@@@@@@ भाषणों का आया दौर @@@@@
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ब्रह्मचारी का स्वांग भर कर ,गुरु बन बैठें नारी खोर |
देश -सेवा गयी भाड़ में , भाषणों का आया दौर ||
लूट की जब छूट मिली है,फिर कौन रहता किसी से पीछे |
ईमानदारी से जीने वाले ,हो गयें अब तो सबसे नीचे ||
खुद की बीवी बोर लगती ,लगती प्यारी दिल की चोर |
देश -सेवा गयी भाड़ में , भाषणों का आया दौर ||
तरक्की की अन्धी दौर में ,इन्सानियत को गयें हैं भूल |
फूल बरसाये जिस पे हमने ,चुभने लगे बन के सूल ||
चोरी से घर भरने वाले ,चोर - चोर का मचाये शोर |
देश -सेवा गयी भाड़ में , भाषणों का आया दौर ||
ईमान का पाठ पढ़ा रहे हैं , देश को नोच खाने वाले |
जीने का ढंग सीखा रहे हैं ,मौत की नींद सुलाने वाले ||
बेईमानों का जयकारा गूँजे ,ईमान को नहीं मिलती ठौर |
देश -सेवा गयी भाड़ में , भाषणों का आया दौर ||
मुफ्त प्रसिद्धि पाने के खातिर,चीर उतारने लगी है नारी |
दुशासन की जगह आज ,खुद नारी ने शर्म उतारी ||
बेशर्म होकर देख रहे हम ,बिना किये विरोधी शोर |
देश -सेवा गयी भाड़ में , भाषणों का आया दौर ||
जनता को जगाने वाली ,कवियों की वो ललकार कहाँ ?
शत्रु - संहार करने वाली , झाँसी की वो तलवार कहाँ ??
कब जागेगी भारत की जनता ,और कब होगी सुनहरी भोर ?
देश -सेवा गयी भाड़ में , भाषणों का आया दौर ||
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