बिखर के टूटना और फिर संभलना आया ना हमे।
तूने जो ठुकराया, तो अपनाया ना हमे।
तेरी बाहों के साए में, गुदगुदाया ना हमे।
तूने अपने बाग का फूल, बनाया ना हमे।
तेरे इश्क ने तो इजाज़त दी थी, हम पर मर मिटने की।
पर तूने ही प्यार से, बुलाया ना हमे।
8 अगस्त 2024
बिखर के टूटना और फिर संभलना आया ना हमे।
तूने जो ठुकराया, तो अपनाया ना हमे।
तेरी बाहों के साए में, गुदगुदाया ना हमे।
तूने अपने बाग का फूल, बनाया ना हमे।
तेरे इश्क ने तो इजाज़त दी थी, हम पर मर मिटने की।
पर तूने ही प्यार से, बुलाया ना हमे।
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मुझे कविता और कहानी लिखना और पढ़ना बहुत पसंद है। मन में कुछ भावनाएं और विचार आते है, उन्हें लिख लेती हूं । उम्मीद करती हूं मेरा लिखा हुआ आप लोगो को पसंद आए। यदि अच्छा लगे तो कमेंट करके मेरा प्रोत्साहन बढ़ाइएगा।D