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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023

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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक उम्मीद जरूर जगी है 

काश्वी ने अपनी घड़ी देखी तो उसे ध्‍यान आया कि उसके निकलने का समय बस होने ही वाला है, वो फटाफट अपने
कमरे से सामान लेकर नीचे गैलरी में आ गई जहां सब अपने - अपने सामान के साथ पहले से मौजूद हैं, बाहर बस तैयार है और सब निकलने का इंतजार कर रहे हैं, काश्वी को देखकर निष्कर्ष उसके पास आ गया और पूछा, “कहां थी इतनी देर से सब ढूंढ रहे हैं” 

“मैं सर से मिलने गई थी उन्होंने बुलाया था” काश्वी ने कहा 

निष्कर्ष चुप हो गया बस इतना कहा “ओह.. ठीक है.. चलो सब तैयार है..” 

निष्कर्ष सबका सामान बस में रखवाने लगा, एक - एक कर सब बस में सवार होने लगे, इतने में उसके एक असिसटेंट ने आकर कहा, सर आपका सामान बस में ही रखना है ना? 

काश्वी ने ये सुना तो वो निष्कर्ष के पीछे आकर खड़ी हो गई, निष्कर्ष ने अपने असिस्टेंट को बस में ही सामान रखने को कहा  

निष्‍कर्ष बात करके पीछे मुड़ा तो सामने काश्वी को खड़ा देखा, वो निष्‍कर्ष को देखकर मुस्कुरा रही थी 

काश्वी को देखकर निष्कर्ष भी मुस्कुराने लगा और कहा, “हां मैं भी वापस चल रहा हूं” 

ये सुनकर काश्वी खुश हो गई और जोर से बोलने लगी, “आप भी चल रहे हो, पहले क्यों नहीं बताया” 

मुंह पर उंगली रखकर निष्कर्ष ने उसे धीरे बोलने का इशारा किया और कहा “चलो बस में बैठो मैं अभी आता हूं” 

काश्वी की सारी टेंशन अब जैसे खत्म हो गई, निष्कर्ष को और उस जगह को छोड़ कर जाने की जो तकलीफ उसे हो रही थी वो एक पल में छू हो गई, अब वो आंख में नमी के साथ नहीं एक और नये सफर पर निकलने को बेताब है 

सारे इंतजाम करके निष्कर्ष बस के अंदर आ गया और सबसे आगे बैठी काश्वी के साथ आकर बैठ गया 

काश्वी की हंसी रुकने का नाम नहीं ले रही हालांकि उसकी आंखे ये सवाल कर रही है कि आखिर ये हुआ कैसे, बस चली, निष्कर्ष चुपचाप उसके साथ बैठा रहा जब काश्‍वी से रहा नहीं गया तो उससे पूछ ही लिया “मुझे क्यों नहीं
बताया आप भी चल रहे हो?” 

निष्कर्ष ने काश्वी को देखा और कहा कल तक कोई प्लान नहीं था पर आज सुबह एक फोन आया तो वापस जा
रहा हूं  

“ओह… फोन… हां ये फोन हमेशा राइट टाइम पर ही आता है, है ना?” काश्वी ने शरारत के साथ कहा 

“अरे तुम्हें पता नहीं बहुत इंपोर्टेंट है ये कॉल” निष्कर्ष ने भी हंसते हुए जवाब दिया 

 “कोई बात नहीं, मुझे अच्छा लगा, अब थोड़े घंटे और आपके साथ रहने का मौका मिला है, मुझे अब तकलीफ
नहीं हो रही यहां से जाने में”   

निष्कर्ष काश्वी को गौर से देखता रहा, कुछ नहीं कहा 

दोनों की बातों का सिलसिला फिर शुरू हुआ, एक से दूसरी बात निकली, पहले दिन से लेकर आखिरी
दिन तक पूरी वर्कशॉप के एक्सपीरींयस को दोनों ने शेयर किया  

