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मलीन हुई मानव की दृष्टि ,इस भोगवादी लहर में |
घुल चुका दम्भ शक्ति का ,सत्ता के मीठे जहर में ||
हालत इस कदर बदतर है , मेरे इस भारत देश की ,
कि बुढा गया है दिन बेचारा ,नयी-नवेली सहर में ||
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सहर यानी सुबह
21 जुलाई 2016
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मलीन हुई मानव की दृष्टि ,इस भोगवादी लहर में |
घुल चुका दम्भ शक्ति का ,सत्ता के मीठे जहर में ||
हालत इस कदर बदतर है , मेरे इस भारत देश की ,
कि बुढा गया है दिन बेचारा ,नयी-नवेली सहर में ||
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सहर यानी सुबह
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आदर्शवादी,नास्तिक लेखक /कवि/समाज सुधारक,आदर्शवादी,नास्तिक लेखक /कवि/समाज सुधारक,आदर्शवादी,नास्तिक लेखक /कवि/समाज सुधारक,आदर्शवादी,नास्तिक लेखक /कवि/समाज सुधारकD