@@@@@@ किया नेता ने घोटाला @@@@@@
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किया नेता ने घोटाला ,दौलत के लिए |
न कोई पुल बना नदी पर ,न कोई सड़क बनायी |
बिना बने ही टूट गये दोनों ,घूस की जिनकी खायी ||
किया नेता ने घोटाला ,ऐश के लिए |
भुगतान कर दिया उस खाद का ,जो कभी नहीं आयी |
खा गये नेता चारे को भी ,गायें खा नहीं पायी ||
किया यूरिया खाद घोटाला ,हरामखोरी के लिए |
शहीद हुए सैनिक सैकड़ों ,जब करगिल की हुई लड़ाई |
ताबूत की खरीद में भी देखो ,नेता ने रिश्वत खायी ||
किया ताबूत -खरीद घोटाला ,विलास के लिए |
वस्तु की कीमत से ज्यादा ,किराया रकम दर्शायी |
जाँच हुई जब खेल-खर्च की ,तो बात सामने आयी ||
किया विचित्र ये घोटाला ,बंगलों के लिए |
एक नेता ने राज्यपाल बनकर ,रंगरेलियां खूब मनायी |
भांडा फूटा जब रासलीला का ,जनता थी चकरायी ||
किया बुढ़ापे में मुंह काला ,ऐयाशी के लिए |
पाताल से लेकर आसमान तक , घूस की माया छायी |
पकडे गए जब घूसखोर तो ,तिहाड़ में जगह पायी ||
कमाया अकूत धन काला ,शैतानी ले लिए |
ए राजा गये जेल में ,जाँच से आँच थी आयी |
धन्यवाद है उस कोर्ट का ,जिसने जाँच करायी ||
कैग ने पकड़ा था घोटाला ,देश के लिए |
सच का सूखा पड़ा है ,बाढ़ झूठ की आयी |
तथाकथित संतों को देखो ,जो करते खूब कमाई ||
करते पाप का घोटाला ,भोग के लिए |
घट रही है इंसानियत ,और बढ़ रही मंहगाई |
देख -देख कर देश की हालत, बुध्दि मेरी चकरायी ||
जो भ्रष्टों ने बनायीं ,स्वार्थ के लिए |
अपील है सब लोगों से ,जाग उठो अब भाई |
भ्रष्टाचार भगा देश से ,कर दो पूरी सफाई ||
कविता दुर्गेश ने बनायी ,इस सन्देश के लिए |