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न बढा नजदीकियाँ इतनी,कि वे दूरियों का आधार बन जाएँ |
कस न तू वीणा के तार इतने,कि वे उसके टूटे तार बन जाएँ ||
सन्तुलन ही है जिन्दगी , बच अतियों से ओ भोले इन्सान ,
मनाएँ अगर तू सलीके से , तो रूठा तेरा हर यार मन जाए ||
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