काश्वी ने कई बार सोचा कि वो उत्कर्ष से हुई बात निष्कर्ष को बता दें पर ये सोचकर चुप रही कि निष्कर्ष इस वक्त शायद ये सब सुनना न चाहें 

काश्वी को लगा कि इस वक्त निष्कर्ष शायद उत्कर्ष के इमोशन न समझ पाये और ये बात पता नहीं उसे अच्छी
लगे या न लगे, अभी इस समय काश्वी निष्कर्ष के साथ खुश है और उसे उत्कर्ष की बात भी याद आई कि निष्कर्ष बहुत दिन बाद इतना खुश लग रहा है तो वो उसकी खुशी को कम नहीं करना चाहती 

काश्वी जानती है कि पापा नहीं पर मम्मी के बारे में बात करना निष्कर्ष को सबसे ज्यादा पंसद है तो उसने बातों बातों में उसकी मां के बारे में बात की 

निष्कर्ष ने भी काश्वी को उसकी मां के बारे में बहुत कुछ बताया 

“आपकी मॉम उदयपुर से थी न, वहां भी तो कितने पहाड़ है झील है, उसे तो राजस्थान का हिल स्टेशन कहते हैं न, मैंने बहुत सुना है वहां के बारे में” काश्‍वी ने पूछा   

“हां, काश्वी उदयपुर बहुत सुंदर है मॉम बताती थी वहां के महाराणा प्रताप की कहानी, बचपन से यही सब सुनकर बड़ा हुआ, पता है नानाजी अब भी उसी घर में रहते हैं, जहां मॉम पैदा हुई, उनका पुश्तैनी घर भी किसी महल से कम नहीं था, ज्यादा जाना तो नहीं हुआ वहां पर जब भी गया एक नई याद लेकर लौटा, पता है पूरे उदयपुर में हर जगह महाराणा प्रताप की छाप है और कई दिलच्स्प कहानियां जुड़ी है उनसे, सबसे हैरान करने वाली उनकी चीजें हैं जिनका वेट कई सौ किलो होता था, महाराणा प्रताप का भाला 81 किलो का था और उनके छाती का कवच 72 किलो का था। उनके भाला, कवच, ढाल और साथ में दो तलवारों का वजन मिलाकर 208 किलो था” 

“वाह बहुत बढ़िया, लगता है मुझे भी जाना पड़ेगा वहां” काश्वी ने कहा 

“हां चलो न, मैं जल्दी ही जाउंगा, कुछ दिन पहले नानाजी का फोन भी आया था मां की कुछ चीजें हैं वहां वो लेकर आनी है उनके कमरे का सामान खाली किया तो बहुत कुछ मिला था, तुम भी चलना मेरे साथ वहां तुम्हारी फोटोग्राफी की अच्छी प्रैक्टिस हो जाएगी” 

“हां जरूर, हम जरूर चलेंगे” काश्‍वी ने कहा  

सफर लंबा है और रास्ते भर काश्वी और निष्कर्ष की बातों का सिलसिला चलता रहा, रात के 11 बजे उनकी बस दिल्ली पहुंची, बस पहले सीधे निष्कर्ष के ऑफिस पहुंची, जहां से सब अपने – अपने घर के लिये निकले,   निष्कर्ष ने काश्वी को अपनी कार से घर छोड़ा, घर पहुंचने पर काश्वी ने निष्कर्ष से कहा, “चलो अंदर पापा से मिलवाती हूं” 

 निष्कर्ष मुस्कुराकर कहा “आज नहीं बहुत लेट हो गया है मैं आउंगा फिर” 

 “पक्का” काश्वी ने पूछा 

“हां पक्का, जाओ अभी बहुत लेट हो गया है तुम थक गई होगी इतना लंबा सफर था” निष्कर्ष ने कहा 

काश्वी अपने घर के अंदर चली गई और निष्कर्ष अपने घर के लिये निकल गया, एक महीने साथ रहने के बाद अब दोनों अलग हो गये हैं दोनों को पता नहीं कि फिर कब मिलेंगे लेकिन उम्मीद है कि जरूर मिलेंगे 

