तन्हाई ये तन्हाई , डरा देती है ये तन्हाई;
ज़िन्दगी में कई बार,गुजरा हूं इस तन्हाई से;
दिल धड़कता है,जब सामना होता है तन्हाई से।
बचपन से ही उठ गया, मां बाप का वह साया;
वृद्धावस्था से जूझ रहे, नाना नानी का मिला साया;
बालपन से ही तन्हा था,मिली मामा की छत्रछाया;
किशोरावस्था में कई दोस्त बने,मिला मुझे हमसाया।
नाना नानी की मौत के बाद,फिर से मिली मुझे तन्हाई;
दूर शहर हॉस्टल में पहुंच, शुरू हुई फिर एक कहानी;
दोस्त बिछुड़े ,परिवार छूटा,फिर मैं रह गया तन्हा तन्हा;
मां बाप,नाना नानी,मामा और दोस्तों से हो गई जुदाई;
तन्हाई ये तन्हाई, डरा देती हैं ये वीरान सी तन्हाई।
नए दोस्त मिले,नई दुनिया मिली,दूर हुई फिर तन्हाई;
स्कूली शिक्षा पूरी होते ही ,कॉलेज में प्रवेश की तैयारी;
महानगर पहुंच शुरू हुई, एक नई खिलंदड़ी ज़िन्दगी ;
तब आयी मेरी ज़िन्दगी में,एक बयार ले सुन्दर सी बंदगी।
तन्हाई के दूर होते ही ,शुरू हुई अलग प्रेम की अनुभूति;
पंख लगा कर समय उड़ चला,पता ही नहीं चली उसकी गति;
कब हम दोनों के बीच ,एक दूसरे के प्रति हो गई प्रीति।
अचानक से वह कहीं चली गई,कोहरे की धुंध में जैसे खो गई;
पता चला उसकी तय हो गई शादी,चंद दिनों बाद होगी उसकी बिदाई;
आखिर एक बार फिर ,मेरी जिंदगी में घर कर गई ये तन्हाई।
अपनी कमजोरी को ताकत बनाओ,यह मैंने सुना था बहुत;
मैंने भी इसी तन्हाई को बना अपना साथी,रच दिया साहित्य बहुत।
तन्हाई ये तन्हाई ,अब ना डरा पाती मुझे ये तन्हाई।