अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है, निष्कर्ष काफी देर तक उसे दूर से देखता
रहा और फिर उसके पास आकर बोला, “इतनी नर्वस क्यों हो आई एम श्योर तुमने अच्छा काम किया है”
“पता नहीं, जब तक देखती नहीं तब तक टेंशन रहेगी”, काश्वी ने जवाब दिया
“पता है तुम्हें देखकर मुझे अपने स्कूल के दिन याद आ रहे हैं रिजल्ट के पहले ऐसे ही लगता था”, निष्कर्ष ने मुस्कुराते हुए कहा
काश्वी भी हंसने लगी, “हां मुझे भी ऐसा ही लग रहा है”, काश्वी ने जवाब दिया
“अच्छा रूको तुम्हारी टेंशन थोड़ी कम करके आता हूं, पता करता हूं, कितना और वक्त लगेगा”, ये कहकर निष्कर्ष वहां से चला गया
कुछ देर बाद जब वो लौटा तो काश्वी फिर उसी तरह चहलकदमी करती नजर आई, काश्वी के पास आकर निष्कर्ष ने कहा “अभी तो एक घंटा और लगेगा, चलो एक काम करते हैं तुम्हें कॉफी पिलाता हूं, चले?”
काश्वी ने कोई जवाब नहीं दिया तो निष्कर्ष ने फिर कहा, “चलो न काश्वी यहां रहने से कोई फायदा नहीं वो मुझे फोन कर देंगे,
टाइम पास हो जाएगा और तुम्हारी टेंशन भी कम होगी”,
इस बार काश्वी ने हामी भर दी और दोनों रिजॉर्ट के डाइनिंग रूम में जाकर बैठ गये,
कॉफ़ी मंगाकर निष्कर्ष ने काश्वी को देखा, वो जैसे डर से कांप रही थी, काश्वी का ध्यान किसी और बात में लगाना ही निष्कर्ष को ठीक लगा, उसने पूछा, “बताओ काश्वी तुम्हें फोटोग्राफी क्यों पंसद है”
सवाल सुनकर काश्वी मुस्कुराने लगी क्योंकि बात उसी चीज की हो रही है जो उसे सबसे ज्यादा प्यारी है, मुझे घूमना पंसद है, नई जगह देखना पंसद है, नई चीजों को, नई बातों को जानना पंसद है पर एक प्रोब्लम है, जब भी किसी अच्छी जगह जाती हूं तो लगता है वहीं रह जाउं लेकिन ये पोसिबल नहीं तो उस जगह की यादें कैमरे में कैद करके अपने साथ ले आती हूं,
वक्त को रोक कर उसे अपनी मुट्ठी में करना चाहती हूं ताकि बीत जाने के बाद भी जब उसकी तस्वीरें देखूं तो उसे फिर से जी सकूं और आप इंजीनियर कैसे बन गये?”, काश्वी ने सवाल किया
“मैं… मुझे चीजों को रोकना नहीं उन्हें बहने देना अच्छा लगता है, कुछ ऐसा करना अच्छा लगता है जिससे किसी की जिंदगी आसान कर सकूं”, निष्कर्ष ने जवाब दिया “मतलब कैसे?”, काश्वी ने पूछा
“देखो सामने उस पहाड़ के पास जो छोटा सा गांव देख रही हो वहां बिजली नहीं पहुंच सकती, बिजली पहुंचाने के लिये बहुत बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर की जरुरत थी जब तीन साल पहले यहां आया तो देखा वहां के लोग ऐसे ही जी रहे थे सालों से, जब वापस लौटा तो दिमाग लगाया और एक ऐसा प्रोजेक्ट बनाया जिससे लोग अपने घर में ही बिजली पैदा कर सके और उसका इस्तेमाल कर सके, दो साल पहले मेरा एक्सपेरिमेंट कामयाब रहा और यहां सोलर एनर्जी से सबके घरों को बिजली मिली, थोड़ी ही सही पर रोशनी तो है, बस यही करना चाहता था”, निष्कर्ष ने जवाब दिया
काश्वी को निष्कर्ष की ये बात अच्छी लगी, काफी देर तक दोनों बात करते रहे… फोटोग्राफी और इंजीनियरिंग की बात करते वक्त कैसे गुजर गया दोनों को पता ही नहीं चला, इसी बीच निष्कर्ष को फोन आया कि वो फोटो तैयार हो गई हैं और उत्कर्ष ने सबको हॉल में बुलाया है
