अपने दिल की दीवारे,
रंगने आई थी मैं, प्रेम से तुम्हारे।
अपने इश्क की फुहारें,
लेकर आई थी मैं, दरवाज़े पे तुम्हारे।
तुम कठोर दिल थे,
जो स्वीकार न किया मुझे।
इश्क की राहों पे यूं ही,
रुसवा किया मुझे...
6 अगस्त 2024
अपने दिल की दीवारे,
रंगने आई थी मैं, प्रेम से तुम्हारे।
अपने इश्क की फुहारें,
लेकर आई थी मैं, दरवाज़े पे तुम्हारे।
तुम कठोर दिल थे,
जो स्वीकार न किया मुझे।
इश्क की राहों पे यूं ही,
रुसवा किया मुझे...
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D