एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं
रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को नींद नहीं आ रही, उसे वो हर पल याद आ रहा है जो उसने यहां निष्कर्ष के साथ गुजारा, अजनबी से दोस्त और अब अच्छे दोस्त बनने का सफर तय किया
कुछ देर बाद काश्वी अपने ख्यालों से हकीकत में आई तो उसे याद आया कि कल सुबह उसे वापस दिल्ली जाना है
और निष्कर्ष उसके साथ नहीं लौट रहा, अब काश्वी सोचने लगी कि पता नहीं कब फिर निष्कर्ष से मुलाकात होगी, उसने निष्कर्ष को एक एसएमएस किया जिसमें थैंक्स लिखा
“अगले ही पल जवाब भी आ गया, थैंक्स क्यूं?”, निष्कर्ष ने लिखा
काश्वी हैरान हो गई कि उसकी तरह निष्कर्ष भी इतनी देर तक जाग रहा है
“आप सोए नहीं?” उसने पूछा
“नहीं, अभी नहीं, पर थैंक्स क्यूं?” निष्कर्ष ने मैसेज
किया
“एक महीने मेरे साथ रहने के लिये, मुझसे बात करने के लिये और मुझे इतना कुछ सिखाने के लिये”, काश्वी ने जवाब दिया
“कितनी बार थैंक्स कहोगी, ये तो हमेशा के लिये है”, निष्कर्ष ने लिखा
“हां, ये तो है, वैसे आप कब आओगे दिल्ली?” काश्वी ने पूछा
“तुम सो जाओ सुबह 11 बजे निकलना है”, इतना लिख कर निष्कर्ष ने काश्वी को गुड नाइट कह दिया
नींद तो काश्वी को अब भी नहीं आ रही पर वो कोशिश कर रही है सोने की, जैसे - तैसे रात गुजरी और एक नई सुबह हुई, सुबह तैयार होते - होते काश्वी को याद आया कि उसे जाने से पहले उत्कर्ष से भी मिलना है, अपना सामान पैक
करने के बाद काश्वी उत्कर्ष से मिलने उनके ऑफिस पहुंची, दरवाजे पर नॉक किया तो अंदर से उत्कर्ष की आवाज आई,
उत्कर्ष काश्वी को देखकर बेहद खुश हो गये, उन्होंने काश्वी को बैठने के लिये कहा और पूछा, “कैसा लगा यहां काश्वी?”
मुस्कुराते हुए काश्वी ने कहा, “बहुत अच्छा काफी कुछ सीखा यहां आपसे, काश एक महीने से ज्यादा होती ये वर्कशॉप तो और सीख पाती आपसे”
“अच्छा ऐसा है तो तुम्हारे लिये एक अच्छी खबर है, इसी के लिये बुलाया था मैंने तुम्हें”, उत्कर्ष ने कहा
“हां, बताइये”, काश्वी ने कहा
“दरअसल एक यूनिवर्सिटी है कैलीफोर्निया में जहां मैं पढ़ाता हूं, वहां मैंने तुम्हारा नाम रिक्मेंड किया था तो वहां से कंफरमेशन कॉल आई है वो लोग तुम्हें स्कॉलरशिप देना चाहते हैं एक साल का एडवांस कोर्स है अगर तुम चाहो तो, तुम्हारे करियर के लिये अच्छा होगा और कोई खर्चा भी नहीं वहां हॉस्टल वगैरह सब यूनिवसिर्टी में ही है, ये उसके पेपर्स हैं तुम घर पर बात करके डिसाइड कर लो और मुझे बता देना, मैं बता दूंगा आगे क्या करना है”
काश्वी हैरान रह गई, इतना सब उत्कर्ष ने उसके लिये सोचा
“मुझे सच में विश्वास नहीं हो रहा कि ये सब आप मेरे लिये कर रहे हैं ये बहुत बड़ी बात है मेरे लिये, मैं जरूर बताउंगी आपको, एक बार घर पर बात करनी पड़ेगी, पर कैसे बताउं ये सच में बहुत बड़ा फेवर किया है आपने”
“अरे फेवर कैसा तुम जैसे ही स्टूडेंटस की तलाश में रहते हैं हम, टेलेंट को हमेशा मौका मिलना चाहिए और ये एक छोटी सी कोशिश है मेरी तरफ से अगर तुम्हें ठीक लगे तो, ये मेरा कार्ड भी रखो, डिसाइड कर लो तो फोन करना, ऑल द बेस्ट” उत्कर्ष ने कहा
काश्वी उत्कर्ष को थैंक्स और बाय बोलकर जाने लगी तो उत्कर्ष ने उसे रोका, फिर अपने कुर्सी से उठकर उसके पास आ गये, उनके हाथ में एक और लिफाफा था जो उन्होंने काश्वी की तरफ बढ़ा दिया
काश्वी ने उस लिफाफे को देखकर पूछा ये क्या हैं सर?