काश्वी के वापस आने पर घर में सब बहुत खुश हुए, पूरी वर्कशॉप के बारे में सब कुछ पूछा, जब सबकी बातें खत्म हुई तो काश्वी अपने कमरे में चली गई, रात काफी हो गई पर आज भी उसे नींद नहीं आ रही, कुछ देर बाद वो बाहर बालकनी में आकर बैठ गई, काश्वी के पापा भी सोए नहीं, उन्होंने काश्वी को देखा तो उसके पास आकर बैठ गये 

“क्या हुआ इतने लंबे सफर के बाद भी नींद नहीं आ रही?” पापा ने पूछा 

“हां बस ऐसे ही” काश्वी ने जवाब दिया 

“जगह बहुत अच्छी थी क्या, वापस आने का मन नहीं था?” पापा ने हंसकर पूछा 

काश्वी मुस्कुराई और तभी उसके फोन पर एक मैसेज आया, काश्वी और पापा दोनों हैरान हो गये कि इतनी रात को कौन मैसेज कर रहा है, काश्वी ने झट से फोन उठाया फोन पर निष्कर्ष का नाम फ्लैश हुआ, काश्वी ने बिना
मैसेज पढ़े फोन एक किनारे पर रख दिया और पापा से बात करने लगी, पर पापा समझ गये कि कुछ तो गड़बड़ है, 

“लगता है इस बार सिर्फ जगह नहीं कोई और भी पंसद आ गया है” पापा ने कहा  

काश्वी शर्मा गई और हंसने लगी, “नहीं ऐसा कुछ नहीं” काश्वी ने कहा 

“काश्वी मैंने तुम्हें झूठ बोलना तो कभी नहीं सिखाया, ठीक है तुम नहीं बताना चाहती तो मैं जाता हूं, तुम आराम से अपना मैसेज पढ़ो” पापा ने कहा और उठ कर जाने लगे 

काश्वी ने पापा का हाथ पकड़कर रोक लिया और कहा, “बैठो ना बहुत दिन से आपसे बात नहीं की” 

पापा वहीं काश्वी के पास बैठ गये, काश्वी ने पास पड़े उस लिफाफे को खोला जो उत्कर्ष ने उसे दिया था जिसमें उसके पूरे ग्रुप और निष्कर्ष की फोटो थी, उन फोटोग्राफ को दिखाते - दिखाते काश्वी ने निष्कर्ष और उत्कर्ष दोनों के
बारे में पापा को सब बताया 

पापा ने काश्वी की पूरी बात सुनी और थोड़ा टेंशन में भी आ गये, उन्हें भी अजीब लगा कि कैसे एक दूसरे की इतनी परवाह करने वाले दो लोगों के बीच इतनी दूरी आ गई 

 काश्वी ने पापा को ये भी बताया कि उत्कर्ष ने उसे एक यूनिवसिर्टी में एडमिशन दिलाने का ऑफर दिया पर ये बात वो निष्कर्ष को नहीं बता पा रही और बिना उसे बताए जा भी नहीं सकती 

इस पर पापा ने कहा कि अभी थोड़ा टाइम लो अच्छे से सोचो और उसके बाद फैसला करेंगे, दो घंटे तक दोनों की बातें चलती रही, पापा ने जाते - जाते काश्वी को कहा, “अब मैसेज पढ़ लेना वो इंतजार कर रहा होगा तुम्हारे जवाब का”   

