हमारे शहर में हुआ मंत्री जी का आगमन,
सबके मन को टटोलना चाहा कर भ्रमण,
मुझे नगर दिखाओ,करीब से मिलाओ लोगों को;
कलेक्टर था बहुत चतुर , तैयार किया चुनिंदा लोगों को।
तैयार किए कुछ रास्ते, जो ना थे गड्ढों से भरे,
तुरत फुरत कराया डामरीकरण,पेड़ लगाए हरे भरे।
खंभों पे चालू किया बल्बों को,सजाए फुटपाथ सुन्दर,
जिस सड़क से मंत्रीजी जाने वाले थे,बदल गया था मंज़र।
ये वही सड़क थी ,जो कल तक रो रही थी अपनी बदहाली पे,
आज इठला रही थी ,जैसे नयी नवेली दुल्हन
अपनेश्रृंगार पे।
कल तक इस सड़क पे ,कितने ही लोग टूटे फूटे पड़े हैअस्पताल में,
आज नगर की सारी सड़कें ,कर रही है ईश्या उससे;
कल तक हमसे थी गई गुजरी,आज वो सुन्दर है सबसे।
क्या कहना है मंत्री जी से,उधर चुनिंदा लोगों
की जारी थी रिहर्सल;
बसों में भर के लायी गई जनता,स्वागत में मंत्री जी के करने हलचल।
जय हो जय हो जय हो ,मंत्रीजी जी जिंदाबाद के लगाते नारे ;
धूप में खड़े थे भूखे बेचारे,मेकअप द्वारा तैयार सड़क के दोनों किनारे।
चेहरे पे बेबसी की नकली मुस्कान उभारे,
केवल तीन सौ रुपए के मारे,
पेट की सिकुड़ी आंतें दिखी नहीं मंत्री जी को, केवल सुनायी दे रहे थे स्वागत नारे;
नकली प्रयत्नों को देख, मंत्री जी की नजर में अफसरों के हो रहे थे वारे न्यारे।