खुशियां खरीदना चाहता है पैसों से ,
लेकिन जानता नहीं कि
खुशियां टिकती नहीं,
जो खरीदी जाए पैसों से।
खुशियां वफ़ा नहीं होती है,
पैसों की ।
वह तो मुराद होती है,
प्रेम की।
गर खुशियों की दुकान जो होती,
तो शायद खुशियां उधार न मिलती।
फिर खुशियां हर किसी के नसीब में ना होती।
प्रभु की माया अजीब है,
खुशियां हरेक के नसीब है।