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मानसिक स्वास्थ्य

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                             भारत में वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा है । पहले शहर व नगरो में वाहन होते थे लेकिन अब गाँवों में वाहन की संख्या बढ़ती जा रही है चौबीस घंटे हर क्षेत्र में वाहनों से हानिक

व्यसन (बुरी लत)पृथ्वी पर जीवन के आविर्भाव के वैज्ञानिक और आध्यत्मिक दोनों ही दृष्टिकोण हैं । इसमें एक बात तो तय है कि एक जीव मात्र से जीवन के निर्माण तक का सफर मनुष्यता की सबसे महान उपलब्धियों में से

करवा चौथ  चार दिन की बारिश के बाद आज धूप खिली है।अक्टूबर के महीना, हल्की हल्की ठंड के बीच हल्की हल्की धूप कलेजे को ठंडक पहुचा रही थी।भाभी,चलो न मार्किट तक, वो टेलर के पास कपड़े पड़े हैं,लेकर आ

पहनावाएक महिला को सब्जी मंडी जाना था। उसने जूट का बैग लिया और सड़क के किनारे सब्जी मंडी की और चल पड़ी। तभी पीछे से एक रिक्शा वाले ने आवाज़ दी: "कहाँ जायेंगी माता जी...?'' महिला ने ''नहीं भैय्या'' कहा त

जो भी हैं रोग साध्य जग में, संभव उनका उपचार मगर,जो हैं असाध्य, उनके विषाणु से बचना बहुत जरूरी है।समुचित है शाकाहार,सब्जियां,अन्न, दाल, फल, कन्द मूल,हैं जहां नहीं उपलब्ध, मांस खाना उनकी मजबूरी है।।...य

विश्वास की शक्ति ऐसी,देखती नहीं कोई प्रमाण।मन से मन में जुड़े हुए,होते हैं आधार प्रमाण।।विश्वास की शक्ति ऐसी,मन में विचारों का दर्पण।मन में आसक्त विचारों से,सहमत हो मंथन का दर्पण।।विश्वास की शक्ति ऐसी

एक नई उड़ान----------------------------------------------------       क्या आप केतकी को जानते हैं? थोड़ा याद कीजिए। नहीं याद आ रही तो चलिए हम ही बताते हैं। पिछले दिनों मैं चर्चित मॉडल

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आँखो में चमक चेहरे पे रौनक़ आ गया । बच्चे उछल-कूद करने लगे लो दिसम्बर आ गया । ये रोज का पढना और पढ़ाना , टीचर की वही नसीहत व आशियाना , मन बोझिल बड़ी देर से राह का ताकना, आखिरकार बिन पायल के झ

वहां कौन है तेरा मुसाफिर जाएगा कहाँ, दम ले ले घड़ी भर ये छैया पायेगा कहा ।इस नग़मे में नायक को जीवन के सफर में दौड़ते हुए सुकून की छांव की इत्तला दी जा रही है ।जी हां सुकून !! जो पसर जाए तो मानो हर

कितने रावण मारे हमने, कितने हर वर्ष जलाए।फिर भी छुपे मुखौटों में, रावण पहचान न पाए।।...उस रावण ने तो फिर भी, मर्यादा कभी न तोड़ी।कलयुग के रावण ऐसे, दुधमुंही तलक ना छोड़ी।।...ये चरित्र के हीन,मानसिक रो

मानव शरीर को यदि मैं अनेक रोगों का पिटारा कहूं तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। क्योंकि मानव शरीर जीवन भर स्वस्थ नहीं रह पाता, उसे समय-समय पर कई शारीरिक रोग घेर ही लेते हैं।  इसके अलावा वह अपनी जीवन की आप

मानवीय पूँजी क्या है? मानव पूंजी शब्द एक कार्यकर्ता के अनुभव और कौशल के आर्थिक मूल्य को दर्शाता है। मानव पूंजी में शिक्षा, प्रशिक्षण, बुद्धि, कौशल, स्वास्थ्य, और अन्य चीजें जैसे  वफादारी और समय की पा

मधुर व्यवहार और मीठा बोलना एक कला है...  जो हरेक के पास नहीं होता...  बोलने की कला श्रीराम से सीखो...  जहां रावण ने कड़क जबान से अपने सगे भाई विभीषण को खो दिया...  वहीं श्रीराम ने मीठी जुबान से दुश

बिगड़ा हुवा है आज तक कितनो का मानसिक स्वास्थ,ऑनलाइन तो दोस्त सारे हकीकत में कोई ना जाने हाल,दिल तो तड़पे पाने को यहां सिर्फ़ एक ऐसा इंसान जो,तुमसे ज्यादा जाने तुम्हें हर हाल में आकर खड़ा रहे वह 

डियर काव्यांक्षी                      कैसी हो प्यारी 🥰मैं तो मजे में हूं । और कोई कितनी भी कोशिश कर ले। हमे दुखी करने की उनकी कोशिश नाकामयाब करे

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मानसिक स्वास्थ्य का व्यक्ति की दिनचर्या स्वाभाव पर काफी असर पड़ता है। जब व्यक्ति मानसिक रूप से स्वस्थ होता है, तो उसका हर काम काफी अच्छे से होता है क्यों की वो अच्छे मनोस्तथी मे होता है।  लेकिन,

मनुष्य के जीवन में जिस तरह शारीरिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है उससे ज्यादा उसे मानसिक स्वास्थ्य की आवश्यकता होती है। मनुष्य का मानसिक स्वास्थ्य ही उसकी बुद्धिमत्ता की की वास्तविक परख होता है।एक व्यक

महाकवि कालिदास के एक सूक्ति है - शरीरमाद्यं खलु धर्मसाधनम्' अर्थात धर्म का (कर्तव्य का) सर्वप्रथम साधन स्वस्थ शरीर है।  यदि शरीर स्वस्थ नहीं तो मन स्वस्थ नहीं रह सकता।  मन स्वस्थ नहीं तो विचार स्वस्थ

डियर दिलरुबा दिनांक-11/9/22 दिन-रविवार तुम अपना रंजो गम, अपनी परेशानी मुझे दे दो, तुम्हें ग़मकी कसम अपनी निगेहबानी मुझे दे दो। हां दिलरुबा तुम्हारे लिए ही तो लिख रही हूं,,,, तुम आजकल कुछ ज्यादा प

स्वास्थ्य शरीर में बसता है,स्वस्थ मन उसमें रमता है।स्वास्थ्य उत्तम होगा यदि,खेलकूद मन को सूझता है।।जीवन में होता मुख्य स्थान,उत्तम स्वास्थ्य से हो महान।स्वस्थ जीवन अमूल्य निधि,स्वस्थ रहो तुम बहु बिधि।

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