शुक्रवार दस सितम्बर यानी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से विघ्न विनाशक और ऋद्धि सिद्धि दायक गणपति बप्पा की उपासना का दश दिवसीय पर्व आरम्भ हो जाएगा | और उसके दूसरे दिन शनिवार यानी भाद्रपद शुक्ल पञ्चमी को ऋषि पञ्चमी के साथ ही दिगम्बर जैन सम्प्रदाय का दश दिवसीय पर्यूषण पर्व – जिसे साम्वत्सरिक पर्व भी कहा जाता है – आरम्भ हो रहा है | सर्वप्रथम सभी को गणेश चतुर्थी, ऋषि पञ्चमी और साम्वत्सरिक पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएँ...
गणेश चतुर्थी के विषय में मान्यता है कि इस दिन जो व्यक्ति चन्द्रमा के दर्शन करता है उस पर मिथ्या आरोप अथवा कलंक लग सकता है और इस सन्दर्भ में एक कथा भी कही जाती है कि एक कथा कही जाती है कि भगवान श्री गणेश जब पृथिवी की परिक्रमा करके सर्वाधिक पूज्य घोषित हुए तब सभी देवी देवताओं ने उनकी वन्दना की किन्तु चन्द्रमा ने अपने रूप के अहंकार के कारण उनके विचित्र रूप के कारण उनका उपहास उड़ाया | इस पर गणेश जी ने उन्हें श्राप दे दिया कि आज से तुम्हारा रंग काला हो जाएगा और कोई भी तुम्हारा मुख देखना पसन्द नहीं करेगा | श्राप देकर गणेश जी तो अपने निवास की ओर प्रस्थान कर गए किन्तु चन्द्रमा भय और लज्जा के कारण कुमुदिनियों के मध्य जा छिपे | चन्द्रमा के उदय न होने के कारण प्राणिमात्र को अत्यन्त कष्ट हुआ | तब ब्रह्मा जी की आज्ञा से सभी देवताओं ने तपस्या करके गणपति को प्रसन्न किया और भगवान गणेश ने वरदान दिया कि अब चन्द्रमा श्राप से तो मुक्त हो जाएँगे, किन्तु श्राप क्योंकि पूर्ण रूप से वापस नहीं लिया जा सकता इसलिए जो भी व्यक्ति भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी की चन्द्रदर्शन करेगा उस पर चोरी इत्यादि का मिथ्या कलंक
लगेगा | साथ ही यह भी सुझाया कि जो मनुष्य नियमित रूप से द्वितीया को चन्द्र दर्शन करता रहेगा उस पर चतुर्थी के चन्द्र दर्शन से कलंक नहीं लगेगा | कहते हैं भगवान श्री कृष्ण ने भी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को चन्द्रमा के दर्शन कर लिए थे इसलिए उन पर भी अपने भाई प्रसेनजित की ह्त्या तथा स्यमन्तक मणि की चोरी का मिथ्या आरोप लगा था | तब उन्होंने गणपति की उपासना करके उस कलंक से मुक्ति प्राप्त की थी | सामान्य भाषा में इसे “पत्थर चौथ” भी कहते हैं |
कथाएँ और लोक मान्यताएँ चाहे जितनी भी हों, गणपति विघ्नहर्ता हैं और परम पूज्य हैं |
जहाँ तक ऋषि पञ्चमी का प्रश्न है तो यह पर्व न होकर एक उपवास है जो सप्तर्षियों को समर्पित होता है | आरम्भ में सभी वर्णों का पुरुष समुदाय यह उपवास करता था, किन्तु अब अधिकाँश में महिलाएँ ही इस उपवास को रखती हैं | इस दिन स्नान आदि से निवृत्त होकर सातों ऋषियों की प्रतिमाओं को पञ्चामृत से स्नान कराया जाता है | उसके बाद उन्हें चन्दन कपूर आदि सुगन्धित द्रव्यों का लेप करके पुष्प-धूप-दीप-वस्त्र-यज्ञोपवीत-नैवेद्य इत्यादि समर्पित करके अर्घ्य प्रदान किया जाता है | अर्घ्य प्रदान करने के लिए मन्त्र है:
कश्यपोत्रिर्भरद्वाजो विश्वामित्रोय गौतम:
जमदग्निर्वसिष्ठश्च सप्तैते ऋषय: स्मृता:
गृह्णन्त्वर्ध्य मया दत्तं तुष्टा भवत मे सदा ||
अर्थात काश्यप, अत्रि, भारद्वाज, विश्वामित्र, गौतम, जमदग्नि और वशिष्ठ इन सातों ऋषियों को हम अर्घ्य प्रदान करते हैं, ये सदा हम पर प्रसन्न रहें | इस व्रत में केवल शाक-कन्द-मूल-फल आदि का भोजन करने का विधान है | मान्यता है कि सात वर्ष तक निरन्तर जो व्यक्ति इस व्रत का पालन करता है उसे समस्त प्रकार का सुख सौभाग्य प्राप्त होता है | सप्तम वर्ष में इस व्रत का उद्यापन किया जाता है जिसमें सात ब्राह्मणों को आमन्त्रित करके उन्हें यथाशक्ति दान दक्षिणा आदि भेंट करके भोजन कराके विदा किया जाता है |
भाद्रपद कृष्ण द्वादशी को श्वेताम्बर जैन सम्प्रदाय के पजूसन पर्व का आरम्भ हुआ था | पजूसन पर्व समाप्त होते ही दूसरे दिन से भाद्रपद शुक्ल पञ्चमी से दिगम्बरों के दशदिवसीय पर्यूषण पर्व का आरम्भ हो जाता है, जो मंगलवार यानी तीन सितम्बर से आरम्भ हो रहा है तथा भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा (अनन्त चतुर्दशी) को सम्पन्न होगा | कुछ लोग चतुर्थी से भी सम्वत्सरी का
आरम्भ मानते हैं – जो एक दिन पहले यानी सोमवार से आरम्भ हो जाएगा | इस पर्व का आध्यात्मिक महत्त्व इसके लौकिक महत्त्व से कहीं अधिक गहन है | जिस प्रकार नवरात्र पर्व संयम और आत्मशुद्धि का पर्व होता है, उसी भाँति पर्यूषण पर्व भी – जिसका विशेष अंग है दशलक्षणव्रत - संयम और आत्मशुद्धि के त्यौहार हैं | नवरात्र और दशलाक्षण दोनों में ही त्याग, तप, उपवास, परिष्कार, संकल्प, स्वाध्याय और आराधना पर बल दिया जाता है । यदि उपवास न भी हो तो भी यथासम्भव तामसिक भोजन तथा कृत्यों से दूर रहने का प्रयास किया जाता है | भारत के अन्य दर्शनों की भाँति जैन दर्शन का भी अन्तिम लक्ष्य सत्यशोधन करके उसी परमानन्द की उपलब्धि करना है | और इसे ही तत्वज्ञान कहा जाता है |
अस्तु, यदि कभी भूल से भी किसी के प्रति कोई अपराध हो गया हो तो उसके लिए समस्त चराचर से क्षमायाचना सहित सभी को श्री गणेश चतुर्थी, ऋषि पञ्चमी और पर्यूषण पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ.......