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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022

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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर तक उसे दूर से देखता
रहा और फिर उसके पास आकर बोला, “इतनी नर्वस क्यों हो आई एम श्योर तुमने अच्छा काम किया है” 

“पता नहीं, जब तक देखती नहीं तब तक टेंशन रहेगी”, काश्वी ने जवाब दिया 

“पता है तुम्हें देखकर मुझे अपने स्कूल के दिन याद आ रहे हैं रिजल्ट के पहले ऐसे ही लगता था”, निष्कर्ष ने मुस्कुराते हुए कहा 

काश्वी भी हंसने लगी, “हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है”, काश्वी ने जवाब दिया 

“अच्छा रूको तुम्हारी टेंशन थोड़ी कम करके आता हूं, पता करता हूं, कितना और वक्त लगेगा”, ये कहकर निष्कर्ष वहां से चला गया 

कुछ देर बाद जब वो लौटा तो काश्वी फिर उसी तरह चहलकदमी करती नजर आई, काश्वी के पास आकर निष्कर्ष ने कहा “अभी तो एक घंटा और लगेगा, चलो एक काम करते हैं तुम्हें कॉफी पिलाता हूं, चले?” 

काश्वी ने कोई जवाब नहीं दिया तो निष्कर्ष ने फिर कहा, “चलो न काश्वी यहां रहने से कोई फायदा नहीं वो मुझे फोन कर देंगे,
टाइम पास हो जाएगा और तुम्हारी टेंशन भी कम होगी”, 

इस बार काश्वी ने हामी भर दी और दोनों रिजॉर्ट के डाइनिंग रूम में जाकर बैठ गये, 

कॉफ़ी मंगाकर निष्कर्ष ने काश्‍वी को देखा, वो जैसे डर से कांप रही थी, काश्‍वी का ध्‍यान किसी और बात में लगाना ही निष्‍कर्ष को ठीक लगा, उसने पूछा, “बताओ काश्वी तुम्हें फोटोग्राफी क्यों पंसद है” 

सवाल सुनकर काश्वी मुस्कुराने लगी क्योंकि बात उसी चीज की हो रही है जो उसे सबसे ज्यादा प्यारी है, मुझे घूमना पंसद है, नई जगह देखना पंसद है, नई चीजों को, नई बातों को जानना पंसद है पर एक प्रोब्लम है, जब भी किसी अच्छी जगह जाती हूं तो लगता है वहीं रह जाउं लेकिन ये पोसिबल नहीं तो उस जगह की यादें कैमरे में कैद करके अपने साथ ले आती हूं,
वक्त को रोक कर उसे अपनी मुट्ठी में करना चाहती हूं ताकि बीत जाने के बाद भी जब उसकी तस्वीरें देखूं तो उसे फिर से जी सकूं और आप इंजीनियर कैसे बन गये?”, काश्वी ने सवाल किया 

“मैं… मुझे चीजों को रोकना नहीं उन्हें बहने देना अच्छा लगता है, कुछ ऐसा करना अच्छा लगता है जिससे किसी की जिंदगी आसान कर सकूं”, निष्कर्ष ने जवाब दिया “मतलब कैसे?”, काश्वी ने पूछा 

“देखो सामने उस पहाड़ के पास जो छोटा सा गांव देख रही हो वहां बिजली नहीं पहुंच सकती, बिजली पहुंचाने के लिये बहुत बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरुरत थी जब तीन साल पहले यहां आया तो देखा वहां के लोग ऐसे ही जी रहे थे सालों से, जब वापस लौटा तो दिमाग लगाया और एक ऐसा प्रोजेक्ट बनाया जिससे लोग अपने घर में ही बिजली पैदा कर सके और उसका इस्तेमाल कर सके, दो साल पहले मेरा एक्सपेरिमेंट कामयाब रहा और यहां सोलर एनर्जी से सबके घरों को बिजली मिली, थोड़ी ही सही पर रोशनी तो है, बस यही करना चाहता था”, निष्कर्ष ने जवाब दिया 

काश्वी को निष्कर्ष की ये बात अच्छी लगी, काफी देर तक दोनों बात करते रहे… फोटोग्राफी और इंजीनियरिंग की बात करते वक्त कैसे गुजर गया दोनों को पता ही नहीं चला, इसी बीच निष्कर्ष को फोन आया कि वो फोटो तैयार हो गई हैं और उत्कर्ष ने सबको हॉल में बुलाया है   

