@@@@@@@@ जुबाँ @@@@@@@@
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जुबाँ है एक ऐसा अस्त्र,जो घायल दिल को करता है |
इससे लगा घाव दिल का ,नहीं कभी भी भरता है ||
कम न समझो इस जुबाँ को,यह दुघारी तलवार है |
मनमुटाव व दुश्मनी की,जुबाँ ही जिम्मेदार है ||
तन-हत्यारे से भी ज्यादा , मन-हत्यारा पापी है |
जुबाँ के खंजर से जिसने,दिल की गहराई नापी है ||
जुबाँ के ख़ूनी खंजर से,जो घायल दिल को करता है |
वो ही व्यक्ति एक दिन , कुते की मौत मरता है ||
जिस जुबाँ से ईमानदार को, बेईमान बताया जाता है |
वो जुबाँ कट जाय तो , सुकून समाज पात्ता है ||
हिमायती होकर जो भ्रष्टों का ,खुद ईमानदार कहलाता है |
पोल नहीं जानता उसकी कोई,यह समझ मन बहलाता है ||
दुर्जनों पर इस अस्त्र का, कोई असर नहीं होता है |
पर वार खाकर सज्जन इसका,सुकून सारा खोता है ||
मन-हत्यारे इस जगत में,अनचाहे मिल जाते हैं |
वे सज्जनों की हाय का, फल आखिर में पाते हैं ||
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