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एक था बचपन (संस्मरण)भाग 1

8 जुलाई 2020

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मेरी कार भुसावल शहर से सुनसगांव के रास्ते पे तेजी से दौड़ रही थी,और मेरे दृष्टिपटल पर अतीत के सारे दृश्य एक एक कर फिल्म की भांति लगातार अंकित होते जा रहे थे।आसपास के चलते मकानों और पेड़ों को देख पुरानी यादें सामने खड़ी हो गई।आज 25 साल बाद मैं अपने ननिहाल जा रहा था ,क्योंकि नानी जी के स्वर्गवास के बाद वहां कोई नहीं था ।तीनों मामा नाशिक शहर में आ कर बस गए थे।हम तीनों भाई मम्मी के साथ बस से इसी रास्ते से जाते थे।खिड़की वाली सीट सम्हालने का मजा ही कुछ और था।बाहर झांकते हुए चलते हुए मकानों,पेड़ पौधों,जानवरों ,इंसानों को देख बड़ा ही आनंद आता था।आज कल के बच्चे तो कार में बैठ कर मोबाइल हाथ में ले रास्ता काट लेते हैं।प्रकृति के वास्तविक सौंदर्य का आनंद लेने का उन्हें समय कंहा।अचानक मेरे पैर ब्रेक पर जा टिके,और कार तुरंत एक खेत के पास पहुंच कर रुक गई।मै नीचे उतर कर पास ही कुंए की मुंडेर पर जा बैठा । घिर्री ,बाल्टी रस्सी सब गायब था।अब इन सबकी जरूरत क्यों,बस बटन दबाओ पानी बाहर।भरी दुपहरी में गर्मी के दिनों में आम के झाड़ के नीचे मटके में रखे ठंडे पानी को पीकर गला इतना तर हो गया जितना कोल्ड्रिंक्स से कभी ना होता।कब एक गहरी झपकी आ गई पता ही ना चला।क्या बात है भाऊ, खाना खाओगे क्या?

इतना सुनते ही मेरी तंद्रा भंग हुई।मैंने अपना परिचय दिया,तो उसने बताया कि वो मधुकर मामा की खेती सम्हालता है।तुरंत उसने एक बड़ा सा पपीता और कुछ कच्चे आम कार में रखवा दिए। मेरी कार एक बार फिर सड़क पर दौड़ रही थी ।तभी ऊंचाई पर अरविंद मामा का खेत दिखाई दिया ,और आगे मोड़ पे प्रकाश हाइस्कूल दिखाई दिया ।बस कुछ ही दूरी के फासले पे सुनस गांव

है। गांव में जैसे ही प्रवेश किया ,बहुत कुछ बदला सा पाया।जगह जगह टपरियों (गुमटियों) की जगह कुछ पक्की दुकानें सज गई थी।फिर भी कुछ सुना सा लग रहा था ।नयी पीढ़ी मुझे ना पहचान पाने को विवश थी,और मुझे पहचानने वाले गांव रिश्ते के मामा मामी अंदर घरों में कूलर की हवा का आनंद ले रहे थे।पहले कंहा कूलर होते थे।पेड़ के नीचे चारपाई (खाट) बिछा आराम हो जाता था।आई , मैं और दोनों भाई बस से उतरते,वैसे ही मैं तुरंत नानी (आजी) की हवेली की ओर दौड़ लगा देता।बीच में नशिराबादकर की दुकान के पास की संकरी गली से रिश्ते के मामा मामी, मासी,नाना नानी से बतियाते हुए सीधे नानी के डेहलक पे जा के कदम रुकते थे।(डेहलक ,एक बड़ा दरवाजा जो हवेली के सामने बड़े बरामदे में खुलता है।) वहां पंहुचते ही सबसे पहले पेमा मामा के दर्शन होते और रसोई में से चंद्रा मामी की मामा को कुछ हिदायत देती आवाजें आती।एक सांस में चार सीढ़ी चढ़ कर सीधे अंदर पहुंच आवाज लगा देता "आजी अम्हि आलो।"

हमारे बड़े मामा के बेटे बेटी, विजू दादा और अक्का ताई

हमारा इंतजार ही कर रहे होते।

आगे जारी है। भाग 2 में ।
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रचनाएँ
Family
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आप सभी इस पेज पर आमंत्रित है।
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तब मै बहुत खुश था

9 जून 2020
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हां मै बहुत खुश था ,जब मै छोटा था । पापा लाए थे हार डाल कर नयी सायकिल, सारे दोस्तो को इकट्ठा कर ,मै बहुत खुश था,सभी को एक एक राउंड का वादा कर ,मैंने नहीं छोड़ी सायकिल दिन भर।हां मैं बहुत खुश था,जब घर पर टी वी आया,वो भी ब्लैक & व्हाइट ,रोब

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विकास की दौड़

11 जून 2020
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विकास की दौड़ में,हो गया हूं मै अंधा, प्रतियोगिता के इस चरम पर, पहुंच गया ये बंदा।बुद्धि का हुआ जैसे जैसे विकास,प्रकृति का किया वैसे वैसे सत्यानाश।विकास की दौड़ में ,हो गया हूं मैं अंधा ।रास्ता बदलने को किया मजबुर,खिलखिलाती इन नदियों को किया,बहुतों से दूर।जंगल काटे ,शहर बस

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ज़िन्दगी

20 जून 2020
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जिन्दगी सफल होती है ज़िंदादिली से, हरदिल अज़ीज़ होती है अपनेपन से।अपने ही तो बुनते है तानाबाना ज़िन्दगी का,अपनों से ही बनता है आशियाना जिंदगी का।कब से मै तलाशता फिर रहा अपनों को,कोशिश कर रहा रंगों से भरने की, इस वीरान जिंदगी को।आज मै बहुत खु

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हिन्दुस्तानी सैनिक

22 जून 2020
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पंद्रह जून की वह अंधेरी रात, सुकून से सो रहा था,हर हिन्दुस्तानी।क्योंकि सीमा पे चीनियों को, सबक सिखा रहे थे,जांबाज़ हिन्दुस्तानी।वो थे चीनी हजारों में,केवल पैंतीस सैनिकों क

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नदियां कहती हैं

25 जून 2020
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कल कल बहती,किनारों से मिलकर, बहुत कुछ समेटे,अपने साथ लेकर,बारिश के आते ही,दौड़ती हूं खिलखिलाकर।कभी मै रौद्र बन, किनारों को काटकर,विनाश की ओर

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मन का भ्रम

27 जून 2020
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कैसी विडम्बना है ये, कि भ्रम में पड़ा ये मन है, बहुत सोचा बहुत समझा,पर बांवरा ये मन है।विचार बहुत आये मन में,पर चंचल ये मन है,कोशिश की बहुत रुकने की,पर ठहरता नहीं ये मन है।सोचा बहुत आगे बढ़ने को,पर थम गया ये म

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मन का भ्रम

27 जून 2020
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कैसी विडम्बना है ये, कि भ्रम में पड़ा ये मन है, बहुत सोचा बहुत समझा,पर बांवरा ये मन है।विचार बहुत आये मन में,पर चंचल ये मन है,कोशिश की बहुत रुकने की,पर ठहरता नहीं ये मन है।सोचा बहुत आगे बढ़ने को,पर थम गया ये म

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मैं खुशी ढूंढ़ता हूं

29 जून 2020
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छोटे छोटे अरमानों के पुरा होते देख,मैं खुशी ढूंढ़ता हूं।किसी गरीब की थाली में पकवान देख,किसी मजदूर को काम के

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जीवनसंगिनी

30 जून 2020
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मेरी जीवन संगिनी,मेरी अर्द्धांगिनी, मेरे सपनों की पथगामिनी,प्रकृति के सानिध्य में रहने कीआकांक्षा लिए एक गृह स्वामिनी,प्रबंधन में व्यवस्थित एक गृ

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जज़्बात

30 जून 2020
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जज़्बात किसी के भी हो,रहते दिल की गहराई में,

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कोरोना का सच भाग 1

3 जुलाई 2020
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कोरोना का नाम बहुत सुना था। लेकिन 25 मार्च के बाद हमें समझ में आया क्या चीज है आखिर वह। लॉक डाउन के बाद हम सभी एक दूसरे को शक की निगाह से दे

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कुछ अधूरी ज़िन्दगी,जो पूरी हुई

5 जुलाई 2020
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मै जब यह लिखने बैठा तो एक एक कर अतीत के पन्ने खुलते चले गए। मै आखिर एक सरकारी मुलाजिम रहा,मुझे सीमित आय में घर को व्यवस्थित चलाना पड़ता।उसके

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एक था बचपन (संस्मरण)भाग 1

8 जुलाई 2020
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मेरी कार भुसावल शहर से सुनसगांव के रास्ते पे

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एक था बचपन भाग 4(संस्मरण)

11 जुलाई 2020
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मेरी कार धीरे धीरे सुनसगांव में प्रवेश करती है और मंदिर के सामने पत्थर वाले रोड से गुजरती है।सामने बाबू सोन जी मामा का मकान दिखता है हमेशा म

