उन्हें शौक ना था,
किस्सों, कहानियों का।
हमें नशा था,
इन दास्तानों का ।
उनकी खामोशी में,
हम भी खामोश बह गए।
किस्से, कहानियों के सिलसिले,
अफसाना बन के रह गए।
10 जुलाई 2024
उन्हें शौक ना था,
किस्सों, कहानियों का।
हमें नशा था,
इन दास्तानों का ।
उनकी खामोशी में,
हम भी खामोश बह गए।
किस्से, कहानियों के सिलसिले,
अफसाना बन के रह गए।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D