अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने के सात उपाय -
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भारत की अर्थ व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए निम्न व्यावहारिक और उपयोगी उपाय गौर तलब है -
(!)भारत का विशाल मद्य वर्ग अपनी अधिकांश बचत /जमा पूँजी बैंकों में रखने की बजाय भूखण्ड और सोने की खरीद में लगाता है |जिसके कारण जनता की अधिकांश बचत उत्पादक कार्यों में नहीं लग पाती |बचत के निवेश में न बदलने से अर्थ व्यवस्था का ढांचा उसी तरह कमजोर हो जाता है, जैसे खाए हुए भोजन के रस न बनने पर शरीर का |यदि बैंकों में जमा होने वाली समस्त धन राशि को आयकर से मुक्त कर दिया जाय तो मद्य वर्ग की बचत सोने और भूखंडों की बजाय बैंकों में जमा होने लगेगी |बैंक इस जमा राशि को ऋण के रूप में उद्योग और कारोबार में लगा कर अर्थ व्यवस्था में जान फूंक देंगें |सरकार को बैंक - जमा पर मिलने वाले आयकर की क्षति पूर्ति कंपनियों, फर्मों और उद्यमियों की बढी हुई आय पर बढे हुए आयकर के रूप हो जाएगी |
(2)कृषि भूमि की तरह आवासीय भूमि की हदबंदी कानून के द्वारा की जानी चाहिए |"एक परिवार, एक मकान" का कानून लागू करके आसमान छूती जमीन की कीमत को जमीन पर लाया जा सकेगा |जिससे प्रत्येक नागरिक के अपने घर का सपना साकार हो सकेगा |ऐसा करना लोक कल्याण कारी शासन के लिए न्यायोचित ही होगा |
(3)देश की बंजर पड़ी भूमि को आधुनिक तकनीक से या तो उपजाऊ बनाया जाय या उन पर उद्योग लगाये जाय |किसानों की उपजाऊ भूमि की बजाय ऐसी बंजर भूमि पर उद्योग लगाये जाय |
(4)वंचित वर्ग को आरक्षण की बजाय मुफ्त व गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा दी जाय |
(5)विकास में बाधा डालने वाले हर कानून को निरस्त कर दिया जाय |
(6)शोध और आविष्कार को पूर्ण प्रोत्साहित करने के लिए विशाल धन राशि से विकास- कोष बनाया जाय |
(7)अंध श्रध्दा फैला कर जनता को भ्रमित करने वाले तथाकथित संतों पर प्रतिबन्ध लगाया जाय तथा उनके द्वारा कब्जायी गयी हजारों एकड़ जमीन को जब्त कर वहां कारखाने लगाये जाय ,जिससे जनता को रोजगार मिल सके |