भारत में इतना करोना का जोर नहीं था।लेकिन कुनिका कपूर के टी वी पे आने के बाद यह अचानक से पूरे देश में फेल गया।रही सही कसर तबलिक जमात के टी वी पे आने से पूरी हो गई।फिर तो कोरोना ने जो रफ्तार पकड़ी कि उसे थामना मुश्किल हो गया। जगह जगह धर पकड़
चल गई।लोग भ्रम में पड़ गए , सामान्य सर्दी जुकाम वाले भी फँस गए। लोकडाउन के दौरान अधिक दिन
होने के कारण लोग त्रस्त हो गए। बार बार घर से बाहर निकलने के कारण ढूंढ़ने लगे।रिश्तेदारों,मित्रों को फोन खड़खड़ाने लगे। बिल्डिंगों के चौकीदार, गार्ड डॉक्टर बन सभी का टेंप्रेचर लेने लगे।गलियों में बैरिकेड्स लगने लगे।हर गली मुहल्ले में कई कई कर्फ्यू पास वाले समाजसेवी पैदा हो गए।कुछ समाज सेवा कम कर्फ्यू पास का घूमने में उपयोग ज्यादा करने लगे। पुरा घर राशन से भरने के बावजूद कई लोग सरकार को कोंसते दिखे। डर के मारे बहुत से लोगों ने खांसना और छींकना बंद कर दिया। टी वी न्यूज़ कोरोना से शुरू और कोरोना पे खत्म होने लगी।
आंकड़े दिखाएं जाने लगे कि कौनसा शहर नंबर 1 और कौनसा नंबर2 पे है।दिल्ली और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री लगातार टी वी पे केवल संदेश प्रसारित करने में लगे रहे और उधर कोरना चुपचाप पैर पसारता रहा।वो तो जमीन पैरों के नीचे से खिसक गई,तब उनका ये शौकीन दौर बंद हुआ।प्रधान मंत्री जी ने उद्योगपतियों,ठेकेदारों को अपने मजदूरों का ख्याल रखने दाने पानी की व्यवस्था करने का कहा,मकानमालिक को किराया माफ करने का कहा ।पर ये सभी बेचारों के लिए तो ऐसा रहा जैसे पेड़ की जिस शाखा पे बैठे उसी को काटो।
उधर ममता दीदी का वोट बैंक खिसक रहा इस कोरोना के मारे।तेलंगाना ,तमिलनाडु और आंध्र सभी जगह कोरोना बाय बस या बाय एयर या फिर बाय ट्रेन पहुंच गया और अट्टहास करने लगा। ट्रंप का भी दिमाग भी उल्टा पुल्टा ही गया।अच्छे अच्छे महारथी भी इसके आगे नतमस्तक हो गए।