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रचनाएँ
तलाश में हूं खुद की
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अपनी तलाश की है कभी, कभी खुद को ढूंढने निकले हैं, फुर्सत के लम्हों में कभी खुद से बात की है, कभी जाना क्या चाहता है दिल, हालातों में गुम होने पर तन्हाई की रात में खुद से टकराएं हैं कभी, कभी चलते चलते यूं ही रुक कर पीछे मुड़कर देखा है, सोचा कहां छोड़ आये खुद को, किस मोड़ पर खुद को खो दिया, किस मोड़ पर खुद से फिर मिले, हां, पता है, ये सब सोचने का टाइम किसके पास है, टाइम हो न हो, सवाल तो है, सोच का दायरा छोटा हो, पर जवाब बड़ा है, यूं ही चलते चलते कोई बता जाता है, यूं ही चलते चलते कोई समझा जाता है, यूं ही चलते चलते कोई खुद को खुद से मिलवा जाता है, ये कहानी भी ऐसी ही है अपने आप को तलाशने की, एक सफर अपने आप तक पहुंचने का। काश्‍वी और उत्‍कर्ष एक दूसरे के करीब आये और तब दोनों को एहसास हुआ कि उनकी जिदंगी कितनी अधूरी थी एक तलाश जो हमेशा से उन्‍हें थी धीरे – धीरे पूरी होने को है…
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भाग–1 बिंदास काश्‍वी

2 अगस्त 2022
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कहानी शुरु होती है एक स्कूल के प्रिंसिपल रुम से जहां एक 10 साल की बच्ची को उसी के पेरेंटस के सामने प्रिंसिपल डांट रही है, “मिस्टर कुमार आपकी बेटी इतनी शरारती है, इसकी वजह से एक बच्चे का हाथ टूट गया, इ

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भाग–2 काश्‍वी का नया दोस्‍त

3 अगस्त 2022
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काश्वी के बड़े होने के सिलसिले में कई मोड़ आए, कभी वो खुद से सवाल करती, तो कभी कोई उससे, कब खुश होती, कब उदास उसे खुद भी नहीं पता चलता, दूसरी लड़कियों से कुछ अलग थी, उसके पापा उससे अक्सर पूछते थे कि उ

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भाग–3 जिदंगी की तलाश

5 अगस्त 2022
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काश्वी ने अपने पापा को काम्पिटीशन के बारे में बताया, वो इतनी खुश थी कि उसके पापा ने झट से हां कर दी, रात भर पूरा परिवार उसकी तस्वीरों में से 10 ऐसी तस्वीरें ढूंढता रहा जो उसके टेलेंट को सही - सही दिखा

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भाग–4 धुंधली होती खुशियां

6 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष की बात ने काश्‍वी की सारी खुशी को धुंधला कर दिया। थोड़ी देर पहले तक वो खुद पर इतरा रही थी लेकिन अब उसे खुद पर ही शक होने लगा। धीरे – धीरे निराशा उसे घेरने लगी और वो चुपचाप एक कोने में जाकर

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भाग–5 जिंदगी की झलक

17 अगस्त 2022
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काश्‍वी के करियर का ये मोड़ उसके परिवार को नए उत्‍साह से भर गया। घर लौटते हुए सब इसी के बात करते रहे। पापा ने काश्वी से पूछा “एक महीने की वर्कशॉप, कब से जाना है?” “दो दिन बाद रजिस्ट्रेशन कराने जाना है

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भाग –6 पहाड़ों का सफर

18 अगस्त 2022
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तेरह घंटे का सफर शुरू तो बहुत जोश के साथ हुआ लेकिन दिन चढ़ते-चढ़ते सबका जोश ठंडा होने लगा। बस में बातों का सिलसिला अहिस्ता अहिस्ता थमने लगा। अब बस, बस के चलने की आवाज और हवा का शोर सुनाई दे रहा है। हम

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भाग –7 बस एक नजर

21 अगस्त 2022
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पहाड़ों की शाम बहुत शांत होती है यहां सच में आप महसूस कर सकते हैं कि शाम हो गई है बड़े शहरों की तरह यहां ट्रेफिक का शोर नहीं होता जिसमें पंछियों की आवाज गुम हो जाती हैं। यहां शाम होते ही पंछी अपने घरो

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भाग –8 जिदंगी ढूंढने निकला जब भी…

