shabd-logo

प्रेम

hindi articles, stories and books related to Prem


अब तक आपने देखाअनुभव के आने का इंतजार करने लगी ,  क्योंकि मानवी को इतने बड़े घर में अकेले डर लग रहा था । अब आगे मानवी अनुभव के घर आने का इंतजार करने लगी । वो कभी घड़ी के तरफ देख रही थी

यादों में तेरी ना जागा, ना सोया जाता है, हर तरफ, कायनात में तेरा चेहरा नजर आता है, प्यार में तेरे, कुछ मजबूर हुआ दिल मेरा इस कदर, तेरी एक झलक से ही, अब इसको करार आता है! चाहतों में तेरी, यह दिल मेरा ख

 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

अब तक आपने देखामिस्टर सिकरवार के तरफ मुडी और बोली 😊  — अच्छा तो अब चलिए ... कहीं देर ना हो जाए । अगर मैं वहां लेट पहुंची तो मुझे मेरी सहेली से बहुत कुछ सुनने को मिलेगा । अब आगे मि

अब तक आपने देखाइसे देखकर तो लग रहा है जैसे कि आप दो - तीन महीने के लिए जा रही हो वहां । अब आगे          माधुरी जी हंसकर बोली - अरे बेटा ऐसी कोई बात नहीं है । मैं वहा

काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

featured image

बड़े दिनों के बाद इस मन में सन्नाटा सा छाया है | देख लकीरें हाथों की एक प्रश्न ज़हन में आया है | मन की खुशियों को बेचकर क्या खोया क्या पाया है | लाख उम्मीदें थी जीवन से कामयाबी की दौड़ मे

नैनो की वो मझधार  जो रुक भी ना सकी और रो भी ना सकी इजहार तेरे इश्क का  तुझसे जुदा होते वक्त कर भी न सकी सिसक कर रह गई तब मेरी हर एक सांस जब तेरी झुकती पलकें भी  उन जाते लम्हे को थाम ना स

एक बात रह गई थी अधूरी जो चाही हमें करनी पुरी उन चाहत को अबाद करे फिर एक नई शुरुआत करें खामोश तब ये आंखें थी हल्की हल्की सी साँसे थी कुछ दिल से दिल की बातें थी चल दिल की सारी बात करे फिर एक नई शुरुआत क

दिल  की बाते गर सुन ले तो ओर भी अच्छा हैउसके बिन अब जीना है  प्यार मेरा ये सच्चा है...एक  ख्वाब  सा आया मुझको, फिर जाने क्यों रूठ गयादिल था पत्थर लेकिन फिर भी,इक  फूल&nbs

भंवर यह कहानी भारत श्री लंका के कानूनी पेचीदगियों को उजागर करती है । हर देश की अपनी कानूनी व्यवस्था और वैधानिक दांव पेंच होते हैं । भारत की कानून व्यवस्था इतनी जटिल और जोड़ तोड़ वाली  है कि कोई भी कानू

मेरे दिल में अभी भी है, लेकिन किस्मत से निकल गयी है, कल राह में मिला था उससे, वो कितनी बदल गयी है.उसके हाथों में चुड़ियाँ, और मांग में सिंदूर देखकर, मेरी आँखें फटी की फटी रही,

 अब तक आपने देखाअब मैं क्या करूं .... फिर अचानक उसके दिमाग में एक बात आई और वो मिस्टर सिकरवार के पास कॉल कर के अपनी बात कहीं । अब आगे              मान

आखिर क्यों ,अच्छा लगता है मुझे उनके होठों पर अपना नाम,आखिर क्यों, चेहरा दिखाई देता है उनका मुझे सुबह शाम,आखिर क्यों, उनकी महक ही घुली है इन हवाओं में,आखिर क्यों, वही हैं बसे इन फिजाओं में…आखिर क्यों,

दिल के लफ्ज़ अल्फ़ाज़ बन जाते हैं।दिल की दास्तान दिल को सुनाते हैं।।शुक्रिया है तेरे फैसले का ओ सनम।हमारी अल्फाजों को दिल में समाते है।।आगाज़ से पहले तुम दिल का मुकम्मल ना देना।दिल के आंचल में तुम मुझ

मानव और प्रिशा ढलते सूरज की और देखते हुए विक्टोरिया मेमोरियल की बेंच पर बैठे हुए थे. सूरज की लालिमा सामने तालाब के पानी में गिर रही थी जो सचमुच इस पल को कुछ ज्यादा ही रोमांटिक बना रही थी. ऐसे मौसम में

दिल में रहने वाले कमाल करते हैं, हम से मिलते हैं हमीं से सवाल करते हैं।  आज शहर में, ऐ सूनापन कैसा हैं? जहाँ पर भीड़ होती थी वहाँ खालीपन कैसा हैं?   लो आज कहाँ आ गयें हम, क्या थे और क्या

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए