जिन्दगी सफल होती है ज़िंदादिली से,
हरदिल अज़ीज़ होती है अपनेपन से।
अपने ही तो बुनते है तानाबाना ज़िन्दगी का,
अपनों से ही बनता है आशियाना जिंदगी का।
कब से मै तलाशता फिर रहा अपनों को,
कोशिश कर रहा रंगों से भरने की,
इस वीरान जिंदगी को।
आज मै बहुत खुश हूं,कोई तो साथी मुझे मिला,
खुश हूं अपनी लेखनी से,
अब ना जिंदगी से कोई शिकवा गिला।