22 अगस्त 2022
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काश्वी अब थोड़ी कंफर्टेबल हो गई, काश्वी ने उत्कर्ष से पूछा, “आपने मेरी फोटोग्राफ देखी हैं?” उत्कर्ष ने सिर हिला कर हां कहा और ये भी कहा कि काश्वी को पहला प्राइज देने का आखिरी फैसला उन्होंने ही लिया था

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भाग –9 पुराना कैमरा और नया दोस्‍त

23 अगस्त 2022
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“फोटोग्राफी एक प्रोफेशन से ज्यादा पेशन है, अगर चीजों को देखकर आपको उसमें कुछ खास नजर नहीं आता तो आप एक अच्छे फोटोग्राफर नहीं बन सकते, कैमरे की नजर से पहले अपनी नजर और नजरिये को समझना जरुरी है यहां क्ल

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भाग–10 तुम सवाल बहुत करती हो

24 अगस्त 2022
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रात के बाद फिर सुबह हुई, काश्वी और दूसरे फोटोग्राफर को आज बाहर भेजा जा रहा है जहां वो अपने फोटोग्राफी के हुनर को निखार सके, अपने अपने कैमरे के साथ सब निकलने के लिये लॉबी में इकट्ठा हो गये, काश्वी की न

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भाग–11 नीला आसमान और तुम

25 अगस्त 2022
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अपना पहला एसाइनमेंट देखने के लिये सभी एक्‍साइटेड हैं लेकिन वापस आने के बाद से काश्वी काफी बेचैन  है, वो काफी देर से हॉल के बाहर कोरिडोर के एक छोर से दूसरे छोर तक चक्कर लगा रही है,  निष्कर्ष काफी देर त

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भाग–12 क्‍या हम दोस्‍त हैं?

26 अगस्त 2022
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करीब दो घंटे तक सबकी तस्वीरों पर खूब चर्चा हुई गलतियों और खूबियों को बताने के बाद उत्कर्ष वहां से चले गये, निष्कर्ष अब भी चुप रहा उसने काश्वी से कोई बात नहीं की, दोनों वहां से कोरिडोर की तरफ निकले, क

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भाग–13 मेरा घर कहीं खो गया है !

28 अगस्त 2022
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निष्कर्ष को ऐसे देखकर काश्वी परेशान हो गई और उसने पूछ ही लिया “क्या हुआ? बात क्या है अचानक सीरीयस क्‍यों हो गये?”  “कुछ नहीं बस यूं ही” निष्कर्ष ने जवाब दिया  “नहीं.. कुछ तो है आप और आपके पापा के बी

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भाग–14 नाराज क्‍यूं हो तुम?

28 अगस्त 2022
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 “पापा तो जैसे अपने कैमरे को भूल ही गये थे, उनके लिये अपने परिवार के लिये पैसा कमाना ज्यादा जरूरी था पर मां को लग रहा था कि ऐसे वो अपने सपनों के साथ समझौता कर रहे हैं, जिस कैमरे की वजह से वो दोनों मिल

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भाग–15 काश्वी तुम यहां कैसे आई?

28 अगस्त 2022
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 निष्‍कर्ष सीधा अपने कमरे में चला गया उसने किसी से कोई बात नहीं की, कुछ देर बाद काश्‍वी भी अपने कमरे में आ गई रात भर वो निष्‍कर्ष के मैसेज या फोन का इंतजार करती रही। रात गुजर गई और सुबह के 9 बजे तक भ

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भाग–16 बोलो दोगे मेरा साथ

9 सितम्बर 2022
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निष्कर्ष इधर–उधर सब तरफ काश्वी को ढूंढने लगा, उसने काश्‍वी को फोन भी किया लेकिन फोन लगा नहीं, वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्‍लाकर काश्‍वी को बुलाने लगा लेकिन काश्‍वी का कुछ पता नहीं लग रहा था, उसने थोड़ी दूर जा

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भाग–17 कुछ सामने है तो कुछ छुपा है

13 सितम्बर 2022
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रात को अकेले अपने कमरे में काश्वी ने उन किताबों में से एक को पढ़ना शुरू किया, उसे पढ़ते हुए काश्वी को निष्कर्ष की बात याद आने लगी, निष्‍कर्ष ने उसे ये किताबें इसलिये दी जिससे वो अकेला ना महसूस करें और

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भाग–18 दोस्‍ती में दीवार ?

