अक्सर गिराकर उठाती है जिन्दगी का ये इम्तेहान देखो । <
गीता दर्शन और जैन दर्शन – एक समतामूलक विश्लेषण दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के पर्यू
इक समंदर चाहिये,
मिटा दे जो मन के निशान
बुझ चले हैं अब
यह सागर कितना प्यासा है!
कामाग्नि से जन्म है होता, जठराग्नि से जीवन चलता। चिताग्नि से म
ज्यादातर लोग भूतों के अस्तित्व को मानते हैं।
भूत वो जो किसी कारण
करके स्नान यमुना जल में ,पुजत शिव संग अर्धांगी
बन्द नयन ,बद्ध कोमल कर,विनती कर रही मधुरांगी
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"मेरी प्रथम कविता प्रथम पूज्य गणपति बप्पा को समर्पित है। " **जय गणपति, जय गणना