कभी अश्क निकलने से पहले,
पोंछ लेते थे वो हमारे।
आज कहते है कि,
हमने देखा ही नहीं।
कभी कहने से पहले,
बात जान लेते थे वो हमारी।
आज कहते है कि,
हमने सुना ही नहीं।
इस इश्क की वीरानी में,
आज उनका नाम नहीं।
वो जो चाहे कह ले,
अब हमे उनपर एतबार नहीं।