@@@@@@ हिंदुस्तान तब और अब @@@@@@ ************************************************************* सुनो कहानी तुम साथियों ,भारत के स्वाभिमान की | कितनी इज्जत थी दुनिया में ,हमारे हिन्दुस्तान की || न कोई यहाँ दास था ,न कोई उदास था | संत और सज्जनों का, पावन यहाँ वास था || चौड़ी होती माँ की छाती ,हुनर उनका देख कर | करेंगे वे नाम रोशन ,उसे ये विशवास था || धन, बुध्दि,बल ,कला का ,खजाना हिन्द के पास था | दुनिया के देशों में ,इसका रुतबा खास था || कौन शिकायत करता यहाँ ,भला कोई किसकी | हर हिन्दुस्तानी दिल में ,प्यार का उजास था || याद करो फिर कहानी तुम ,उस भारत स्वाभिमान की | कितनी इज्जत थी दुनिया में ,इस देश हिंदुस्तान की || कोई नारी पन्ना थी ,तो कोई नारी हीर थी | इस देश को जीत पाना बहुत टेढ़ी खीर थी || गद- गद थी माँ भारती ,प्यार सबका देख कर | सिर काट पति को सौंपा ,नारी भी ऐसी वीर थी || विश्व - गुरु का ख़िताब अनूठा ,इस देश के पास था | सत्य, शान्ति, समृद्धि के संग ,ईमान का उजास था || कौन करता निंदा यहाँ ,कोई भला किसकी | हर हिन्दुस्तानी दिल में ,ज्ञान का प्रकाश था || याद करो फिर कहानी तुम ,उस भारत स्वाभिमान की | कितनी इज्जत थी दुनिया में ,हमारे हिंदुस्तान की || अब कोई खींचे चुन्नी को तो ,कोई लूटे मुन्नी को | मिल जाती है बेल यहाँ ,मासूमों के खूनी को || शर्मसार हो रही भारती ,दुष्कर्मों को देख कर | काटे अब कौन यहाँ ,हैवानों की नूनी को || चोर डाकू और गुण्डे,सब नेताओं के ख़ास हैं | विरोध करने वालों का, हो जाता यहाँ नाश है || कौन शिकायत करे भला ,कोई अब इनकी | सारे हथकण्डे जब , नेताओं के पास है || भूल जाओ अब तुम कहानी ,उस भारत स्वाभिमान की | कैसी दशा हो गयी देखो, इस देश हिन्दुस्तान की || देश पर कुरबान होने वाले सरदार सुन , खूब रंग जम गया है देश के दलालों का | लूट मची है पूरे देश में , कौन हटाये राज इन देशी अंग्रेज कालों का || जान कुरबान की तुमने जिस पर ,और जगाया था जो देश | वो मुल्क बन गया है जुर्म और कुचालों का || जल्दी से जल्दी अरबपति बनने की दौड़ में शामिल है नेता | कोई पालक है गुंडों का ,कोई गुरु है घोटालों का || किसको परवाह है अब यहाँ पर ,कानून और संविधान की | कैसी दशा हो गयी देखो ,इस देश हिंदुस्तान की || भ्रष्टाचार फैला है पूरे देश में ,पर ईमान कहीं नहीं मिलता| तड़पती रहती अबला कोई ,पर देख अब कलेजा नही हिलता || तोड़ देते है दिल दंगो में ,पर दिलों के घाव अब कोई नहीं सिलता | बहस करते नेता रोजाना ,पर समाधान कोई नहीं मिलता || उड़ा रहे हैं वे रोज धज्जियाँ ,कानून और संविधान की | कैसी दशा हो गयी देखो ,इस देश हिन्दुस्तान की|| ***********************************************