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कोरोना का सच भाग 2

14 जुलाई 2020
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भारत में इतना करोना का जोर नहीं था।लेकिन कुनिका कपूर के टी वी पे आने के बाद यह अचानक से पूरे देश में फेल गया।रही सही कसर तबलिक जमात के टी वी पे आने से पूरी हो गई।फिर तो कोरोना ने जो रफ्तार पकड़ी कि उसे थामना मुश्किल हो गया। जगह जगह धर पकड़चल गई।लोग भ्रम में पड़ गए , स

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अल्फ़ाज़ तेरे कहीं खो ना जाए

14 जुलाई 2020
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अल्फ़ाज़ तेरे कहीं खो ना जाए, जल्दी से समेट ले ,कहीं देर ना हो जाए।पिरों दे माला में इन्हे,कहीं भटक ना जाए।वक़्त बहुत है कम,कहीं ये फिसल ना जाए।इबारत का रास्ता है कठिन,कहीं अटक ना जाए।मंजिल पे पहुंचा जल्दी इन्हें,कहीं देर ना हो जाए। अल्फ़ाज़ तेरे कहीं खो ना जाए।

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विश्वास की चादर

15 जुलाई 2020
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विश्वास की चादर फैला, उस पे ईमानदारी को बैठा, इतिहास बदल दिया उसने भारत का है।वर्षों से विश्वभर में जो स्थिति हमारी थी,आज पूरे विश्व में वो साख देश ने कमाई है।स्वच्छता का संदेश फैला जनमानस में,गांव गांव गली गली आज साफ सुथरी है।भ्रष्टाचा

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अल्फ़ाज़

17 जुलाई 2020
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रोज इंतेज़ार करते है, तुम्हारे इन अलफाजों का,शोर मच जाता है,इस खामोशी के आलम में,जब आगाज़ होता है, इन अलफाजों का।

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खुशियां

17 जुलाई 2020
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खुशियां खरीदना चाहता है पैसों से ,लेकिन जानता नहीं किखुशियां टिकती नहीं,जो खरीदी जाए पैसों से।खुशियां वफ़ा नहीं होती है,पैसों की ।वह तो मुराद होती है,प्रेम की।गर खुशियों की दुकान जो होती,तो शायद खुशियां उधार न मिलती।फिर खुशियां हर किसी

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कोरोना का चक्र

17 जुलाई 2020
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नियति ने रचा यह चक्र है,प्रकृति से छेड़छाड़ करने पर,उसकी दृष्टि हम पे वक्र है ,नियति का रचा यह चक्र है।उसको करने चले थे खामोश, परिणाम उसी का है ये किआज हम भी है खामोश।

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इंसान की फितरत

19 जुलाई 2020
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बदल गयी है ,इंसान की अब अपनी फितरत; बदल रहा है,इंसान अब पैमाने ए कुदरत।जीने की परिभाषा,विकास की अभिलाषा;सब कुछ बदल रहा,पूरी करने अपनी लालसा। प्रकृति को छेड़ , छीन पशु पक्षियों का आसरा;स्वार्थ के अतिरेक,जंगल पे

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आगमन मंत्री जी का

21 जुलाई 2020
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हमारे शहर में हुआ मंत्री जी का आगमन,

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दास्तां ए बाल मजदूर

23 जुलाई 2020
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एक फटी सी निकर ,और पुरानी ढीली ढाली कमीज़; पैरों में साइज से बड़ी चप्पल, कांधे पे

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यादें

24 जुलाई 2020
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कुछ मीठी,कुछ खट्टी,कुछ कड़वी,कुछ रंगीन,कुछ बचपन की,कुछ जवानी की,कुछ संगीन।ये ही तो हैं वो यादें,जो भूले ना भुलायी जा सकी;कुछ यादें पूरी याद रही,याद रह गयी अधूरी बाकी।कुछ यादें तड़पाती है,कुछ प्रफुल्लित कर जाती है;यादें तो यादें हैं ,जो

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स्पर्श

25 जुलाई 2020
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स्पर्श एक अनुभूति ,स्पर्श एक विज्ञान;स्पर्श एक विधाता का चमत्कार,स्पर्श एक संवेदन।जन्मते से ही स्पर्श की अनुभूति की शुरुआत,पहले मां के हाथों

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अनवरत यात्रा

28 जुलाई 2020
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सभ्यता की विकास यात्रा जारी है अनवरत अनवरत, पृथ्वी के जन्म से चल रहा है परिवर्तन अब तक।कई प्रजातियां पौधों की और जीवों की बदल रही अविरत,बड़े बड़े पेड़ों में और जानवरों में हो रह

