दोहे—मीरा दीवानी हुई , श्याम दिखे चहुँओर ।विष प्याला अमृत हुआ,श्याम समाए कोर ॥मीरा की वाणी बसे, सप्त सुरों का मेल ।कृष्ण भजन में रम गई,राणा खेलें खेल ॥दासी मीरा हो गई,कृष
माना करा सा है बेपरवाह इश्क मेरापर चाहत बेशुमार हैकैस बतलाऊं सनम कितना है तुमसे प्यारसर्द मौसम में सुनहरी धूप से लिपटकरपिघलती ओस की बूंदों सा खुमारफिजाओं में महकती बाहर सामेरा तुमसे प्यारअधेरी रा
आपने पीछले भाग में देखा अपर्णा - सच में मुझे तो ऐसा नहीं लगता । सेजल अपर्णा को मारने के लिए दौड़ आने लगी तो अपर्णा खुद को उसके मार से बच
अब तक आपने देखातुम कोई मीठा चीज बना लो , जो तुम्हें पसंद आये और फिर वो प्रतिक्षा को बता दि कि कौन चीज कहां हैं और बाहर चली गयी , ये कह कर की , मेरी जब जरूरत हो तो बुला लेना । हिचकिचाना नहीं ... मैं यह
अब तक आपने देखा मानवी अनुभव की लास्ट वाली बात से पूरी तरह से झन्ना गयी उसका मन किया कि वो अनुभव का गला दबा दे । वो अनुभव को पिछे से गुस्से में बोली — तुम हो छि
आपने पिछले भाग में देखा सुलोचना - हुह ... शायद तुम भूल रहे हो कि तुमने मुझे कब का अपने रेस्टोरेंट निकाल चुके हो । अब हमारे बीच कोई बॉस और इम्प्लोई का रिश्ता नहीं रहा ।
प्राचीन काल में ‘करवा’ नाम की एक पतिव्रता स्त्री अपने पति के साथ नदी किनारे एक गाँव में रहती थी । कार्तिक मास के कृष्णपक्ष की चतुर्थी (चौथ) के दिन उसका पति नदी में स्नान करने के लिए गया । स्नान करते स
इतिहास में मीराबाई का नाम बड़े आदर और सत्कार से लिया जाता है मीराबाई मध्यकालीन युग की एक कृष्ण भक्त कवियित्री थी जिन्होंने श्री कृष्ण को प्राप्त करने के लिए भक्ति मार्ग चुना और हमेशा भजन तथा कीर्तन के
उसे इंतेज़ार रहता है उस इक हसीन लम्हे का । वो लम्हा जो शायद जिंदगी के मायनों से मिला दे , जिंदगी का मतलब बता दें या फिर जिंदगी के उन गुत्थियों को सुलझा दे जिनसे मुंह मोड़ लिया है उसने । अपनी ही दुनिया म
आपने पीछले भाग में देखासुलोचना - हु .. ह .. मैं तुम लड़को को जानती हूँ । जब तुम्हें कोई काम होता है । तो तुम सब बटरिंग करना शुरु कर देते हो । चल अपना काम बोल । क्या चाहिए मेरे से । र
आपने पीछले भाग मे देखा आरव की बात सुनकर सुलोचना भी गुस्से में बोली - मुझे भी कोई शौक नहीं है । इतनी बेजती के होने के बाद जॉब करने की । सोच लो बाद में पछताना ना पड़े तुम्हें । आरव -
🌸🌸💮💮🏵️🏵️🌻🌻☘️☘️🍃🍃🌿🌿🌱🌱🌷🌷मुसीबत के क्षण में ,पल गुजारें कैसे ,खुशी भी है ,गम भी हैसमझ में आता नहीं ,सवारें कैसे ॥ हंसना होता तोखुल कर
💖💛💫🌟✨💛💚💙💜💘❤️💙💚💛सुनहरी शाम की राहों में तेरी उंगली थामें चलता रहा !तेरे सहारे से गीर कर संभलता रहा !!मैने सोचा था अपने हाथों से , तुम मोहब्बत की दो घुँट जाम पिलाओंगी !इस सुनहरी शाम को
❤️💘💝💖♥️💚💙🧡💛💜💓💗अर्ज किया है . . .तुझसे तेरा दिवाना ....उसकी इक ख़्वाहिश पूरी कर दो ....दो घड़ी ही सही पर , ....आज़ाद कर दो ज़ुल्फो को ....इन कम्बख्त क्लिपों से ....उड़ने दो इन्हें हवाओं में .
💘💘❤️❤️🌷🌻🏵️🌼🌹🌺🌾💮🌴🍀🍀ये कोई अपने ऊपर ना ले । आज के जेनरेशन को देखते हुए लिखा है ।वो लोगों के बीच अपना हाल -ए दिल बयां करते हैं ।हाँ है उन्हें किसी से बेपनाह मोहब्बत ये ऐलान करते हैं॥फि
💓 जो दिल कभी धड़का ना था किसी के खातिर ।❤️🌹तुम उसकी धड़कन बन गये ॥💗👁️जो ख़्वाब कभी देखा ना था किसी के खातिर ।❤️तुम्हारे लिए वो ख़्वाब देखने लग गये ॥🌹🌹हम अपनी सुध -बुध गवां बैठे है ।❤️💓मेरे दिल
मै तुझसे इक गुज़ारिश करता हूँ ।😍💝खोल दे तु तेरे दिल का दरवाज़ा उसमें समाना चाहता हूं ॥❤️💝तेरे दिल के घर में इक कोना चाहता हूँ ।❤️💝दे दे पनाह उसमें रहना चाहता हूँ ॥❤️💝कहने लगे है लोग हमें नाकाबिल
💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘💘तु जानती है न ... हमारे मोहल्ले की दो गलियो को ...जिस दिन एक गली से रुखसती के बाद तेरी बिदाई होगी ...दूसरी गली में मेरा जनाजा होगा ...तू जा रही होगी एक शहजादे के पास ...पर हम
🌿जिसे दिल से चाहा था ।🌹🌹वो चाहत पूरी हुई आज ॥🌿🌿जिसकी तलब थी ।🌹🌹वो तलब पूरी हुई आज ॥🌿🌿तुझसे बेवजह लड़ने की जो ख्वाहिश थी ।🌹🌹वो ख्वाहिश पूरी हुई आज ॥🌿🌿जिसे सिद्दत से मांगा था ।🌹🌹वो मुराद
💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔💔जाना है तो शौक से जाओहम तुम्हे रोकेंगे नहींपर ये तो बताते जाओमुझसे मुँह मोड़ने की वजह क्या है तेरीदर्द तो मुझे जिंदगी ने बहुत दिये हैहम ये जुदाई भी सह लेंगेआखिर क्या थी म