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दुर्गेश तेरे देश में ,बहुत हैं ऐसे बन्दें |
चलातें हैं जो जीवन अपना ,लेकर लोगों से चन्दे ||
लेकर लोगों से चन्दे ,करते फिर काले धन्धें |
आंतकवाद का जाल बुनते , डाल हत्या के फन्दें ||
डाल हत्या के फन्दें ,रगड़ रेप के रन्दें |
अच्छे लोगों की अनदेखी से,पनप रहे लोग गन्दें ||
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