उतार चढ़ाव सी भरी जिंदगी
कर ले ईश्वर की हम बन्दगी
दो दिन है खु
हे त्रिलोकी त्रिलोचनम, भुजंग कंठ शोभितम, आदि देव शिव तुम सार्थकम, आराध्य का शिव तुम स्रोतत
कण कण मे बसते है भगवान
कण कण मे रहते है मेरे राम
जीवन जय अविराम
कुछ करने के लिये जिद्द ठान लो, और फिर वो जिद्द हकीकत में बदल जायेगी!
भाद्रपद शुक्ल तृतीया ज्योतिष तथा धर्मग्रन्थों में भाद्रपद शुक्ल तृतीया का बड़ा
कुछ यादें और तन्हाई
मुझको लाईं मधुशाला ।
साकी अपनी आंख
"भजन" "सुनो- सुनो कृष्ण, सुनो रे कन्हैया, क्यूं मेरे कान्हा तुमने, मुझे
ये गाना कितना अच्छा हे. ये आद्यात्मिक अनुभव देता है .