मिटींग के सारे डॉक्युमेंट्स और प्रेझेंटेशन की सीडी 5 मिनट के अंदर मेरे डेस्क पर होनी चाहिए| " 


"ओके मैडम!" पीए अपना काम करने चली गई और गौरी भी अपने केबिन में चली गई |




गौरी ने एक घंटे में प्रेझेंटेशन की सारी तैयारीयाँ कर ली |
उसने मिटींग भी बहुत अच्छे से हँडल की| सब इन्व्हेस्टर्स उसके कम्युनिकेशन स्किल्स से बहुत इंम्प्रेस हुए और गौरी ने डील क्रँक कर ली |


जब तक गौरी प्रेझेंटेशन हॉल मे थी, तब तक सारा स्टाफ बहुत ही ज्यादा टेन्शन मे था| सब जानते थे कि ये डिल विवेक सर के लिए कितनी इंम्पॉर्टंट थी|

जैसे ही गौरी हॉल से बाहर आयी, सारा स्टाफ उसके इर्दगिर्द आकर खडा हो गया |


"क्या हुआ मैम? आप इतनी सैड क्यों है? " सारे स्टाफ ने सवालो की बौछार कर दी उसपर!



"वो..... वो... दरअसल.....वुई क्रैक्ड द डील!!! " अचानक गौरी ने सब को सरप्राइज दिया|


सब लोग बहुत ज्यादा खुश हो गए| सब लोग गौरी को बधाई देने लगे| सबको पता था की इससे विवेक जी बहुत खुश हो जायेंगे|
गौरी ने विवेक जी को कॉल करने की सोची पर उसे विवेक जी को उस वक्त फोन करना सही नही लगा| 














इधर विवेक जी और शालिनी जी दोनो हॉस्पीटल पहुंचे |उन्होंने रिसेप्शन पर पूछा तो उन्हें आयसीयू में जाने के लिए बोला गया|
आयसीयू सुनकर व लोग ज्यादा ही डर गए|



वो जैसे तैसे आयसीयू तक पहुँचे|

डॉक्टर रुद्र को चेक कर रहे थे और नर्स को कुछ ऑर्डर्स भी दे रहे थे|

उसके बाद डॉक्टर बाहर आये |

"आप लोग कौन? " डॉक्टर ने पूछा 

"डॉक्टर ! वुई आर हिज् पैरेंट्स! गाइज् ही नाउ?" विवेक जी बोले |



 "ओह! ही इज् एब्सोल्युटली फाइन नाउ! "

" तो फिर आयसीयू मे क्यो डॉक्टर? " शालिनी जी ने रोते हुए पूछा |


" ताकि ये रेस्ट कर सके | कोई और वजह नही|"



"डॉक्टर रुद्र ठीक तो है ना? " विवेक जी का भी हाल खराब था|



"डोन्ट वरी! चिंता की कोई बात नहीं है| पर हो सकती थी , अगर वो लडकी सही वक्त पर इन्हें हॉस्पीटल ना लेकर आती| " डॉक्टर ने कहा|



"लडकी? "


"जी हा! इन्हें यहा एक लडकी लेकर आयी थी| अगर थोडी देर और हो जाती तो हम इन्हें शायद बचा ना पाते| टेक केअर ऑफ हिम ! एक्सक्युज मी ! " डॉक्टर चले गए|



"विवेक जी ! रुद्र की जान किसी लडकी ने बचाई ! "



"हो सकता है ये वही लडकी हो शालिनी जी जिसके बारे में गुरुजी ने हमे बताया था ! "



तभी वहा एक नर्स कुछ सामान लेकर आयी|

"ये सब इनके पास मिला था| " देकर वो चली गई|


उसमे बहुत कुछ था|  घडी , वॉलेट ,मोबाइल और एक पीला दुपट्टा भी ! जिसपर खून के दाग थे|









Anita Singh

Anita Singh

अच्छा कथानक

22 दिसम्बर 2021

Jyoti

Jyoti

बहुत अच्छा

7 दिसम्बर 2021

41
रचनाएँ
क्या हुआ... तेरा वादा...
5.0
ये कहानी है रुद्र और गौरी की.....जो दोनो पिछले जनम मे एक ना हो सके............ क्या इस जनम मे हो पायेंगे......... ??
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<div>विकास तेजी से कल्याणी की तरफ बढ रहा था|</div><div><br></div><div>कल्याणी ने बहुत कोशिश की वहा स

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 16)

24 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>अविनाश और कल्याणी को

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 17)

25 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>"रुद्र!" गौरी जोर से

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क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 18)