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स्वागत राफेल का

29 जुलाई 2020
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सुस्वागतम् राफेल, सुस्वागतम् राफेल, सुस्वागतम् राफेल; तुझे बुलाया है फ्रांस से, डालने दुश्मनों की नाक में नकेल।बड

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कोरोना का नगर भ्रमण (भाग 1)

31 जुलाई 2020
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मिस्टर कोरोना अपनी पत्नी मिसेज कोरोना अपने बेटे कोविड और बेटी नाएंटीन को साथ ले कर इंदौर नगर भ्रमण पे निकले।एक लापरवाह इंदौरी के मास्क पे बैठ एक दिन में ही कई बाजार घूम गए।लोगो

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शब्दों का चरित्र

2 अगस्त 2020
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शब्द बड़े चंचल,बड़े विचित्र,बड़े बेशर्म और होशियार;शब्दों को एक जगह बैठाओ,बैठने को नहीं तैयार;उन्हें बोला मिलकर बनाओ वाक्य श्रृंखला साकार;सोशल डिस्टेंसिंग का बहाना कर मिलने को नहीं तैयार।चुन चुन कर पास लाया उन्हें, लेकिन दूर हो जाते बार

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श्री राम का संघर्ष

3 अगस्त 2020
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आज पांच अगस्त का दिन है बड़ा महान बड़ा महान;भगवान श्री राम को मेरा प्रणाम मेरा प्रणाम।बालपन से संयम के साथ किया चरित्र साकार,छोटे भाइयों को दिया प्यार,बड़ों का किया सत्कार।

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श्री राम का संघर्ष 1

4 अगस्त 2020
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आज पांच अगस्त का दिन है बड़ा महान बड़ा महान;भगवान श्री राम को मेरा प्रणाम मेरा प्रणाम।बालपन से संयम के साथ किया चरित्र साकार,छोटे भाइयों को दिया प्यार,बड़ों का किया सत्कार।विद्याध्ययन के लिए किया आश्रम में गुरु सानिध्य निवास,गुरु और गुर

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श्रीराम का संघर्ष 2

4 अगस्त 2020
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पुत्र वियोग में व्याकुल राजा दशरथ ने,आखिर तज दिए अपने प्राण ;अपने पिता की आज्ञा का पालन करते, सरयू पार हुए श्रीराम।वन में पाषाण शिला को स्पर्श कर, किया ऋषि माता अहिल्या

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श्रीराम का संघर्ष 3

4 अगस्त 2020
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रामेश्वरम पहुंच चिंतित हुए लक्ष्मण,कैसे करेंगे यह सागर पार;क्रोधित लक्ष्मण धनुष ताने चले,करने छोटा सागर का आकार;प्रभु राम ने शालीनता से कहा,सागर को करने के लिए विचार।हाथ जोड़ विनम्रता से सागर ने,किया प्रभु राम को प्रणाम;किया कम अपने आवे

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आज के समाचार पत्र

6 अगस्त 2020
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दैनिक समाचार पत्र हो या सांध्यकालीन पटा पडा रहता है चोरी , डेकैती,हत्या और आत्महत्या के समाचारों से। रही सही कसर बलात्कार, लिव इन में रहने के बाद शादी से इंकार ऐसी खबरें भी मन को विचलित कर देती है।छेड़छाड़ ,प

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ख़ामोशियां

8 अगस्त 2020
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ये खामोशियां,ये खामोशियां,बहुत कुछ कह गई ;ये खामोशियां।गुस्से के बाद की खामोशियां ,क्या क्या कहती है;कोई जान ना पाता,क्या कह रही है ये खामोशियां।दो अनजान मिलें तो कुछ कहती है खामोशियां;बहुत कुछ आंखें बयां

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चरित्र का चीरहरण

11 अगस्त 2020
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झूठा सम्मान पाने के लिए ,मैंने कभी चरित्र की इमारत नहीं खड़ी की; लोगों को दिखाने के लिए, मैंने कभी चरित्र की खांट नहीं बुनी;धन कमाने के लिए,मैंने

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औकात आम आदमी की

12 अगस्त 2020
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मैं एक आम आदमी ,मेरी औकात है बस इतनी सी; ठिठक जाते है पैर मेरे,देख सामने वी आई पी एंट्री;चक्के जाम हो जाते वाहन के मेरे, वी आई पी रोड पे;किसी सरकारी ऑफिस में ,झिझक जाता है वजूद मेरा;किसी मंदिर की वी आई पी लाइन से,हट जाता साया भी मेरा;मैं एक

