@@@@@@@@ कोई - कोई @@@@@@@@
************************************************************
सूरत और सीरत देख कर ,परख करता हर कोई |
पर इन्सानी कोहिनूर को ,पहचान पाता है कोई कोई ||
काया और माया के मोह में ,फंस सकता है हर कोई |
पर जो मुक्त रहे इन दोनों से ,वो पुरुष होता है कोई -कोई ||
क्या भला है ,क्या बुरा है ,यह जानता है हर कोई |
पर भलाई पर चलने वाला, बन्दा होता कोई -कोई ||
अपने और अपनों के खातिर जीना चाहता हर कोई |
पर जो जीता औरों के खातिर ,वो इंसान होता कोई -कोई ||
दूसरों में दोष तो , देख सकता हर कोई |
पर जो खुद में देखे दोष , वो व्यक्ति होता कोई-कोई ||
मित्र के साथ न्याय तो ,कर सकता है हर कोई |
पर जो दुश्मन से भी करे न्याय ,वो शख्स होता है कोई ||
कंगुरा बनने को तैयार है , छोटा -बड़ा हर कोई |
पर नींव का पत्थर बन ,कुर्बानी देता कोई -कोई ||
प्रेमिका की सुन्दरता पर ,छंद लिखता हर कोई |
पर निज पत्नी के मोटापे पर, गीत लिखता कोई -कोई ||
सराहना का भूखा है ,भला -बुरा हर कोई |
पर आलोचना का जहर कड़वा,पचा पाता है कोई -कोई ||
दुसरों को उपदेश तो , दे सकता हर कोई |
पर खुद अपने उपदेश पर ,चलता बन्दा कोई -कोई ||
उसूलों से समझौता कर ,जी सकता है हर कोई |
पर जो उसूलों पर मर -मिटे ,वो इंसान होता है कोई -कोई ||
दाम लेकर काम तो ,कर देता है हर कोई |
पर बिना दाम के काम ,करता व्यक्ति कोई -कोई ||
नहीं है कोई पूर्ण जगत में ,गलती करता हर कोई |
पर गलती न दोहराने वाला ,इन्सान होता कोई -कोई ||
विपत्ति में घबरा जाता , आम व्यक्ति हर कोई |
पर जो विपत्ति में धीरज रखता ,वो बन्दा होता कोई -कोई ||
इज्जत और शोहरत दोनों ,पाना चाहता हर कोई |
पर इज्जत और शोहरत के लायक ,होता मानव कोई -कोई ||
तन को साफ़ रख सकता है ,पापी - धर्मी हर कोई |
पर मन को साफ़ रखने वाला ,इंसान होता कोई -कोई ||
तुकबंदी तो कर लेता है ,मुझ जैसा हर कोई |
पर अमर कविता रचने वाला ,होता कवि कोई -कोई ||
अपनी कमजोरी का रोना ,रो सकता है हर कोई |
पर कमजोरी को ताकत बनाकर ,इतिहास रचता कोई -कोई ||
धारा के संग तैर सकता है ,मुर्दा जीवित हर कोई |
पर धारा के विरुध्द तैरने वाला ,तैराक होता कोई -कोई ||
मधुर असत्य बात कहकर ,खुश कर सकता है हर कोई |
पर कड़वा सच कहने वाला ,दुर्गेश होता कोई - कोई ||
************************************************************