@@@@@@@@ वाह रे तर्क वीर @@@@@@@@ ********************************** एक वकील गया एक दिन ,मिठाई की दूकान पर | रहते हैं कोरे कुतर्क , जिसकी बद जुबान पर || पूछा था उसने हलवाई से ,कि रसगुल्लों का क्या भाव है | हँस कर बोला हलवाई ,जिसका सरल स्वभाव है || किलो के रुपये सौ लगेगें , अगर खाने का चाव है | वकील बोला किलो दे दो , अगर यही इनका भाव है || एक किलो रसगुल्ले लेकर,वकील ने दिमाग लगाया | पूछा भाव गुलाब जामुन का ,तो भाव एक ही पाया || रसगुल्ले वापस देकर उसने , गुलाब जामुन ले लिये | चल पड़ा वो वकील वहाँ से , बिना उनका दाम दिये|| मुफ्त मिठाई लेकर जब ,वो चार कदम चल पड़ा | हलवाई ने पैसे माँगे, तो वकील उस पर पिल पड़ा || वकील बोला किसके पैसे , दूँ भला मैं आपको ? हलवाई बोला गुलाब जामुन के ,क्या बुलाऊँ मैं तेरे 'बाप'को ?? वकील बोला गुलाब जामुन तो ,रसगुल्लों के बदले लिये हैं | तो हलवाई बोला रसगुल्लों के ,पैसे भी तो कहाँ दिये हैं ?| वकील बोला रसगुल्ले तो ,मैंने लौटा दिये थे | जवाब न सुझा हलवाई को तो,गम के आँसू पिये थे|| कुतर्कों के बलबूते पर , जो करते हैं बेईमानी | आओ ऐसे लोगो को हम ,याद दिलाएं नानी || @@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@