निष्कर्ष और काश्वी फटाफट वहां से चल दिए, हॉल में सब लोग जमा हुए, जो फोटो असाइनमेंट मिला था उस पर डिस्कशन होने लगा, एक-एक कर सबकी फोटोग्राफ को प्रोजेक्टर पर दिखाया गया और उसका एनालिसिस किया जाने लगा, काश्वी वहीं एक कोने पर निष्कर्ष के साथ रूक गई, निष्कर्ष ने उसे आगे जाने को कहा तो काश्वी ने सिर हिलाकर मना कर दिया, काश्वी का चेहरा लाल हो गया है शायद डर से, शायद वो कुछ ज्यादा ही नर्वस है, काश्वी को देखकर निष्कर्ष ये समझ गया और उसने धीरे से उसके कान में कहा, “घबराओ मत तुम्हारी तस्वीरें सबसे अच्छी होगी”,
काश्वी ये सुनकर मुस्कुराने लगी, कुछ पल के लिये उसका डर भी गायब हो गया, निष्कर्ष जाने लगा तो काश्वी ने मुड़कर देखा, और इशारे से उसे वहीं रुकने को कहा, कुछ देर बाद काश्वी का नाम अनाउंस हुआ और उसकी तस्वीरें दिखाई गई, काश्वी की सांस जैसे अटकी हुई है लेकिन उत्कर्ष के चेहरे के भाव देखकर उसका डर कुछ कम होने लगा, उसकी तस्वीरों का रंग था नीला, नीला आसमान खुला हुआ सा, जिसमें उड़ते पंछी उसके खुलेपन का एहसास करा रहे हैं, हल्के नीले रंग पर सफेद बादल के टुकड़े जैसे नई-नई आकृतियां बना रहे हैं, एक तस्वीर में बादलों से झांकता चमकता सूरज भी है, जिसकी किरणें जब नीले पानी पर पड़ती है तो पानी को सुनहरा कर देती है जैसे सब कुछ रोशन हो गया हो, कैसे सूरज का रंग नीले रंग को और चमकदार करता है, एक तस्वीर में तो आसमान और जमीन का मिलन था और उसके बीच पहाड़ों पर चमकती सफेद बर्फ, दूर कहीं कोई चरवाहा जानवरों को लेकर गुजर रहा था, हरा, नीला और पानी का सुनहरा रंग सब देखकर हर कोई
उसकी गहराई को समझने की कोशिश में लगा रहा और इस बार निष्कर्ष की आंखों में भी पानी की हल्की लकीर उतर आई, शायद अब उसे भी काश्वी की तस्वीरों में जिंदगी की झलक दिखाई दी है
कुछ तस्वीरें सुकून देती है, उनमें छुपी कहानी को समझ ले तो बहुत कुछ पता चलता है। प्रकृति के हर कण में जिंदगी का सार छुपा होता है। खुला नीला आसमान कहता है कि अपने विचारों को भी खोल दो, हर बात को खुले मन से सुनो और खुली आंखों से उसका दीदार करो… जब उसी आसमान पर सफेद बादल आते तो वो उसी तरह आसमान में हलचल पैदा करते हैं जैसे हमारी जिंदगी में किसी के आने या जाने से होती है। कुछ बादल सफेद होते हैं यानि वो लोग जो हमें खुशी दे जाते हैं और कुछ काले जैसे दुख के समय होता है, कभी-कभी यही काले बादल पूरा आसमान घेर लेते हैं जैसे कभी छटेंगे नहीं। हर ओर दुख का अंधेरा जैसे हमारे जीवन में होता है लेकिन इन्हीं बादलों से लड़कर जब सूरज अपना रास्ता बनाता है तो सब सुनहरा हो जाता है। पानी पर सूरज की किरणों की परछाई दिखने लगती है, ये वो वक्त होता है जब बड़ी मुसीबत से निकल
हम नये सफर पर चल निकलते है नई मंजिल को पाते हैं, मुस्कुराते हैं, जैसे नदी झूमती हुई पहाड़ों से निकलती है और अपना रास्ता बनाती है। ये नदी भी कई पड़ावों से गुजरती है कभी ऊपर से नीचे गिरती है और कभी शांत, किसी समझदार इंसान के मन की तरह, बिना किसी तूफान के बहती जाती है…
पता नहीं उस हॉल में कितने लोगों को काश्वी की तस्वीरों में छुपी कहानी नजर आई लेकिन दो लोगों के मन की बात काश्वी उनके चेहरे पढ़कर जान गई, एक उत्कर्ष जो काश्वी की तारीफ करते नहीं थक रहे थे और दूसरा निष्कर्ष जो कुछ कह नहीं पा रहा था पर उसकी खामोशी बहुत कुछ कह गई, वैसे भी हर बात बतानी जरूरी नहीं होती
अब डर गायब हो गया था काश्वी के चेहरे से, सिर्फ सुकून था कि उसने जो काम किया वो सही है