कुछ अजीब सी है, ये तन्हाई,
कुछ अजीब सी है, ये खामोशी,
कुछ तो अजीब है, इन हवाओं में,
तुम्हारे चले जाने के बाद।
कुछ रात भी तो, यूं कटती नहीं,
कुछ बात भी तो, यूं होती नहीं,
कुछ तो सरगोशी है, इन फिजाओं में
तुम्हारे चले जानें के बाद।
6 अगस्त 2024
कुछ अजीब सी है, ये तन्हाई,
कुछ अजीब सी है, ये खामोशी,
कुछ तो अजीब है, इन हवाओं में,
तुम्हारे चले जाने के बाद।
कुछ रात भी तो, यूं कटती नहीं,
कुछ बात भी तो, यूं होती नहीं,
कुछ तो सरगोशी है, इन फिजाओं में
तुम्हारे चले जानें के बाद।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D