“खोलकर देखो” उत्कर्ष ने कहा
उस लिफाफे में कुछ तस्वीरें थी उनके पूरे ग्रुप की, काश्वी बहुत खुश थी उन्हें देखकर
“अरे वाह ये तो बहुत अच्छी है आपने ली?” काश्वी ने पूछा
“हां मैंने ली” उत्कर्ष ने जवाब दिया
“पर कब हमें तो पता ही नहीं चला” काश्वी ने पूछा
“असली इमोशन कैप्चर करने हो तो ऐसे समय फोटो खींचो जब सामने वाले को पता न हो, कैमरे के आगे लोग
अलर्ट मोड में आ जाते हैं और बनावटी हंसी हंसते हैं असली हंसी वो होती है जो बिंदास होती है, बस यूं ही, मैंने भी अपने कैमरे को ऐसे वक्त ही इस्तेमाल किया” उत्कर्ष ने कहा
उन तस्वीरों में कुछ तस्वीरें निष्कर्ष के साथ काश्वी की थी, जिन्हें देखकर काश्वी थोड़ी रूक गई, उत्कर्ष ने काश्वी के चेहरे के बदलते रंग को पढ़ लिया और तभी कहा, ‘मैं जानता हूं निष्कर्ष और तुम अच्छे दोस्त बन गये हो, बहुत अच्छा लगा उसे हंसते हुए देखकर इसलिये खुद को रोक नहीं पाया, तुमसे काफी बात करता है न वो?”
“ये तस्वीरें बहुत अच्छी है और निष्कर्ष को भी पंसद आएंगी, हम अच्छे दोस्त है और मुझे अच्छा लगा आपने ये तस्वीरें ली, ये बहुत सुंदर है, सच में आपने सही वक्त पर सही इमोशन कैप्चर किए” काश्वी ने खुश होकर कहा
“सही वक्त क्या होता है काश्वी मुझे नहीं पता बस ये पता है कि हमेशा दिल की सुननी चाहिए वो कभी
गलत इशारा नहीं देता” उत्कर्ष ने कहा
“हां आपने सही कहा और मुझे भी लगता है कि वक्त के साथ हम दिल के इशारों को समझने लगते है और जितनी जल्दी उसके मुताबिक चलना शुरू कर दें उतना अच्छा होता है, थैंक्स इन सबके लिये, मैं चलती हूं आपको फोन जरूर करूंगी दिल्ली पहुंचकर” ये कहकर काश्वी जाने लगी
उत्कर्ष ने भी मुस्कुराकर, सिर हिलाकर उसे बाय कहा
रिश्तों को तोड़ने में वक्त नहीं लगता, टूटे रिश्तों पर वक्त की धूल भी आसानी से आ जाती है लेकिन इस धूल पर जब प्यार की ठंडी हवाएं पड़ती है तो धीरे - धीरे तस्वीर साफ होने लगती है, कभी कभी जो दूरी सदियों की लगती है वो एक हाथ बढ़ाने से पार हो जाती है, उत्कर्ष और निष्कर्ष के बीच की खाई भले ही गहरी हो लेकिन इसे भरने में ज्यादा समय नहीं लगेगा ये अब काश्वी को पता चल गया है, निष्कर्ष जो उत्कर्ष के बारे में सोच रहा है उससे फिर अलग नजर आये उत्कर्ष काश्वी को, काश्वी को पता चला कि अब भी निष्कर्ष उत्कर्ष के लिये वही अहमियत रखता है जो एक बेटा पिता के लिये रखता है, निष्कर्ष को खुश देखना चाहते हैं उससे पापा और इससे बड़ा सबूत और क्या होगा कि वो अब भी अपने बेटे से प्यार करते हैं