Meaning of पकड़ना in Hindi
Meaning of पकड़ना in English
Articles Related to ‘पकड़ना’
- माँ का संघर्ष ( दूसरा अध्याय )
- ये कहाँ आ गए हम ?
- हास्य कहानी
- आंसू - शिखा
- प्रीत की आस लगाई
- गर्मी आ गई है
- वक़्त से आगे निकल,फिर सामने आ
- सूर्य को खबर कर दो, भारत आ रहा है
- जिंदगी
- ❤
- R O Water अर्थात क्या ?
- झलक दिखला जा, बरखा आ जा......
- फ़िल्म 'द जंगल बुक' रास आ गई लोगों को
- jab main tha un chand sitaron k beech
- वो दिन ना कभी आए
- आज वो मेरे आस-पास है...
- आंधियां फिर से पलट कर आ गईं
- मैं मर रहा हूँ तेरे याद में तो आप को क्या गम है (गजल)
- फिर पांव पलट कर वहीँ आ गए
- सारी बेचैनी किसलिए?
- और, लौट आई टीटू की दीदी | समाज का चलचित्र ६-वर्ष के बालक की आँखों से
- हमारे देश के नेता(व्यंग)
- और, लौट आई टीटू की दीदी | समाज का चलचित्र ६-वर्ष के बालक की आँखों से
- बिहार की तरह यूपी मे भी हो इण्टर हाईस्कूल की परीक्षा
- नेता पर नहीं पड़ेगा टमाटर का मार बाजार में 80 रु किलो बिक रहा टमाटर।
- छोड़कर पीछे अंधेरे ,रोशनी में आ गए
- "आस का दामन"
- ज़हर को चखना परखना आ गया
- ❤❤
- नेता जी के बदलते रुप#व्यंग
- जबरदस्त जोक्स
- लावण्य की मृग-मरीचिका
- आलोचना
- नये जीवन की आस लिये
- घमण्ङी कौन।
- शब्दनगरी पर और कुछ-----
- आस
- देश के बच्चे
- तिरंगा(कविता)"ये वतन"पुस्तक
- मोदी जी देश के विकाश के रथ की पहिया
- कहानी
- जब शरद आए
- दलिया सब्जिया काहे महंग होता जा रहा है भईया
- अपने बारे मे (प्रथम सस्कंरण)
- माता का भक्तों को बुलावा, आ गए शारदीय नवरात्र
- अलविदा कहने का वक़्त आ गया
- नव वर्ष के अवसर पर मेरी एक रचना शब्दनगरी को समर्पित |
- हम शाख से टूटे,ज़मीं पर आ गए
- देहाती असभ्य और शहर वाले सभ्य क्यों ?
- नव वर्ष के अवसर पर मेरी एक रचना शब्दनगरी को समर्पित |
- कभी ऐसे भी आ जाया कर - शिखा
- हमारे देश की इस बिल्डिंग से पाकिस्तान के माथे पर आ रहा है पसीना
- तेरा दर हो, मेरा सर हो तो मजा आ जाऐं
- अनुपमा
- शब्दनगरी पर और कुछ-----
- पापा जल्दी घर आ जाना
- हम स्वच्छ हमारा घर स्वच्छ
- कालेधन पर कविता के लिए इस पर गौर करें।
- गौ हत्या क्यों
- कबड्डी में जो डूब जाता है और जिसे इतना भी खयाल नहीं रहता कि आनंद आ रहा है कि नहीं आ रहा , उसे आनंद आ जाता है।
- led बल्ब लगाओ गरीब के भी घर मे उजाला पहुंचाओ
- नेता जी
- नेता जी मतलब मेढ़क के बरखा बोल
- लड़की:-छी छी…कैसा जमाना आ गया हैवो द्े्ख्ो्..
- Prem ki ek dasta
- इस जीवन में बैठे ठाले ऐसे भी क्षण आ जाते हैं जब हम
- नेताजी के लॉलीपाप वादे (व्यंग)
- झाँसी (होटल अशोक) 15 फरवरी' 95 (शाम 07:45)
- ओ३म्
- आ -आ के मेरे गांव से ठंडी हवाएँ पूछती हैं,
- बापू आजा न मेरा देश भटक गया है
- शब्दनगरी पर आैर कुछ-----------
- अब समय आ गया है , हमेँ अस्त्र - शस्त्र उठाने का
- सुन सज-धज आ गई बसंत-बहार !!! (बसंत-पंचमी पर विशेष)
- इतना प्रदूषण क्यों ?
- शादी विवाह और बेलना |
- रमजान
- गर्व की बात - garv ky baat
- वाह रे मोदिया वाह (व्यंग)
- सावन आए सबके मन को भाए!
- अजब मोड़ पर आ गए हम
- सपा की साईकिल यात्रा
- जीवन का अर्थ
- शिक्षा अमीरों की जाहगीर
- दर्द तो होता रहा,पर मुस्कुराना आ गया,
- शब्दनगरी वरदान
- वह देश है मेरा हिन्दुस्तान(कविता)"ये वतन"पुस्तक
- ये कहाँ आ गए हम
- मोदी जी विकाश के रथ की पहिया
- वो कौन है(कविता)"ये वतन"पुस्तक
- माँ
- हमारे नेताजी
- वन सरंक्षण हमारा मौलिक कर्तव्य
- झाड़ू लगाने और योग करने से जनता खुश नहीं
- शब्दनगरी में केवल मुद्दे या साहित्य भी
- स्वप्न मेरे: हमारी नाव को धक्का लगाने हाथ ना आए
- पाण्डे जी कै कमवा सब होई गवा ठण्डा|
- राम मन्दिर पर कविता (प्रथम संस्करण)
- 16.शेरावाली आए हम तेरे शरण में
- शब्दनगरी का धन्यवाद
अक्षरों पर क्लिक करके अन्य शब्द देखें