तिनका तिनका चुन कर लायी , बनाने के लिए एक घरौंदा;
जल्दी ही बारिश आने वाली है,समय कम है जल्दी बने घरौंदा।
सामग्री एकत्र कर ली है,बस चुन चुन के तिनका बुनने की तैयारी;
मै और मेरा साथी दोनों मिल,करते एक सुन्दर आशियाने की तैयारी।
बड़ी मुश्किल से जगह तलाशी,आने वाले नए मेहमानों की फ़िक्र है भारी;
अब आंगन में वो बड़े पेड़ कहां ,आंगन ही छोटे हो गए उस पे कांक्रीट भारी ।
तिनके ढूंढ़ने नहीं रहे आसान, एक एक तिनके को लाने को होती बड़ी कोशिश;
चारों ओर है शोर शराबा ,कैसे होगी हमारे आने वाले बच्चों की परवरिश।
आखिर कुछ भी हो बदलाव ,हमें नीबाहना होगी अपनी जिम्मेदारी;
अपनी इस छोटी सी गृहस्थी को, सजाने के लिए यही है अब मजबूरी।
कच्चे मकानों के आंगन में,पेड़ के कोपल में या खपरैल पे जन्म लेती थी नई ज़िन्दगी;
वहीं आंगन में तो कभी अन्दर घर में,पुरा भोजन और प्रशिक्षण पाती थी जिन्दगी।
अब इन पक्के मकानों में घुसने ना दे ,कोई भोजन पानी छोड़ो आसरा ना दे यहीं;
फिर भी उम्मीद पे कायम है ये दुनिया,यही सोच कि बच्चों के लिए समय काट ले यहीं।