@@@@ कथित आधी घरवाली @@@@
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उससे है रिश्ता ऐसा जो बोलचाल में गाली है |
नाम है गुड्डन उसका,वो मेरी प्यारी साली है ||
शालीनता की प्रतिमूर्ति,वो नजर मुझको आती है |
शर्म के मारे वो साली मेरी,छुईमुई बन जाती है ||
जब कभी किसी बात पर,वो मन्दमन्द मुस्काती है |
खड्डे पड़ जाते गालों में उसके,वो शर्मिला बन जातीहै ||
हम तो चाहते दिल से उसको,पर वो कितना हमको चाहती है |
छुपी रुस्तम वो साली मेरी, नहीं हमें ये बतलाती हैं ||
तीन बच्चों की अम्मा है,पर लगती कुंवारी बाला है |
मिलने के मौके को जिसने, मारे शर्म के टाला है ||
एक दिन वो शर्मीली साली,मुझसे प्रश्न ये पूछ पड़ी |
नहीं लिखी क्या
कविता मुझपे,नजरें थी उसकी गड़ीगड़ी ||
दुखदाता और सुखदाता पर,कविता लिखी जाती है |
मैं चाहता था यह कहना उसको,कि वो नहीं दोनों में आती है ||
तीन तिगाड़ा काम बिगाड़ा,ये कहावत उसने थी दोहरायी |
जवाब दिया जब मैंने उसको, तो तीन बच्चों पर थी शर्मायी ||
साली हो चाहे कितनी ही सीधी,पर जीजे को खूब छक्काती है |
केरी देकर जीजे को वो,आम उसे बतलाती है ||
खट्टे कर दिए दांत मेरे,खट्टे आलू बुखारों से |
मोह लिया उसने मनको,अपने मोहक इशारों से||
विदा के वक्त हाथ मिलाने,निज हाथ आगे कर दिया |
हाथ नहीं मिला कर उसने,दुःख मन में भर दिया ||
तिरस्कार के उस उस दुःख से,दिल का सुकून खो गया |
पर उसकी साफगोई का,मैं दिल से कायल हो गया ||
दुःख दाता बनने पर उसके,यह कविता उस पर रच डाली |
यह गलत कहते है लोग सारे,कि साली आधी घरवाली ||
साली तो होती है दोस्त,गौरी हो या हो काली |
जीजे की चुटीली बातों में,मस्त हो जाती हर साली ||
बड़े प्यार से बोली साली,बड़े ख़राब हो जीजाजी |
लाड़ भरी यह टिप्पणी सुनकर,मन साली पर रीझाजी ||
सीखाया जो सबक साली ने,वो याद रखूंगा रखूंगा सदा सदा |
नहीं करूंगा अब हाथ आगे,जब मिलूंगा उससे यदाकदा ||