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महत्वाकांक्षा

13 अगस्त 2020
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किसी व्यक्ति की महत्वाकांक्षा ,उसकी प्रगति का आयाम होती है; महत्वाकांक्षा ना हो किसी व्यक्ति की,तो उसका विकास अधूरा है;एक पेट्रोल पंप कर्मचारी की महत्वाकांक्षा,बन गई दुनिया की बहुत बड़ी कंपनी;धीरूभाई अंबानी की आकांक्षा जल्दी ही बदल गई,आज है वो रिलायंस कंपनी।महत्वाकांक्षा व

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रफ़्तार जिंदगी की

13 अगस्त 2020
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सोचा था जिंदगी चलेगी रफ्तार से,जैसे मक्खन पिघलता है गर्म रोटी पे; वक़्त के साथ साथ मायने बदलते गए,जिंदगी फूलों को देख चल दी कांटों पे।हर सिक्के

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जीवन दायिनी बारिश

15 अगस्त 2020
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खुशियों की बौछार,आनंद की फुहार लाती है ये बारिश;इंसान हो या पशु पक्षी, सभी में उत्साह का संचार करती ;पेड़ पौधों की मुस्कराहट,पर्वतों के झरने आबाद करती;पर्वतों पर फैली हरितिमा ,सब कुछ लाती है ये बारिश।चातक की लंबे समय से सूखे ,कंठ की प्यास बुझाती;मोर के नृत्य और कोयल क

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तन्हाई ये तन्हाई

16 अगस्त 2020
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तन्हाई ये तन्हाई , डरा देती है ये तन्हाई; ज़िन्दगी में कई बार,गुजरा हूं इस तन्हाई से;दिल धड़कता है,जब सामना होता है तन्हाई से।बचपन से ही उठ गया, मां बाप का वह साया;वृद्धावस्था से जूझ रहे, नाना नानी का मिला साया;बालपन से ही तन्हा था,मिली मामा

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ज़िन्दगी के पल

17 अगस्त 2020
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ज़िन्दगी का सफर ,बहुत रोमांच भरा है;इसमें सुख और दुख दोनों का सामना है;मजा इसी में है यारों कि दुख के बाद सुख का आमना है।ज़िन्दगी के हर लम्हे को हसीन पलों में कैद कर लो;दुख के समय इन्हे याद कर , पारी उसकी समेट लो।ज़िन्दगी जिंदादिली से जियो यारों,अपने साथ बीते हसीन पलों को क्यों खो दो।

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कैसी हो शिक्षा नीति ?

17 अगस्त 2020
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स्वतंत्र भारत में आजादी के बाद कई बार शिक्षा के क्षेत्र में बदलाव किए गए । लेकिन एक भी बार उसे अमलीजामा नहीं पहनाया गया। इन सभी नीतियों में जोअमूल चुल परिवर्तन हुए वो हमारे देश के विद्वानों ने किए,लेकिन

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घरौंदा

21 अगस्त 2020
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तिनका तिनका चुन कर लायी , बनाने के लिए एक घरौंदा; जल्दी ही बारिश आने वाली है,समय कम है जल्दी बने घरौंदा।सामग्री एकत्र कर ली है,बस चुन चुन के तिनका बुनने की तैयारी;मै और मेरा साथी दोनों मिल,करते एक सुन्दर आशियाने की तैयारी।बड़ी मुश्किल से जगह

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रेत पे उकेरी आकृति

23 अगस्त 2020
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रेत पर उकेरी गई आकृति,मेरा वजूद इतना सा ही कुछ समय का; कलाकार ने उकेरा बड़ी शिद्दत से,चित्रण कर दिया अपनी भावनाओं का।मैं बनी इतनी सुन्दर कि, मुझे मिटाने के लिए खड़े तैयार है दुश्मन;चलती हवा और लहरें पानी की,कर

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आस्था

26 अगस्त 2020
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भगवान में रखते है सभी विश्वास,अपनी अपनी आस्था; कुछ साकार तो कुछ निराकार ,लेकिन रखते है अपनी अपनी आस्था।कुछ आस्थाओं पर चोट करते है, दुःख की घड़ी में वही ईश्वर से आस करते है;कुछ सुख आने पर आस्थाओं पर,दुष्टों के साथ मिल कर अट्टहास करते है;आने वाले कष्ट उन सभी दुष्टों को,ईश्वर

