गीत तो बहुत लिखे,
पर प्रेम का ना लिख पाया हूं।
इश्क के समन्दर में,
डूब के ना तर पाया हूं।
चेहरे तो बहुत देखे,
पर भरोसा न कर पाया हूं।
अब तो बस एकाकी है, जीवन हमारा,
अब खुदा ही दे, इसको किनारा।
8 अगस्त 2024
गीत तो बहुत लिखे,
पर प्रेम का ना लिख पाया हूं।
इश्क के समन्दर में,
डूब के ना तर पाया हूं।
चेहरे तो बहुत देखे,
पर भरोसा न कर पाया हूं।
अब तो बस एकाकी है, जीवन हमारा,
अब खुदा ही दे, इसको किनारा।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D