चल रहा है,
जीवन की कक्षा में,
सभी का इम्तेहान।
उत्तर पुस्तिका पर,
उत्तर पुस्तिका,
लेते जा रहे हैं सभी ।
मैं लिये बैठी,
एक उत्तर पुस्तिका,
भर न पा रही वो भी।
किसके पास ,
है कौन सी कलम?
नहीं है मुझको ज्ञात,
पर ,मेरे पास कलम ,
दुर्भाग्य की है,
जिससे ,लिख पा रही ,
मैं बस तीन शब्द--
विकलता,विफलता,
और आघात।
प्रभा मिश्रा 'नूतन'