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सच्चाई

27 अगस्त 2020
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कब तक तुम मुंह मोडोगे, आखिर सच्चाई से ; कब तक मुंह छुपाओगे ,सच्चाई जानने वालों से।झूठे ख्वाबों के ढेर पर बैठ,कब तक खुशफहमी पालेंगे;नकली खुशियों के ये ढेर,यूं ही जल्दी से बिखर जाएंगे।वास्तविकता आधार पर टिकी है,गलतफहमी ना पालों;बनावटी बातों का आधार नहीं, कोई खुशफहमी ना पालों

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ख़्वाबों की दुनियां

29 अगस्त 2020
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हां मैंने भी बुना है एक सुन्दर सा ख़्वाब,किसी ने कहा मुझे इजाज़त नहीं है देखने की ख़्वाब;ये क्या बात हुई तुम बुन तो लो अपने अपने ख़्वाब।लेकिन देख नहीं सकते, तुम अमल होते ये

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ये आंखें

30 अगस्त 2020
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ये आंखें मस्तानी है,उसे चंचल चितवन की दी गई उपमा है; कभी झुकती पलकों के नीचे से झांकती दिखती ये उपमा है।कभी मदहोशी का आलम बिखेरती,नशीली,नखराली,शोख चंचल;तो कभी निस्तब्ध,गंभीरता क

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वह पुरानी किताब

31 अगस्त 2020
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धूल से पटी पड़ी एक किताब को झटक,उसके पुराने पन्नों को धीरे से पलटते रहा;अतीत को वर्तमान के झरोखे से झांकते रहा।मै पिछले कई वर्षों का हिसाब देखता रहा,अंधेरे में गुजारे कई दिनों को याद करता हुआ;सोचता रहा क्या ये उजियारा दिन हमेशा का हुआ।वक़्त ने मुझे अपने आप को तलाशने का मौका ना दिया,गुलाम भारत को स्व

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भीड में दोस्त

2 सितम्बर 2020
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ख्वाहिश यही है कि बस आप मुझे पहचाना करो,भीड़ में भी कभी नजर आऊं तो पुकारा करो।गर मशहूर भी हो जाऊं,तो तुम्हारी पुकार पे पलट जाऊं।बस यही तमन्ना है दोस्तों, समुंदर की तरह अपने में मस्त बहता रहूं;लेकिन तुम्हे देख लूं तो किनारों तक मिलने पहुंच जाऊं।

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बोए थे मैंने खुशियों के बीज

3 सितम्बर 2020
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खुशियों के बोए थे बीज मैंने, जिंदगी की जमीं को जोत कर;मेहनत कर कर्म हल चला, पौधों को बड़ा किया पसीनें से सींच कर ।शिक्षा की खाद डाल कर,खेलकूद की कीटनाशक का छिड़काव कर;खुशियों के पेड़ तैयार किए,मैंने जिंदग

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अकेले ही आया जाएगा भी अकेले ही

4 सितम्बर 2020
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अकेले ही आया था वह इस धरा पर,जाएगा भी अकेले ही इस धरा से; सबसे पहले मां साथ आयी,फिर पिता ने हाथ पकड़ा,और बाद में जुड़ गया परिवार से।थोड़ा बड़ा हुआ आसपड़ोस का हुआ सामना,कभी इस घर तो कभी उस घर खेलने लगा ;और बड़ा होने पर स्कूल में प्रवेश के साथ

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गुरुकुल शिक्षा पद्धति

5 सितम्बर 2020
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प्राचीन शिक्षा पद्धति का विलोपन, नवीन शिक्षा पद्धति का आगमन; ऋषि मुनियों द्वारा प्रदत्त शिक्षा ,गुरुकुल पद्धति वाली शिक्षा को नमन;आश्रम में रह कर गुरु और गुरुमाता की सेवा करते हुए शिष्यों का होता अध्ययन;किताबी ज्ञान के साथ साथ वास्तव में मिल

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आजमा के देख गीदड़ ( चाइना)

8 सितम्बर 2020
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अब मैं ना खाऊंगा धोखा बार बार,बहुत हो गया अब तेरा विश्वासघात ;बहुत सह लिया, अब ना सहूंगा, तेरा ये दुस्साहसी विस्तारवाद;यह 1962 का नहीं है भारत,अब है भारत देश का मजबूत राष्ट्रवाद।हमारी सेना का मनोबल तुझसे

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मौन

9 सितम्बर 2020
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मौन भी एक कला है , जो दर्शाती अपनी भावनाएं भी; मौन एक नाराजगी भी,और साथ ही प्रेम की भाषाएं भी;मौन रहना किसी का आदर भी,और सहन शक्ति की पराकाष्ठा भी।मौन मस्तिष्क में संचित ऊर्जा का रूप,कभी बन जाता सुंदरता का स्वरूप;मौन ऋषि मुनियों की साधना,यह