26 अक्टूबर 2021
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<div>सिद्धार्थ गौरी के घर से अपना सामान लेकर हॉटेल चला गया था| वो अपनी गाडी शुरू करने ही वाला था की

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 19)

27 अक्टूबर 2021
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<div>गौरी बाहर बैठी हुई थी| अंदर डॉक्टर सीमा जी को चेक कर रहे थे| बडी बदकिस्मती की बात थी कि जिस हॉस

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 20)

28 अक्टूबर 2021
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<div>देखते देखते कई दिन गुजर गए| अब गौरी भी नॉर्मल होने लगी थी और सिद्धार्थ भी लौट आया था|</div><div

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 21)

29 अक्टूबर 2021
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<div>शालिनी जी और विवेक जी ने अपने निस्वार्थ प्यार से और रुद्र ने अपनी दोस्ती से गौरी कि जिंदगी फिर

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 22)

30 अक्टूबर 2021
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<div>जब रुद्र जागा तो वो वही जमीन पर सोया हुआ था| शायद टेंशन में उसे वही नींद आ गई थी|</div><div>बाह

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 23)

31 अक्टूबर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>स्वामीजी को देखते ही दोनो ने उनके च

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 24)

1 नवम्बर 2021
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<div>सेनापति वीरभद्र युवराज्ञी भैरवी के पीछे उन्हें ढुंढने निकल पडे पर जंगल बहुत घना था| उन्हें समझ

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क्या हुआ... तेरा वादा...(भाग 25)

2 नवम्बर 2021
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<div>महल के कुछ बाहर बहुत ही भव्य प्रवेशद्वार था जिसपर सदा कुछ सैनिक तैनात रहते थे|</div><div><br></

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 26)

3 नवम्बर 2021
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<div>प्रजागण भैरवी को लेकर अपने गाँव पहुंचे| भैरवी को देखते ही सारे गाँव वाले बाहर निकल आये|</div><d

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 27)

4 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>"आप ज

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 28)

5 नवम्बर 2021
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<div>आज महल मे हर ओर शहनाई की गूँज थी| सारा राज्य ख़ुशी से झूम रहा था| आज बहुत ही शुभ दिन था| आज खुश

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 29)

6 नवम्बर 2021
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<div>गर्भग्रह मे खडे हर शख्स की आँख नम थी| विवेक जी और शालिनी जी तो सुन्न हो गए थे|</div><div>गुरूजी

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 29)

6 नवम्बर 2021
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<div>गर्भग्रह मे खडे हर शख्स की आँख नम थी| विवेक जी और शालिनी जी तो सुन्न हो गए थे|</div><div>गुरूजी

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 30)

7 नवम्बर 2021
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<div>सिंघानिया मँशन मे पार्टी की शानदार तैयारीयाँ की गई थी|</div><div>हर तरफ रौशनी, रंगबिरंगे फूल, र

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 31)

8 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>गौरी अपने कमरे मे देर रात तक कुछ का

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 32)

9 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>" आह्ह!!!" गौरी जमीन पर गिर पडी|</div><div><br></d

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 33)

10 नवम्बर 2021
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<div>सिंघानिया मँशन मे रुद्र और रिया की सगाई की तैयारीयाँ शुरू हो गई थी| रेवती तो बहुत ही खुश थी| रि

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 34)

11 नवम्बर 2021
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<div>आगे की कहानी 6 महीने बाद.... </div><div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>बेताह

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 35)

12 नवम्बर 2021
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<div>रुद्र और गौरी अामने सामने थे|</div><div>दोनो के आँखो से लगातार आँसू छलक रहे थे|</div><div><br><

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 36)

13 नवम्बर 2021
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<div>सब लोग हॉल मे बैठकर शालिनी जी के हाथ का बना हलवा खा रहे थे|</div><div><br></div><div>"आप सब लोग

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 37)

14 नवम्बर 2021
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<div>एक सेवक रुद्र और रिया को लेकर महल के अंदर जा रहा था| जैसे जैसे रुद्र आगे बढ़ रहा था उसे सब बहुत

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 38)

15 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div><br></div><div><br></div><div>रुद्र ने गौरी को नीचे गिरा दिया था| गौरी की कमर मे

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क्या हुआ...तेरा वादा... (भाग 39)

16 नवम्बर 2021
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<div>पूरे महल और पूरे राज्य मे युवराज्ञी के भव्य स्वयंवर की तैयारीया चल रही थी|</div><div><br></div>

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क्या हुआ... तेरा वादा... (भाग 40)

17 नवम्बर 2021
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<div><br></div><div>गौरी मलबे के नीचे दब गई थी |</div><div><br></div><div>बेहाल होकर पड़ा हुआ रुद्रा

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