खुश थी मैंने तुम्हें पा लिया था
अपनी खुशियों का चिराग जला लिया था
तुमने भी तो सहमति जतायी थी
इस इश्क के बीच की दीवार गिराई थी
फिर क्यों ये बाग उजड़ गया
पतझड़ आने से पहले ही फूल झड़ गया
10 जुलाई 2024
खुश थी मैंने तुम्हें पा लिया था
अपनी खुशियों का चिराग जला लिया था
तुमने भी तो सहमति जतायी थी
इस इश्क के बीच की दीवार गिराई थी
फिर क्यों ये बाग उजड़ गया
पतझड़ आने से पहले ही फूल झड़ गया
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D