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सीखा दो सबक इन गद्दारों को

11 सितम्बर 2020
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मैं अबला नहीं, सबला बनना चाहती हूं; मैं आज बॉलीवुड में पनप रहे ,अपराधों का भंडाफोड़ करना चाहती हूं।बॉलीवुड पर कुछ गुंडों का, एकाधिकार मिटाना चाहती हूं।बॉलीवुड हमारी संस्कृति और राष्ट्रप्रेम ,युवा वर्ग की प्रगति का दुश्मन जो ठहरा;उसे सुधारने

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मैं क्यों विरोध नहीं करूं

13 सितम्बर 2020
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आखिर मैं क्यों ना करूं विरोध, इन राष्ट्रद्रोहियों का; स्वार्थ प्रेरित हो राष्ट्र की सुरक्षा भी, दांव पे लगा देते हैं जो।ऐसे लोगों का विरोध क्यों ना करूं मैं,जो सरकार का विरोध करने हेतु हाथ मिला लेते हैं , देश के दुश्मनों से।विरोध मैं अवश्य करूंगा, उन कथित विद्वानों का

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तकदीर की दशा

19 सितम्बर 2020
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मेरी तो तकदीर में यही लिखा है,इसी बहाने अपना दोष तकदीर पे मढ़ता है; तुम्हारी तो तकदीर बहुत ही अच्छी है,कह के अपनी तकदीर को कोसता है;चल छोड़ यार मेरी तकदीर में वह नहीं ,कह के दिल को संतोष दिलाता है;मेरी तो तकदीर साथ ही नहीं देती,कह के अपनी तक

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सकारात्मकता एक पहलू

22 सितम्बर 2020
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सकारात्मकता है जीवन की सजीवता,यह है जीवन जीने की लय बद्धता ; यह है जीवन की सारगर्भिता,जीवन जीने की बढ़ा देती है यह रोचकता।सकारात्मक बातें द्योतक

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सबसे बड़ी खुशी

23 सितम्बर 2020
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कुछ पाने के लिए कुछ खोना जरूरी है,खुश होने के लिए कुछ त्यागना भी जरूरी है;अपने त्याग से गर किसी को खुशी मिले, तो वह अपने लिए सबसे बड़ी खुशी है।

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मूरझाएगी कैसे ये यादें

23 सितम्बर 2020
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मुरझायेगी कैसे ये यादे,खाद जो हम दे रहे हैं;उन खुबसुरत पलों की।सींच रहे है उसे संबंधों के पानी से,नहीं मुरझाएगी ये यादें,जड़ें इसकी बैठी है दिल में गहरे।

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हालात और वक़्त

23 सितम्बर 2020
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वक़्त बदलना आपके हाथ में नहीं,लेकिन हालात बदलना आपके हाथ में है।दूरदृष्टी,पक्का इरादा और कड़ी मेहनत;अभी ना सही कभी तो पहुंचा देगी मुकाम पर।आगे बढ़,चुनौती स्वीकार कर;लक्ष्य स्वयं पहुंचेगा तेरे पास चल कर।

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दिल का एनालिसिस

25 सितम्बर 2020
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एक दिन मैं ऐसे ही बैठा था कि एक ख्याल आया,आखिर ये दिल भी क्या चीज है।क्यों ना इस पर रिसर्च किया जाए।वैसे मैं आपको बता दूं मेरे ऐसे फालतू विषयों पर कई रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं।जैसे ही मैंने फालतू विषय बोला ,सारे दिल वाले नाराज हो

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बूढ़े पेड़ में लौटा यौवन

27 सितम्बर 2020
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मेरी महफिल में तूने जो शिरकत की, इसलिए मैं तेरा शुक्र गुजार रहूंगा।मैं धन्य हुआ तेरे कदमों के आगाज से,महफिल जो आबाद हुई,तेरी सुरीली आवाज से।मैं वीरान खंडहर में पनपा अकेला एक पेड़,दिन भर सुनसान मैं खड़ाजिंदगी के रंगों को तलाशता रहता हूं,आज तूने यहां आकरहे कोयल तू ने यहां अपनीकूक से इस वीरान जिंदगी म

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कमबख्त कोरोना

1 अक्टूबर 2020
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जिंदा हूं या नहीं, कुछ समझ ना पाया; पहले की तरह फिर जीना चाहता हूं,कमबख्त ये कोरोना,सरल होने नहीं देता;जीने की राह को समतल बनाऊं,लेकिन ये दुश्मन उसे होने नहीं देता;कमबख्त ये कोरोना,जीने नहीं देता।सोचा था जल्दी ही चला जाएगा,परन्तु जाने का अब ये नाम नहीं लेता।कितने ही बिछड़