निष्कर्ष और काश्वी फटाफट वहां से चल दिए, हॉल में सब लोग जमा हुए, जो फोटो असाइनमेंट मिला था उस पर डिस्कशन होने लगा, एक-एक कर सबकी फोटोग्राफ को प्रोजेक्टर पर दिखाया गया और उसका एनालिसिस किया जाने लगा, काश्वी वहीं एक कोने पर निष्कर्ष के साथ रूक गई, निष्कर्ष ने उसे आगे जाने को कहा तो काश्वी ने सि‍र हिलाकर मना कर दिया, काश्वी का चेहरा लाल हो गया है शायद डर से, शायद वो कुछ ज्‍यादा ही नर्वस है, काश्वी को देखकर निष्कर्ष ये समझ गया और उसने धीरे से उसके कान में कहा, “घबराओ मत तुम्हारी तस्वीरें सबसे अच्छी होगी”, 

काश्वी ये सुनकर मुस्कुराने लगी, कुछ पल के लिये उसका डर भी गायब हो गया, निष्कर्ष जाने लगा तो काश्वी ने मुड़कर देखा, और इशारे से उसे वहीं रुकने को कहा, कुछ देर बाद काश्वी का नाम अनाउंस हुआ और उसकी तस्वीरें दिखाई गई, काश्वी की सांस जैसे अटकी हुई है लेकिन उत्कर्ष के चेहरे के भाव देखकर उसका डर कुछ कम होने लगा, उसकी तस्वीरों का रंग था नीला, नीला आसमान खुला हुआ सा, जिसमें उड़ते पंछी उसके खुलेपन का एहसास करा रहे हैं, हल्के नीले रंग पर सफेद बादल के टुकड़े जैसे नई-नई आकृतियां बना रहे हैं, एक तस्वीर में बादलों से झांकता चमकता सूरज भी है, जिसकी किरणें जब नीले पानी पर पड़ती है तो पानी को सुनहरा कर देती है जैसे सब कुछ रोशन हो गया हो, कैसे सूरज का रंग नीले रंग को और चमकदार करता है, एक तस्वीर में तो आसमान और जमीन का मिलन था और उसके बीच पहाड़ों पर चमकती सफेद बर्फ, दूर कहीं कोई चरवाहा जानवरों को लेकर गुजर रहा था, हरा, नीला और पानी का सुनहरा रंग सब देखकर हर कोई
उसकी गहराई को समझने की कोशिश में लगा रहा और इस बार निष्कर्ष की आंखों में भी पानी की हल्की लकीर उतर आई, शायद अब उसे भी काश्वी की तस्वीरों में जिंदगी की झलक दिखाई दी है 

कुछ तस्वीरें सुकून देती है, उनमें छुपी कहानी को समझ ले तो बहुत कुछ पता चलता है। प्रकृति के हर कण में जिंदगी का सार छुपा होता है। खुला नीला आसमान कहता है कि अपने विचारों को भी खोल दो, हर बात को खुले मन से सुनो और खुली आंखों से उसका दीदार करो… जब उसी आसमान पर सफेद बादल आते तो वो उसी तरह आसमान में हलचल पैदा करते हैं जैसे हमारी जिंदगी में किसी के आने या जाने से होती है। कुछ बादल सफेद होते हैं यानि वो लोग जो हमें खुशी दे जाते हैं और कुछ काले जैसे दुख के समय होता है, कभी-कभी यही काले बादल पूरा आसमान घेर लेते हैं जैसे कभी छटेंगे नहीं। हर ओर दुख का अंधेरा जैसे हमारे जीवन में होता है लेकिन इन्हीं बादलों से लड़कर जब सूरज अपना रास्ता बनाता है तो सब सुनहरा हो जाता है। पानी पर सूरज की किरणों की परछाई दिखने लगती है, ये वो वक्त होता है जब बड़ी मुसीबत से निकल
हम नये सफर पर चल निकलते है नई मंजिल को पाते हैं, मुस्कुराते हैं, जैसे नदी झूमती हुई पहाड़ों से निकलती है और अपना रास्ता बनाती है। ये नदी भी कई पड़ावों से गुजरती है कभी ऊपर से नीचे गिरती है और कभी शांत, किसी समझदार इंसान के मन की तरह, बिना किसी तूफान के बहती जाती है… 

पता नहीं उस हॉल में कितने लोगों को काश्वी की तस्वीरों में छुपी कहानी नजर आई लेकिन दो लोगों के मन की बात काश्वी उनके चेहरे पढ़कर जान गई, एक उत्कर्ष जो काश्वी की तारीफ करते नहीं थक रहे थे और दूसरा निष्कर्ष जो कुछ कह नहीं पा रहा था पर उसकी खामोशी बहुत कुछ कह गई, वैसे भी हर बात बतानी जरूरी नहीं होती 

अब डर गायब हो गया था काश्वी के चेहरे से, सिर्फ सुकून था कि उसने जो काम किया वो सही है   

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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