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ख़तम न हो जो उजाले से , ऐसा कोई तम नहीं होता |
वक्त के मरहम से ठीक न हो,ऐसा कोई गम नहीं होता ||
न हताश हो ऐ खुद्दार इन्सान, ये दुनियादारी देख कर |
टिक सके ईमान के आगे, भ्रष्ट में इतना दम नहीं होता ||
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22 जून 2016
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ख़तम न हो जो उजाले से , ऐसा कोई तम नहीं होता |
वक्त के मरहम से ठीक न हो,ऐसा कोई गम नहीं होता ||
न हताश हो ऐ खुद्दार इन्सान, ये दुनियादारी देख कर |
टिक सके ईमान के आगे, भ्रष्ट में इतना दम नहीं होता ||
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आदर्शवादी,नास्तिक लेखक /कवि/समाज सुधारक,आदर्शवादी,नास्तिक लेखक /कवि/समाज सुधारक,आदर्शवादी,नास्तिक लेखक /कवि/समाज सुधारक,आदर्शवादी,नास्तिक लेखक /कवि/समाज सुधारकD