29 अक्टूबर 2022
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निष्‍कर्ष को इस तरह अचानक देखकर उत्कर्ष को कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन काश्वी एक दम शॉक थी। निष्‍कर्ष का चेहरा देखकर उसे समझ आ गया कि वो क्या सोच रहा है, उत्‍कर्ष के साथ काश्‍वी को ऐसे देखकर निष्‍कर्ष को

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भाग–19 आखिरी असाइनमेंट

3 नवम्बर 2022
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जो बात हमें तकलीफ देती है उसे दिमाग से निकालना इतना आसान नहीं होता और उसे भूलकर किसी और चीज पर ध्‍यान लगाना काफी मुश्किल होता है, निष्कर्ष और उसके पापा का रिश्‍ता अब उस स्‍टेज पर पहुंच गया है जहां दोन

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भाग–20 मुझसे मिलोगे दिल्ली में?

4 नवम्बर 2022
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एक तरफ बर्फ से ढके पहाड़ इौर दूसरी तरफ रंग बिरंगा छोटा सा बाज़ार, निष्‍कर्ष और काश्‍वी अपनी थीम की तलाश करते आगे बढ़ने लगे। दुकानों के बाहर लटके रंग बिरंगी चीजें, ठंड का एहसास कराते गर्म कपड़ों से सजे

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भाग–21 कहानी अनकही

14 नवम्बर 2022
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निष्कर्ष ने काश्वी से पूछा एक बात बताओ, “तुम तो दिल्ली में रही हो हमेशा, फिर नेचर से कितनी करीबी कैसे हो गई? दिल्ली की लड़कियों को तो बड़े बड़े मॉल्स और फोरेन ट्रिप्स पर जाने का शौक होता है और तुम यहा

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भाग–22 एक खूबसूरत रिश्‍ता

30 जनवरी 2023
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सुबह जब निष्‍कर्ष उठा तो उसने अपने फोन पर कई मिस कॉल देखी, रात के ढाई बजे काश्‍वी क्‍यों फोन कर रही थी? ये सोचकर निष्‍कर्ष कुछ परेशान भी हुआ उसने तुंरत काश्‍वी को कॉल किया लेकिन फोन उठा नहीं, शायद अब

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भाग–23 सबसे बड़ी उलझन

30 जनवरी 2023
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कुछ देर तक सब शांत रहा, काश्वी की नजर पहले उत्कर्ष पर गई जो चुप हैं शायद किसी गहरी सोच में हैं, फिर उसने निष्कर्ष को देखा जो उसे ही देख रहा है, निष्कर्ष भी चुप है, कुछ सैकेंड बाद हॉल की शांति तालियों

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भाग–24 प्‍यार के पड़ाव

1 फरवरी 2023
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एक और पड़ाव पार कर लिया निष्कर्ष और काश्वी ने अपनी दोस्ती का, एक महीने के अंदर ही दोनों इतने गहरे दोस्त बन गये कि अब एक दूसरे की जिंदगी से अच्छी तरह परिचित हैं   रात तो गहरी हो रही है लेकिन काश्वी को

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भाग–25 वापसी

2 फरवरी 2023
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काश्वी मुस्कुराते हुए उत्कर्ष के ऑफिस से बाहर निकली, उसे खुशी है कि निष्कर्ष अपने पापा के बारे में जो सोच रहा है वो गलत है और एक न एक दिन दोनों फिर साथ होंगे, ये कैसे होगा ये काश्वी को नहीं पता पर एक

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भाग–26 “ये क्या है काश्वी?”

