सभ्यता की विकास यात्रा जारी है अनवरत अनवरत,
पृथ्वी के जन्म से चल रहा है परिवर्तन अब तक।
कई प्रजातियां पौधों की और जीवों की बदल रही अविरत,
बड़े बड़े पेड़ों में और जानवरों में हो रहा बदलाव शाश्वत।
मानव सभ्यता भी वृक्ष छालों से परिवर्तित हो गई कई परिधानों में,
चक्र व अग्नि के आविष्कार ने बदल दिया,
बैल गाड़ियों को कारों और हवाईजहाजों में।
फिल्मों को रंगीन बना,कैमरा हो गया डिजिटल,
छोटे से मोबाइल में दुनियां समा,कंप्यूटर गया बदल।
सभ्यता की विकास यात्रा जारी है अनवरत अनवरत।
एक छोटी सी चिप में सारी यादें कैद हो गई,
एल्बम की अब जरूरत कहां ,
वो तो लैपटॉप पे सेट हो गई।
लैंडलाइन अब वायरलेस हो गई ,
वाईफाई से पूरी दुनिया कनेक्ट हो गई।
ऑनलाइन से स्कूल,कॉलेज और बैंक घर पहुंच गए,
चंद क्षणों में संदेश विश्वभर में हो गए वायरल ,
बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक हो गए इनके कायल,
धोखाधड़ी और लूटपाट भी हो गई डिजिटल।
लोगों के किडनैप की जगह अब खाते हो रहे हैक,
सारे उपकरणों के गुलाम हो मानव सभ्यता खो रही अपना विवेक।
सभ्यता की विकास यात्रा जारी है अनवरत अनवरत।