आज पांच अगस्त का दिन है बड़ा महान बड़ा महान;
भगवान श्री राम को मेरा प्रणाम मेरा प्रणाम।
बालपन से संयम के साथ किया चरित्र साकार,
छोटे भाइयों को दिया प्यार,बड़ों का किया सत्कार।
विद्याध्ययन के लिए किया आश्रम में गुरु सानिध्य निवास,
गुरु और गुरुमाता को नहीं होने दिया राजपुत्र सा आभास।
सामान्य बालक की तरह भाइयों संग लिया गुरु ज्ञान,
विविध विषय,नैतिक शिक्षा, शस्त्र विद्या और विज्ञान ।
पारंगत श्रीराम ने यज्ञ में बाधा बने असुरों का किया संहार,
ऋषि मुनियों ने शांति पूर्वक पूर्ण किए सभी यज्ञ प्रकार।
युवराज श्री राम के राज्याभिषेक की हुईं पूरी तैयारी,
जगमग हुआ महल सुन्दर सजने लगी पूरी अयोध्या नगरी।
दुष्ट मंथरा ने रानी कैकई के कान भर उभारा विरोध स्वर,
व्यथित राजा दशरथ और माता कौशल्या के लिए था यह क्षण दुश्वार।
किया विदा अपने प्रिय पुत्र को व्याकुल हो चौदह वर्ष वनवास को,
प्यास से व्याकुल श्रवण कुमार के पिता का श्राप भोगना था राजा दशरथ को ।
चले श्रीराम अपनी भार्या सीता संग आज्ञानुसार वन को,
सारी प्रजा एकत्र हुई नगरी द्वार पर श्री राम के वंदन को;
क्रोधित लक्ष्मण साथ हो लिए अपने भ्राता संग वन गमन को।