रिश्वतखोरी पर कटाक्ष करती व्यंग कविता - @@ रिश्वत महान जी,रिश्वत महान है @@ ************************************************ सुबह शाम मंदिरों में, रिश्वत थोड़ी दीजिये | फिर चाहे मनचाही ,रिश्वत आप लीजिये || रिश्वत ही तो देश की ,आन बान शान है | रिश्वत महान है जी ,रिश्वत महान है || ईमान का दामन पकड़ ,जीवन बर्बाद न कीजिये | रिश्वत की कमाई से, जीवन के मजे लीजिये | भ्रष्ट लोक तंत्र की ,रिश्वत ही तो जान है | रिश्वत महान है जी ,रिश्वत महान है || सर्वव्यापी है रिश्वत ,यकीन मेरा कीजिये | बिना किसी भय के, आप रिश्वत लीजिये | घूस लेता भगवान् भी ,जो सर्व सक्तिमान है | रिश्वत महान है जी ,रिश्वत महान है || जो रिश्वत से रहता दूर ,वो आदमी अनाड़ी है | रिश्वत से ही देश की ,चलती सरपट गाड़ी है रिश्वत की चमक से ही, चमका हिन्दुस्तान है | रिश्वत महान है जी ,रिश्वत महान है || करनी है अगर उन्नति , तो रिश्ता रिश्वत से कीजिये | ईमान को ताक पर रख कर,रिश्वत भरपूर लीजिये || रिश्वत की जगमग से ही , जगमगाया यह जहान है | रिश्वत महान है जी ,रिश्वत महान है || रिश्वत है जादू की छड़ी ,अजमाकर देख लीजिये | मन चाहे फल पाओगे ,यकीन मेरा कीजिए || कोठी में बदल जाएगा,जो टूटा सा मकान है | रिश्वत महान है जी ,रिश्वत महान है || ***********************************************