8 फरवरी 2023
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 पापा के जाने के बाद काश्वी ने अपना फोन चेक किया, निष्कर्ष का मैसेज था, उसे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिये मैसेज किया, काश्वी ने टाइम देखा तो रात के तीन बज रहे थे, उसने सोचा अब सुबह ही बात करेगी निष्कर्

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भाग–27 दूर कैसे रह पाएंगे?

10 अप्रैल 2023
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काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामन

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भाग–28 यादगार सफर

26 जुलाई 2023
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निष्कर्ष के कहने पर काश्वी ने उत्कर्ष को रिप्लाई किया और एडमिशन के लिये हां कर दिया… कुछ घंटे बाद ही रिप्लाई आया जिसमें कंफरमेशन के साथ काश्वी को 15 दिन में ज्वाइन करने को कहा गया रिप्लाई आते ही काश्

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भाग–29 सच से सामना

12 सितम्बर 2023
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फ्लाइट में पूरा समय निष्कर्ष ने काश्वी से उदयपुर की बात की… उसने बताया कि वो जब भी उदयपुर आता था तो उसकी मां उसे अपने बचपन की कहानियां सुनाती थी… “रेगिस्तान के बीच पहाड़ों और झीलों से घिरा एक छोटा सा

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भाग–30 हर वक्त साथ रहूंगा

21 सितम्बर 2023
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निष्कर्ष कुछ उदास है… काश्वी ने ठीक कहा था उसे नींद नहीं आ रही है… बहुत बैचेनी है… जब कुछ समझ नहीं आया तो निष्कर्ष ने अपने पापा को फोन किया…   कुछ देर घंटी बजने के बाद उत्कर्ष ने फोन उठाया वो कुछ घबर

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भाग–31 उत्‍कर्ष का सच

3 नवम्बर 2023
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 काश्वी चली गई और निष्कर्ष अपने घर लौट आया… कई घंटे की यात्रा के बाद काश्वी पहुंच गई… एयरपोर्ट पर पहुंचते ही सबसे पहले उसने निष्कर्ष को फोन किया… निष्कर्ष ने उसे वहीं रूकने को कहा… काश्वी कुछ पूछ प

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भाग–32 नया चैप्‍टर

3 नवम्बर 2023
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 सुबह हुई और काश्वी की जिंदगी का नया चैप्टर शुरू हुआ,,, नया देश,, नया कॉलेज और नये लोग पर एक डोर थी जो उसे घबराने या डरने नहीं दे रही थी पहली बार वो नये माहौल में भी इतनी कांफिडेंट थी,,,, वो डोर

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भाग–33 मुझे तुम्हारे पास होना चाहिए था

3 नवम्बर 2023
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 हम हमेशा सोचते है कि हमसे ज्यादा दुख और तकलीफ किसी को नहीं,,,दूसरा हमेशा खुद से खुश ही लगता है,,,किसी की तकलीफ का एहसास तभी होता है जब आप उसी तकलीफ को महसूस करते है,,और उस वक्त जो इसे समझ जाये वो

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भाग–34 सामना करो अपने डर का

3 नवम्बर 2023
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 निष्कर्ष को देखकर काश्वी काफी खुश थी डॉक्टर्स भी हैरान थे उसकी इंप्रूवमेंट देखकर,,, अगले ही दिन काश्वी को आईसीयू से वॉर्ड में शिफ्ट कर दिया गया,,,,कोई ऐसा पास हो जिससे जिंदगी की हर सांस जुड़ी हो त

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भाग–35 तलाश आज पूरी हुई

3 नवम्बर 2023
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 जब सवालों की भीड़ लग जाये तो जवाब तलाशने पड़ते हैं और जवाब कहां मिलेगा ये सबसे बड़ा सवाल होता है,,,निष्कर्ष के सामने भी अब ये हालात थे काश्वी के सवालों के जवाब उसके पास नहीं थे और जो सवाल उसके मन म

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