@@@@@@"हिन्द ने तुम्हे पुकारा है"@@@@@@
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भारत की पावन धरती पर ,हर गरीब शरीफ बेचारा है |
क्रान्ति का बिगुल बजा तू ,कि हिन्द ने तुम्हे पुकारा है ||
महँगाई की सुरसा ने , अपना रूप विकराल किया |
भ्रष्टाचार के भस्मासुर ने ,जन -जन को बेहाल किया ||
तू है जेपी का वंशज , तू ही सकल सहारा है |
क्रान्ति का बिगुल बजा तू ,कि हिन्द ने तुम्हे पुकारा है ||
नेताओं ने कूटनीति से , देश का बंटाढार किया |
हैवानों ने दुष्कर्मों से, शील को तार -तार किया ||
तू है तारनहार देश का , तू आँखों का तारा है |
क्रान्ति का बिगुल बजा तू ,कि हिन्द ने तुम्हे पुकारा है ||
तेरी कलम ने रूप -रस का, अब तक जी भर पान किया |
नारी की नूरी नजाकत का , हर मंच पर गुणगान किया ||
शक्ति भर तू अब नारी में , अब यह सन्देश हमारा है |
क्रान्ति का बिगुल बजा तू ,कि हिन्द ने तुम्हे पुकारा है ||
कवियों ने जब निज कलम से ,शब्दों के गोले दागे हैं |
कई हजार तोपों के मालिक ,भारत भूमि से भागे हैं ||
देश की डूबती नैया को , वीर कवियों ने तारा है |
क्रान्ति का बिगुल बजा तू ,कि हिन्द ने तुम्हे पुकारा है ||
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