भ्रष्टाचार पर कटाक्ष करती लघु कथा -शान (सत्य घटना पर आधारित)
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बैंक मैनेजर नन्दा साहब साईकिल पर बाजार जा रहे थे | राह में उनके परिचित बैंक मैनेजर प्रवीण साहब ने अपनी कार रोक कर नन्दा साहब को नमस्कार करने के बाद कटाक्ष पूर्ण अंदाज में कहा ,"अरे नन्दा साहब ,अफसरी की कुछ तो शान रखनी चाहिए|कार न सही ,स्कूटर ही ले आते |आजकल तो चपरासी भी साईकिल की सवारी करना अपनी शान के खिलाफ समझता है |फिर आप तो सीनियर बैंक मैनेजर है |"
प्रवीण साहब की इस सलाह युक्त टिप्पणी पर कोई प्रतिक्रिया व्यक्त किये बिना ही सादगी और सदाचार को ही इन्सान की सच्ची शान समझने वाले मितभाषी नन्दा साहब अपनी राह पर आगे बढ़ गये|
कुछ ही दिनों बाद प्रवीण साहब अपने बैंक से लाभान्वित एक किसान से उसके घर पर एक हजार रुपये की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गये |जमानत पर रिहा होने के चन्द माह बाद एक दिन वे नन्दा साहब को बाजार में मिल गये |नमस्कार करने के बाद जब नन्दा साहब ने उनसे हाल -चाल पूछा तो वे अपनी आदत के मुताबिक अपनी "प्रवीणता" के मनघंड़त किस्से सुनाने के लिए भूमिका बांधने लगे |इस पर नन्दा साहब ने उनके भ्रष्टाचार से वाकिफ होने को जाहिर करते हुए उन्हीं के अंदाज में कहा ,"अरे प्रवीण साहब, मैं यह मानता हूँ की आप तथाकथित सुविधा शुल्क वसूलने में माहिर हैं |पर आपको अपनी अफसरी की कुछ तो शान रखनी चाहिए थी |इतने बड़े अफसर होकर,रिश्वत की एक हजार की मामूली सी रकम लेने के लिए,आप रिश्वत दाता के घर तक पहुँच गये|यह और बात है की रिश्वत दाता के घर पर रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने पर आपके नाम एक अनोखा रिकॉर्ड दर्ज हो गया |" नन्दा साहब की यह अप्रत्याशित और सटीक टिप्पणी सुनकर बड़बोले प्रवीण साहब की बोलती बंद हो गयी और वे खिसियाते हुए वहाँ से खिसक लिये |