🌹फूल की पत्ती से ,काट सकती है,
हीरे का जिगर, पहाड़ की चोटी से
निकल सकती है बनके नहर
आज की नारी.......!
🌹इतनी कमज़ोर नहीं है के अबला
कहलाए घुट घुट के जिए
या जीते जी मर जाए
आज की नारी.....!
🌹स्कूल ,दफ्तर ,कचहरी
यहां तक की फौज में भी
जलवे अपने दिखा रही
आज की नारी.......!
🌹रेस ,कबड्डी, तीरंदाजी,
खो-खो, और टेनिस हो या हॉकी
हर क्षेत्र को मेहनत से चमका रही
आज की नारी......!
🌹कविता, कहानी, उपन्यास,
यहां तक की शेरो-शायरी से
शब्द... पर भी जौहर अपना
दिखा रही आज की नारी........!
जहाज से लेकर
ऑटो तक चला कर
परिवार को अपने वैभवशाली
बना रही आज की नारी....!
घर,दफ्तर, परिवार
और रिश्तो में मिठास घोलती,
फिर भी मर्यादा अपनी नहीं लांघ रही
आज की नारी.....!
एक सशक्त, कार्य कुशल
स्वाभिमानी 'आत्मनिर्भर स्त्री'के
रूप में दुनियामें मे उभर हुनर अपने
दिखा रही... आज की नारी.........!
स्वरचित रचना सय्यदा----✍️
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