वक्त की शक्ति का बखान करती कविता -" वक्त की शक्ति "
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यह सोचता है आदमी ,कि वो गुजारता है वक्त को |
पर गुजारता है वक्त ही ,इन्सान हर आगत को ||
आदि नहीं ,अंत नहीं ,ठहराव नहीं है वक्त का |
लिहाज नहीं करता वक्त ,भगवान या भक्त का |
नहीं रुक सकता कभी ,चक्र अनंत वक्त का |
बहा दे चाहे कोई सिकन्दर ,दरिया खालिस रक्त का ||
वक्त रहता साथ में ,मौत हो या जिन्दगी |
सांसो की सरगम भी, करती वक्त की बंदगी ||
भीरू बनाया वक्त ने ,भीष्म से महावीर को|
भारी सभा में दुशासन ने ,जब खींचा द्रोपदी -चीर को ||
खबर बन जाती जिन लोगों की , एक जरा सी खांसी |
वक्त आने पर उन लोगों को ,लगायी वक्त ने फांसी ||
नहीं बच पाता कोई बंदा ,जब वक्त का लगता तीर |
वक्त आने पर चल बसे ,राम कृष्ण महावीर ||
वक्त से पहले वक्त का ,जो कर लेता इन्तजाम |
उसकी हर कोशिश का ,मिलता सुखद परिणाम ||
वक्त रहते वक्त की ,जो कर लेता पहचान |
कहे दुर्गेश उस शख्स की ,रह जाती है शान ||