@@@@@@फेसबुक का कमाल@@@@@
अपनी बहिन -बेटी को ,रखिये आप सम्भाल |
इन्टरनेट की फेस बुक , करती खूब कमाल ||
करती खूब कमाल , ऐसा है इसका जाल |
सफाचट खोपड़ी पर , ऊग आते है बाल ||
गौरी -चिट्टी बन जाती ,काली -कलूटी खाल |
मिटा रही है भेद-भाव , ये फेस बुक की वाल ||
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
सतर साल की नारी भी ,यहाँ बन सकती है बाला |
सुन्दर कन्या बनकर लड़का ,करता खूब घोटाला ||
बदसूरत कन्या भी यहाँ ,बन सकती खूब हसीना |
जिसे देख कर आये सबको ,सर्दी में भी पसीना ||
पचहतर पार का पुरुष भी,यहाँ बन सकता है छोकरा |
निडर हो जाता फर्जी बनकर ,जो रहता है डरा-डरा ||
@@@@@@@@@@@@@@@@@@