काश्वी ने देखा तो उसका ईमेल खुला हुआ है वहीं मेल जो उत्कर्ष ने उसे किया… मेल में उत्कर्ष ने काश्वी को रिमांइड कराया कि उसे जल्द एडमिशन के बारे में फैसला करना है… काश्वी सब समझ गई… उसका डर अब उसके सामने है… निष्कर्ष चुप खड़ा रहा… काश्वी के पास अब निष्कर्ष को सब बताने के अलावा कोई रास्ता नहीं… उसने पूरी बात निष्कर्ष को बताई और वो तस्वीरें भी दिखाई जो उत्कर्ष ने उसे दी थी… सब कहने के बाद वो निष्कर्ष के रिएक्शन का इंतजात करने लगी… उसे पहले से डर था कि निष्कर्ष ये सुनकर क्या कहेगा… उसे कैसा लगेगा… लेकिन अब जब निष्कर्ष को सब पता चल गया है तो उसने बिलकुल वैसा रिएक्ट नहीं किया जैसा काश्वी को डर था
निष्कर्ष ने आराम से काश्वी की पूरी बात सुनी और जब वो चुप हो गई तो कहा, ‘काश्वी तुमने अब
तक जवाब क्यों नहीं दिया तुम्हें जाना चाहिए ये सबसे बेस्ट रहेगा तुम्हारे करियर के लिये, पापा का रिश्ता मेरे साथ जो भी हो लेकिन तुम्हारे लिये वो हमेशा अच्छा ही सोचेंगे प्लीज तुम मेरी वजह से ये सब खोना नहीं”
काश्वी ने थोड़ी राहत की सांस ली और कहा, “मुझे डर था कि आपको शायद अच्छा नहीं लगेगा
इसलिये पूछा भी नहीं, बताया भी नहीं”
“अच्छा मुझसे डर लगा, काश्वी तुम मेरी सबसे अच्छी दोस्त हो, एक महीने में ही हम एक
दूसरे के इतने करीब हो गये इसकी वजह यही है कि तुम्हारी और मेरी सोच मिलती है लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि मेरी वजह से तुम अपनी लाइफ के फैसले नहीं लोगी, तुम मुझसे कभी भी
कहीं भी कोई भी बात कर सकती हो प्लीज कुछ भी मत सोचना कुछ कहने के पहले और पापा के
बारे में मैंने तुम्हें इसलिये सब बताया क्योंकि तुम समझती हो लेकिन इसका मललब ये नहीं कि तुम मेरी वजह से वो गवां दो जो तुम्हारे लिये अच्छा है”
निष्कर्ष ने काश्वी को बैठाया और उसका हाथ पकड़कर पूछा, “हम दोस्त हैं न?”
काश्वी ने सर हिलाकर हां कहा, वो बहुत ध्यान से निष्कर्ष को देखने लगी… एक महीने में पहली
बार निष्कर्ष का ये रूप देखा और आज वो उसे और करीब आता लगा
निष्कर्ष ने फिर कहा, “दोस्ती का मतलब भरोसा है क्या तुम्हें मुझपर भरोसा है?”
काश्वी ने फिर हां में सर हिलाया
“भरोसा है तो अभी पापा को रिप्लाई करो कि तुम ज्वाइन करोगी” निष्कर्ष ने कहा
काश्वी थोड़ा झिझकी लेकिन फिर उसने हां कर दिया
“एक साल के लिये वहां जाना होगा” इतना कह कर काश्वी चुप हो गई… उसकी आंखों में
आंसू भी आ गये जिसे छुपाने की वो कोशिश करने लगी निष्कर्ष समझ गया कि काश्वी के मेल का जवाब न देने के पीछे उसके पापा और उसका रिश्ता ही एक वजह नहीं, एक और वजह भी है… उसका और निष्कर्ष का रिश्ता जो दोस्ती का एक और पड़ाव आज पार कर रहा है
निष्कर्ष भी कुछ उदास हो गया वो भी वही महसूस कर रहा है जो काश्वी ने किया… उसे एहसास हुआ कि
काश्वी उसे छोड़कर नहीं जाना चाहती… यही दर्द महसूस किया था उसने जब काश्वी ने उससे पूछा था कि वो उसे दिल्ली में मिलेगा या नहीं और अब तो वो उसे सात संमदर पार जाने को कह रहा है… ये फैसला कैसे आसान होगा काश्वी के लिये
निष्कर्ष ने पहले खुद को संभाला और फिर काश्वी से कहा, “आज मुझे मां की बात याद आ रही है जो उन्होंने पापा को कही थी… प्यार बांधता नहीं है खुला छोड़ देता है अपने सपनों को पूरा करना चाहिए… तभी असली खुशी मिलती हैं… मैं जानता हूं फोटोग्राफी तुम्हारी जिंदगी है काश्वी और मैं तुम्हारे पहले प्यार को तुमसे अलग नहीं कर सकता… तुम्हें जाना होगा और ये मत सोचो कि हम दूर हुए तो बात करना बंद कर देंगे… हम दूर रहकर भी पास रहेंगे… तुम्हारे हर प्रोजेक्ट में मैं तुम्हारे साथ रहूंगा… जैसे वहां जंगल
में था… खुद चाहे डरूंगा पर तुम्हें रूकने नहीं दूंगा… और आजकल कम्यूनिकेशन मुश्किल कहां… फोन है… इंटरनेट है सब है… हम हमेशा कनेक्टेड रहेंगे
काश्वी अब और ज्यादा इमोशनल होने लगी…
निष्कर्ष ने उसका उदास चेहरा देखकर कहा “और हां अगर तुम्हें ये डर है कि मुझे यहां कोई और
गर्लफ्रेंड मिल जाएगी तो सुन लो… एक ही काफी है… और अब तो मैंने उसके पापा को भी पटा लिया है”
रोते - रोते काश्वी हंसने लगी
“तुम ठीक हो अब… कंन्फ्यूजन दूर हुआ?” निष्कर्ष ने पूछा
“हां” अपने आंसू पोछतें कर काश्वी ने मुस्कुराते हुए कहा
“तो चलो रिप्लाई करो और कहो तुम तैयार हो जाने के लिये” निष्कर्ष ने कहा
“ठीक है पर एक शर्त है” काश्वी ने कहा
“शर्त… कैसी शर्त?” निष्कर्ष ने हैरानी से पूछा
“मेरे जाने से पहले हम उदयपुर जांएगे” काश्वी ने कहा
“उदयपुर… जाना है तुम्हें? ठीक है मंजूर है मैं ले जाउंगा तुम्हें पर अभी रिप्लाई करो” निष्कर्ष ने
कहा