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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022

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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हमेशा की तरह काश्वी का कैमरा उसके हाथ में है। हरियाणा के बाद अब पंजाब की सौंध्री खुश्बू आने लगी जहां से गुजर कर हिमाचल का रास्‍ता निकलता है। सरसों के पीले खेतों में सि‍र पर पगड़ी बांधे किसान काम करते नजर आए, कहीं घरों के चूल्हों से निकलता धुआं आसमान की ओर सफेद बादल सा उठता दिखाई दिया। हाइवे के साथ थोड़ी दूर दौड़ती ट्रेन भी नजर आई, ट्रेन की आवाज सुनने के लिये काश्वी ने अपने हेड फोन कान से निकाल दिए, छुक छुक चलती गाड़ी पंसद थी उसे, रास्ते की हर खूबसूरत चीज को काश्वी वहीं रोक कर अपने कैमरे के जरिए फोटो बनाकर साथ ले जा रही है, ये तस्वीरें उसे रास्‍ते
की हर चीज याद दिलाएगी जब भी वो इसे याद करना चाहेगी। ये सफर काश्वी के लिये एक अच्छा एक्सपीरियंस होने वाला है ये अंदाजा था उसे और इससे जुड़ी हर बात को वो रिकॉर्ड में रखना चाहती है। अपनी तस्वीरों के साथ अपने दिल दिमाग में हर तस्वीर की व्याख्या करती जा रही है वो, जैसे खुद को समझा रही हो कि वो जो देख रही है कैसे हो रहा है उसके क्या मायने हैं, उसके दिमाग का डेटा बेस भर रहा है दिमाग का दायरा बढ़ रहा है, अपने शहर की छोटी छोटी गलियों और बड़ी बड़ी इमारतों से अलग उसे यहां छोटे-छोटे घर और खुला आसमान दिख रहा है। हाइवे से गुजरकर जब किसी छोटे से शहर से होकर निकलती उसकी बस तो वो ये देखकर हैरान होती कि यहां के लोगों का पहनावा और व्यवहार कैसे अलग है पिछले शहर से, दिल्ली में कुछ और हरियाणा में कुछ और पंजाब में कुछ और… पहनने, ओढ़ने का तरीका अलग, जीने का तरीका अलग, पंरपराएं और मान्यताएं अलग, भाषा भी तो एक सी नहीं, जबकि अभी कुछ ही घंटे हुए सफर करते, कुछ किलोमीटर
में ही कैसे सब बदल जाता है ये देखकर वो हर बार हैरानी होती है और सोचती है कि इंसान तो वही है पर दिखता अलग क्‍यों है?

कई घंटे हो गये चलते-चलते, सबने थोड़ा रूक कर कुछ खाने-पीने का फैसला किया। हाइवे के एक कोने पर छोटे से शॉपिंग आरकेड के बाहर बस रुकी, यहां से आगे का रास्ता पहाड़ का था तो वहां रुकना मुश्किल होगा इसलिये लंच और चाय कॉफी के लिये यहां रूकना सभी को सही लगा। सब बस से नीचे उतर गये और अंदर रेस्टोरेंट की तरफ बढ़ने लगे, निष्कर्ष ने सबको बताया कि यहां बस आधे घंटे के लिये रुकेगी। सब मस्त थे, कोई कुछ खा रहा था और कोई बातों में लगा था। निष्कर्ष भी सबका ख्याल रखने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहा आखिर ये सारे स्‍टूडेंट उसकी जिम्मेदारी जो है, वो हर टेबल पर जाकर सबसे बात करने लगा, कुछ देर बाद उसे काश्वी का ख्याल आया, पूरे रेस्टोंरेंट में देखा पर वो वहां नहीं दिखी, निष्कर्ष ने अपनी टीम से कहा और सब उसे ढूंढने निकल गये। रेस्टोरेंट से बाहर आकर निष्कर्ष भी काश्वी को ढ़ूढने निकल गया। पूरे शॉपिंग कॉम्प्लेक्स में उसे तलाश करने लगा निष्‍कर्ष और आखिरकार वो उस कॉम्प्लेक्स की एक छोटी सी हैंडक्राफ्ट की दुकान में कुछ चीजें देखती मिली। हाथ से बनी चीजों के बारे में काश्वी दुकान में बैठी एक बूढ़ी सी महिला से पूछ रही थी, अपने कैमरे से चीजों की तस्वीरें खींचने के साथ वो उसे बनाने का तरीका भी सीख रही थी शायद, निष्कर्ष दुकान के बाहर से उसे देखता रहा और फिर कुछ पल के बाद अंदर जाकर कहा, “काश्वी, आप यहां हैं सब ढूंढ रहे हैं, अकेले क्यों आ गई किसी को साथ ले आना था” काश्वी ने निष्कर्ष की तरफ देखा और कहा, “वो बस ऐसे ही, घूमते- घूमते यहां आ गई” निष्कर्ष मुस्कुरा दिया और कहा, “आपको कुछ खाना नहीं, सब वहां लंच कर रहे हैं” “नहीं, कुछ नहीं, मैं ठीक हूं, थैंक्स, आप चलो, मैं बस आती हूं”, काश्वी ने निष्कर्ष से कहा

निष्कर्ष को लगा कि काश्वी उसे इतने प्यार से जाने के लिये कह रही है, अब तो जाना ही पड़ेगा, निष्कर्ष वहां से वापस रेस्टोरेंट आ गया। आधे घंटे के बाद सब वापस बस की तरफ जाने लगे, निष्कर्ष अब भी काश्वी को ढ़ूंढ रहा था उसे लगा पता नहीं वो कहां है उसने टाइम देखा या अपने कैमरे के साथ ही बिजी है, ये सोचता हुए निष्कर्ष हर तरफ देख रहा था, बस के पास पहुंचा तो काश्वी वहीं थी। बस का दरवाजा खुला और सब उसमें चढ़ गये, गाड़ी स्टार्ट हुई और एक बार फिर सफर शुरू हो गया। काश्वी अब बस में बैठकर अभी-अभी खींची अपनी तस्वीरों को देखने लगी, जो उसे पंसद आई उसने सेव कर लिया और जो नापंसद थी उन्‍हें डीलीट कर दिया। अब भी काश्वी की दुनिया में सिर्फ वो, उसका कैमरा, कानों में लगा हेडफोन और खिड़की के बाहर गुजरते रास्तों की आती जाती चीजें ही है, बस के बाकी लोग उसके लिये जैसे है ही नहीं, पूरे रास्ते काश्वी ने
किसी से बात नहीं की। पहाड़ी रास्तों से गुजरती बस ऊपर की तरफ बढ़ रही थी बाहर जो दिख रहा था, उसे ठीक से देखने
से पहले ही बस घूम जाती थी, छोटे-छोटे मोड़ और पतले लंबे पेड़ों का जंगल, साफ हवा में घुली फूलों की खुश्बू और ढलती शाम की हल्की ठंड, अपने घोसलों को वापस लौटते पक्षियों का शोर जो शहरों के ट्रेफिक में सुनाई भी नहीं देता, यहां बस के शोर के बावजूद साफ-साफ सुनाई दे रही है, पहाड़ों की चढ़ाई और फिर ढलान वाले रास्तों से गुजरना अपने आप में सुकून सा भरा होता है जो घंटों के सफर की थकान को झट से दूर कर देता है। शाम के छह बज गये, मंजिल बस करीब है, निष्कर्ष ने सबको बताया कि 20 मिनट में हम पहुंचने वाले है, जहां से शुरु होगा फोटोग्राफी सीखने का एक नया सफर उन सबके लिये जो बस में सवार हैं।

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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