@@@@@@गाथा भारत महान की @@@@@@
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बातें करते बड़ी-बड़ी हम ,नीति आदर्श और शान की |
गाथा सुनो तुम साथियों, इस भारत देश महान की ||
पीने लगी है दूध मूर्ति,यह बात फैली थी गली-गली |
वि ज्ञान के इस युग में भी,यहाँ रूढ़ियाँ फैली हैं सड़ी-गली ||
कन्या को देवी समझ कर , पूजा भारत में जाता है |
पर कन्या-भ्रूणहत्या का, इस मुल्क से गहरा नाता है ||
निर्दोष सम्बुक के हत्यारे को,भगवान् यहाँ माना जाता है |
सती पत्नी का निष्कासक , पुरुषोतम यहाँ कहलाता है ||
जिस गंगा को माता कहते,हम उसमें गंद बहाते हैं |
और भ्रष्टाचार के हमाम में , नंगे होकर नहाते हैं ||
रोक न सका जो युध्द को,वो भगवान यहाँ कहलाता है |
बहलिये के एक तीर से , मृत्यु जो पा जाता है ||
जो गरीब व्यक्ति जीवन में,भरपेट भोजन नहीं पाता है |
उस निर्धन व्यक्ति पर भी , मृत्युभोज लादा जाता है ||
श्रध्दा में हम अंधे हैं इतने ,कि सच नहीं देता दिखायी |
लुट गया मन्दिर सोमनाथ का,समझ फिर भी नहीं आयी ||
चोरी हो जाती मंदिरों में,नहीं रोकता वो कथित भगवान |
सच कहना हक़ है मेरा , झूठ कहूँ तो कटे जुबान ||
पाखण्डी लूट रहे लोगो को,यहाँ भगवान के नाम पर |
स्वर्ग की टिकट बुक करते हैं ,वो मूंह माँगे दाम पर ||
बेतुकी बातें मानने वाले ,मिल जाते हैं भरपूर यहाँ |
भारत जैसा देश ठगों का,इस दुनिया में और कहाँ ||
असली से ज्यादा नकली माल,यहाँ मिल जाता बाजार में |
इन्सान बिक जाता इस देश में , केवल चन्द हजार में ||
संयम का पाठ पढ़ाते सबको, पर खुद घोर विलासी हैं |
प्रमाण है जनसंख्या अपनी,खुजराहो और देवदासी हैं ||
हम भारतीय बढ़-चढ़ कर , स्वदेशी का ढोल बजाते हैं |
पर अपनी झूठी शान के खातिर,अंग्रेजी में बतियाते हैं ||
उपदेश देते हम प्रेम का ,पर बातों से जहर फैलातें हैं |
तरसे गरीब दूध को चाहे ,पर मूर्त पर व्यर्थ बहाते है ||
जागृत करो सोयी जनता को , ओ कलम के वीरों |
ज्ञान जगा कर आम जान का ,बन जाओ देश के हीरो ||
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