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दिल की गहराई

3 अक्टूबर 2020
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मैंने देखी है गहराई दिल की, अनुमान ना लगा पाया था मैं,घाव इतनी गहराई तक लगा कैसे;दिल तो बडा छोटा सा लेकिन,उसमें चोंट इतनी गहरी क्यों हैं,इतने पर भी दिल से आह तक ना निकली,सब कुछ छिपा कर रखा ,घाव गहरा होने पर भी ,सामने टीस ना उभरने दी इसने;कभी कभी इस दिल ने धोखा भी खाया,उफ़

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दिल की गहराई

3 अक्टूबर 2020
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वक़्त बड़ा बेरहम

6 अक्टूबर 2020
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वक़्त कब बदल जाए भरोसा ही नहीं है ,वक्त जिंदगी का दाव पर लगा एक जुआ है ;वक्त के साथ जो चला,जिंदगी को उसने भरपूर जिया; जिसने वक्त को ठुकरा दिया,वह कभी सफल ना होपाया। वक्त हमारा कभी मोहताज ना रहा,हम उसके मोहताज रहे;वक्त वक्त की बात है, हर किसी का वक्त बदलता है ; अर्श से

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दोस्त और शराब

7 अक्टूबर 2020
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दोस्तों के बहाने, मोहब्बत ना कर तू शराब से;दोस्ती का नशा, शराब से है बढ़कर;दोस्ती के आगे ,शराब और शबाब है झूठे;गर दोस्ती इश्क वाली हैतो जनाब, सच उगल देगी ये शराब।छुपे हुए इश्क को भी ,उजागर कर देगी ये शराब।इसीलिए दोस्ती के बहाने,ना कर तू मोहब्बत शराब से;वर्ना कर देगी बदनाम दोस्ती को भी,अपनी मदहोशी स

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विशेषताएं मेरे मन की

9 अक्टूबर 2020
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सागर सा गम्भीर,नदियों सा चंचल मन है मेरा;बड़े वृक्ष की तरह देता सुकून,छोटे पौधे की तरह ये कोमल मन है मेरा।घर से बाहर निकलने को आतुर ,जल्दी ही घर लौटने को उत्सुक ये बच्चा मन है मेरा ;पर्वत की तरह अडिग,पानी की बूंद की तरह सूक्ष्म ये मन है मेरा।हरी भरी फसल की तरह लहलहाता

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मेरी अभिलाषा

16 अक्टूबर 2020
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अभिलाषा हैं मेरी,भ्रष्टाचार मिटा दूं पुरे देश से;अभिलाषा हैं मेरी,स्वच्छ कर दूं पूरे देश को;महाशक्ति बना दूं विश्व में,यही मेरी अभिलाषा;खेलों में बना दूं देश को सिरमौर,यही है मेरी लालसा;उद्योगों में कर दूं आत्मनिर्भर,बस यही है कामना;संयुक्त राष्ट्र संघ का हो जाये स्थायी सदस्य,यही करता हूं प्रभु से प

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ज़िन्दगी के कैनवास में रंग भर दूं

5 दिसम्बर 2020
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ज़िन्दगी के खाली पड़े कैनवास पे,जब चाहे मैं चित्र उकेर दूं। उस चित्र में जब चाहे मैं ,जिंदगी के उस कैनवास में रंग भर दूं।ज़िन्दगी का वह खाली कैनवास,अब ना रहेगा हमेशा की तरह बेरंग।पानी की लहरों की तरह,पहाड़ी झर

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धन्यवाद आपको

13 जनवरी 2021
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कैसे करूं मैं सभी का धन्यवाद,सोचता रहा दिन भर;आपकी ये शुभकामनाएं,खुशनुमा बना देती दिन के हर पल को।कैसे करूं मैं साधुवाद,शब्दों में व्यक्त करना है मुश्किल इन पलों को।जन्मदिवस पर मिलने वाली ये शुभकामनाए

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माझे सासरे बुआ भाग 1

23 मार्च 2021
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लक्ष्मण ओंकार कोल्हे ,हे माझे सासरे होते. सादगी पूर्ण जीवन,सदा कर्म योगी,सफल व्यवसायी होते.आपल्या परिवार मधे

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माझे सासरे बुआ भाग 2

27 मार्च 2021
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दोन मुलं आणि तीन मुली असे मोठे परिवार असून आनंदाने गृहस्थश्रम वागविले .त्यांचे शिक्षण ,लग्न , व्यवस्थित पार

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