उन्होने कलेजे का टुकडा़ दान किया ,
मान दिया और सम्मान दिया ।
दे सकते थे जितना बेचारे,
उतना उन्होने था प्रदान किया ।
फिर भी असन्तुष्ट कि ,
मिला न पूरा दहेज,
किया बेटी और बहू में भेद।
जिसने उसकी वंश वृद्धि को,
घर छोडा़ ,छोडे़ सारे रिश्ते नाते,
हर उलाहना सही उसकी हँसते,गाते।
सहीं गालियां ,हर ताने,हर दुर्व्यवहार,
और बिचारी क्या कर सकती थी ?
मानती थी जिसको माँ की तरह ,
उन्होने उसे जिंदा जला दिया ?
वो ऐसा कैसे कर सकती थी ?
प्रभा मिश्रा 'नूतन'